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ब्लैक फंगस: किसे ज्यादा खतरा, हिमाचल के डॉक्टर से जानिए इससे बचने के उपाय

फोर्टिस अस्पताल के ईएनटी सर्जन डॉ समीत वधेर ने कहा कि ब्लैक फंगस को मेडिकल टर्मिनोलॉजी में म्यूकोरमायकोसिस कहते हैं. डॉ. समीत वधेर ने कहा कि कोरोना संक्रमण से ठीक हुए 30 से 50 प्रतिशत लोग इस ब्लैक फंगस की चपेट में आ सकते हैं. डॉ. समीत वधेर ने बताया कि इस ब्लैक फंगस को लेकर फोर्टिस अस्पताल पूरी तरह से तैयार है.

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Published : May 21, 2021, 4:54 PM IST

धर्मशालाः एक ओर जहां पूरे देश सहित हिमाचल प्रदेश भी कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है, तो वहीं अब देश में ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है. फोर्टिस अस्पताल के ईएनटी सर्जन डॉ समीत वधेर ने कहा कि ब्लैक फंगस को मेडिकल टर्मिनोलॉजी में म्यूकोरमायकोसिस कहते हैं. इसे ब्लैक इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह जो फंगस है व शरीर की जो खून की नसों में एंटर करके आस पास की चमड़ी व टिशू के खून प्रवाह को रोक देता है जिस वजह से कालापन हो जाता है. इसी वजह से इसे ब्लैक फंगस कहा जाता है.

30 से 50 प्रतिशत कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को खतरा

डॉ. समीत वधेर ने कहा कि ब्लैक फंगस का जो प्रकोप है व आज कल के दौर में काफी ज्यादा है क्योंकि कोविड वायरस जो फैल रहा है उसके कारण जो मरीज दवाइयां खाते हैं जिससे उनकी इम्यूनिटी पहले ही कमजोर हो चुकी होती है. ऐसे में ब्लैक फंगस का खतरा बना रहता है. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण से ठीक हुए 30 से 50 प्रतिशत लोग इस ब्लैक फंगस की चपेट में आ सकते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

ब्लैक फंगस के संकेत और लक्षण

डॉ. समीत वधेर ने बताया कि ब्लैक फंगस में मरीज के सिर में दर्द होना, आंखों में धुंधला पन व पलकों का भारी होना उनमें सोजिश होना, आंखों के अंदर लालपन होना, आंखों से बहुत ज्यादा पानी निकलना, नाक बंद हो जाना, नाक से काले रंग का पानी निकलना या कभी-कभी खून निकलना यह इसके आम लक्षण है.

ब्लैक फंगस की मृत्यु दर क्या है?

डॉ. समीत वधेर ने बताया की अगर मृत्यु दर की बात की जाए तो इसकी मृत्यु दर काफी है लगभग 70 प्रतिशत लोग इस ब्लैक फंगस की चपेट में आने से अपनी जान से हाथ धो सकते हैं.

किन-किन लोगों को है ब्लैक फंगस की चपेट में आने का खतरा

डॉ. समीत वधेर ने बताया कि जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है जैसे कि शुगर के मरीज, कैंसर मरीज, एचआईवी से ग्रसित मरीज, किडनी रोग से ग्रसित मरीज या जिस इंसान ने बहुत ज्यादा स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया है कोविड बीमारी के चलते उन लोगों को इस ब्लैक फंगस बीमारी की चपेट में आने का खतरा रहता है.

ब्लैक फंगस से किस तरह बचा जा सकता है

डॉ. समीत वधेर ने बताया कि नाक में दूरबीन के द्वारा इस बीमारी की जांच की जाती है अगर कोई कलापन दिखता है तो बियोक्सी के जरिये उस टिशू का सैम्पल लिया जाता है और जब तय हो जाता है कि यह ब्लैक फंगस है तो उसको डॉक्टरों द्वारा मेडिकल तरीके से उस टिशू को सर्जरी के द्वारा निकाला जाता है.

कोविड मरीज 7 दिन तक घर पर ही मास्क लगा कर रखे

डॉ. समीत वधेर ने कहा कि कोविड मरीज अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी 7 दिन तक घर पर भी मास्क लगा कर रखें. उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस से बचाव के लिए अपने खान-पान का ध्यान रखना आवश्यक है. अपने खाने में जिंक, मल्टी विटामिन और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं व अगर ब्लैक फंगस के लक्षण आएं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.

