पालमपुर : कोरोना काल में चाय उद्योग के लिए एक राहत भरी खबर है. विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 के कारण पैदा हुई परिस्थितियों में इस साल भी कांगड़ा चाय की पैदावार पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. लॉकडाउन के पहले दौर में बागानों तक चाय पहुंचने की रोक के चलते इस बार चाय का आंकड़ा प्रभावित हो सकता है, लेकिन सरकार की ओर से दी गई राहत के साथ श्रमिक चाय बागानों में अप्रैल तोड़ को सफल बनाने में जुट गए हैं.
वहीं, चाय बागान के मालिकों को इस बार श्रमिकों की कमी से जूझना पड़ रहा है. इससे चाय पत्ती तोड़ने में पिछले वर्षों की अपेक्षा कुछ समय अधिक लग सकता है, लेकिन इस साल का मौसम चाय के पौधों के लिए काफी अच्छा रहा है.
गौर रहे कि 1990 से लेकर 2002 तक कांगड़ा चाय उद्योग बुलंदियों पर था और हर साल यहां 10 लाख किलो से अधिक चाय का उत्पादन हो रहा था. चाय उत्पादकों के प्रयासों से 1998-99 में चाय उत्पादन के सभी रिकार्ड टूट गए और उस साल 17,11,242 किलो चाय का उत्पादन हुआ. विभिन्न कारणों से यह ट्रेंड जारी नहीं रह सका और पिछले कुछ सालों में चाय उत्पादन का आंकड़ा 10 लाख किलो से कम ही रहा है. 2003 और 2004 में चाय का उत्पादन 7 लाख किलो तक ही सिमट कर रह गया था. उस दौरान क्षेत्र के चाय उत्पादक अपने व्यवसाय से मुंह मोड़ कर अन्य व्यवसाय अपनाने को मजबूर हो गए थे और इन्हीं कारणों से 2004-05 में चाय उत्पादन सबसे सम स्तर पर जा पहुंचा और मात्र 6,50,498 किलो चाय बनाई जा सकी. पिछले वर्ष 9 लाख किलोग्राम चाय का उत्पादन हुआ था और इस साल अप्रैल तोड़ के समय में कोरोना के अटैक से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही थी.
टी बोर्ड ऑफ इंडिया पालमपुर के उपनिदेशक डा. अनुपम दास ने कहा कि चाय बागान मालिकों को इस बार श्रमिकों की कमी से जूझना पड़ रहा है. इस साल मौसम चाय के लिए अनुकूल रहा है और कोविड-19 के बावजूद इस साल चाय का आंकड़ा 9 लाख किलो छू जाएगा.