धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आत्म निर्भर हिमाचल विषय पर आज डीआरडीए सभागार में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें हिमाचल प्रदेश के आगामी 50 वर्ष के भविष्य की संभावनाओं के ऊपर चर्चा की गई. उपायुक्त राकेश कुमार प्रजापति ने जिला प्रशासन की ओर से इस पहल का स्वागत किया और करीब दो दर्जन बुद्विजीवियों के विचार व सुझावों को सुना, जिनकी अपने-अपने कार्य क्षेत्र में दक्षता है.
सरकार तक पहुंचाए जाएंगे बुद्विजीवियों के सुझाव
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त ने व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति दर्ज करवाते हुए कहा कि वे उपस्थित बुद्धिजीवियों के सुझावों को सरकार तक पहुंचाएंगे. उन्होंने आयोजकों को भविष्य में भी इस प्रकार की संगोष्ठीयों का आयोजन करने के लिये प्रोत्साहित किया.
उन्होंने कहा कि आयोजक यदि भविष्य में आत्मनिर्भर हिमाचल के विषय पर संगोष्ठी करते हैं तो उन्हें डीआरडीए हाल निःशुल्क उपलब्ध करवाया जायेगा, जिसके लिये आयोजक एवं समाजिक कार्यकर्ता अतुल भारद्वाज ने प्रशासन और सरकार का धन्यवाद किया.
मेगा पार्किंग की तलाशी जाएं सम्भावनाएं
संगोष्ठी में बुद्विजीवियों ने धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से सुझाव दिया कि मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों को उनके धार्मिक महत्व और आस्था के अनुरूप विकसित किया जाये. इसके लिये हिमाचल प्रदेश में अलग से धार्मिक ट्रस्ट या बोर्ड का गठन किया जाये और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से अलग सर्किट बनाया जाए. वहीं, दूसरी ओर परिवहन से सम्बन्धित व्यवसायियों की राय थी कि बडे़ वाहनों के लिये मेगा पार्किंग की सम्भावनाएं तलाशी जाएं.
अमलीजामा पहनाने पर जोर
फिल्म जगत के जुडे़ हुये निर्माताओं ने कहा कि फिल्म सिटी और फिल्म की अनुमति के लिए सिंगल विंडो का प्रावधान हो और सरकार इस क्षेत्र में आधारभूत ढांचा व सुविधाएं विकसित करने में सहयोग करे. आईटी से जुडे़ पेशेवरों ने गोवा की तर्ज पर पेशेवरों को कार्य परिसर और सुविधाएं मुहैया करवाने पर जोर दिया तो दूसरी ओर व्यापार करने में आसानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, परिवहन और आईटी आदि क्षेत्रों में कैसे अमलीजामा पहनाया जाये इस पर जोर दिया गया.
ये भी पढ़ें: अनुराग ने पढ़े जयराम ठाकुर के कसीदे, भविष्य के हिमाचल का खाका खींचने की वकालत