कितना तैयार है ब्लैक फंगस को लेकर फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा

डॉ. समीत वधेर ने बताया कि इस ब्लैक फंगस को लेकर फोर्टिस अस्पताल पूरी तरह से तैयार है. डॉ. समीत वधेर ने बताया कि बाकी शहरों में भी यह काफी फैला हुआ है और इसके मामले कभी भी हिमाचल में अचानक से बढ़ सकते हैं. डॉ. समीत वधेर ने कहा कि फोर्टिस अस्पताल की रेडियोलॉजी टीम व ईएनटी का जो विभाग है वे पूरी तरह से तैयार है और अस्पताल में जांच करने के लिए दूरबीन व अन्य उपकरण भी उपलब्ध है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में 26 मई के बाद भी जारी रह सकता है कर्फ्यू, सीएम ने दिए संकेत

धर्मशालाः एक ओर जहां पूरे देश सहित हिमाचल प्रदेश भी कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है, तो वहीं अब देश में ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है. फोर्टिस अस्पताल के ईएनटी सर्जन डॉ समीत वधेर ने कहा कि ब्लैक फंगस को मेडिकल टर्मिनोलॉजी में म्यूकोरमायकोसिस कहते हैं. इसे ब्लैक इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह जो फंगस है व शरीर की जो खून की नसों में एंटर करके आस पास की चमड़ी व टिशू के खून प्रवाह को रोक देता है जिस वजह से कालापन हो जाता है. इसी वजह से इसे ब्लैक फंगस कहा जाता है.

30 से 50 प्रतिशत कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को खतरा

डॉ. समीत वधेर ने कहा कि ब्लैक फंगस का जो प्रकोप है व आज कल के दौर में काफी ज्यादा है क्योंकि कोविड वायरस जो फैल रहा है उसके कारण जो मरीज दवाइयां खाते हैं जिससे उनकी इम्यूनिटी पहले ही कमजोर हो चुकी होती है. ऐसे में ब्लैक फंगस का खतरा बना रहता है. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण से ठीक हुए 30 से 50 प्रतिशत लोग इस ब्लैक फंगस की चपेट में आ सकते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

ब्लैक फंगस के संकेत और लक्षण

डॉ. समीत वधेर ने बताया कि ब्लैक फंगस में मरीज के सिर में दर्द होना, आंखों में धुंधला पन व पलकों का भारी होना उनमें सोजिश होना, आंखों के अंदर लालपन होना, आंखों से बहुत ज्यादा पानी निकलना, नाक बंद हो जाना, नाक से काले रंग का पानी निकलना या कभी-कभी खून निकलना यह इसके आम लक्षण है.

ब्लैक फंगस की मृत्यु दर क्या है?

डॉ. समीत वधेर ने बताया की अगर मृत्यु दर की बात की जाए तो इसकी मृत्यु दर काफी है लगभग 70 प्रतिशत लोग इस ब्लैक फंगस की चपेट में आने से अपनी जान से हाथ धो सकते हैं.

किन-किन लोगों को है ब्लैक फंगस की चपेट में आने का खतरा

डॉ. समीत वधेर ने बताया कि जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है जैसे कि शुगर के मरीज, कैंसर मरीज, एचआईवी से ग्रसित मरीज, किडनी रोग से ग्रसित मरीज या जिस इंसान ने बहुत ज्यादा स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया है कोविड बीमारी के चलते उन लोगों को इस ब्लैक फंगस बीमारी की चपेट में आने का खतरा रहता है.

ब्लैक फंगस से किस तरह बचा जा सकता है

डॉ. समीत वधेर ने बताया कि नाक में दूरबीन के द्वारा इस बीमारी की जांच की जाती है अगर कोई कलापन दिखता है तो बियोक्सी के जरिये उस टिशू का सैम्पल लिया जाता है और जब तय हो जाता है कि यह ब्लैक फंगस है तो उसको डॉक्टरों द्वारा मेडिकल तरीके से उस टिशू को सर्जरी के द्वारा निकाला जाता है.

कोविड मरीज 7 दिन तक घर पर ही मास्क लगा कर रखे

डॉ. समीत वधेर ने कहा कि कोविड मरीज अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी 7 दिन तक घर पर भी मास्क लगा कर रखें. उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस से बचाव के लिए अपने खान-पान का ध्यान रखना आवश्यक है. अपने खाने में जिंक, मल्टी विटामिन और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं व अगर ब्लैक फंगस के लक्षण आएं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.

कितना तैयार है ब्लैक फंगस को लेकर फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा

डॉ. समीत वधेर ने बताया कि इस ब्लैक फंगस को लेकर फोर्टिस अस्पताल पूरी तरह से तैयार है. डॉ. समीत वधेर ने बताया कि बाकी शहरों में भी यह काफी फैला हुआ है और इसके मामले कभी भी हिमाचल में अचानक से बढ़ सकते हैं. डॉ. समीत वधेर ने कहा कि फोर्टिस अस्पताल की रेडियोलॉजी टीम व ईएनटी का जो विभाग है वे पूरी तरह से तैयार है और अस्पताल में जांच करने के लिए दूरबीन व अन्य उपकरण भी उपलब्ध है.

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