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स्वतंत्रता सेनानी प. सुशील रत्न का निधन, शिक्षा मंत्री ने परिवार के प्रति प्रकट की संवेदना - Ministry of Home Affairs of the Government of India

स्वतंत्रता सेनानी प. सुशील रत्न की मृत्यु पर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने गहरा शोक व्यक्त किया है. सुरेश भारद्वाज ने उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से कामना की और कहा कि उनकी कमी कभी पूरी नही होगी.

शिक्षा मंत्री ने परिवार के प्रति प्रकट की संवेदना
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Published : Jul 27, 2019, 8:36 PM IST

ज्वालामुखी: शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने शनिवार को पूर्व कांग्रेस विधायक संजय रत्न के घर पहुंच कर उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी प. सुशील रत्न के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. सुरेश भारद्वाज ने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से कामना की.

बता दें कि सुशील रत्न वर्ष 1985 से 1990 तक खादी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे हैं. इसके बाद वर्ष 2003 से 2007 तक उन्हें स्वतंत्रता सेनानी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष का जिम्मा दिया गया था. इसके बाद वह 2013 से 2017 तक फिर से इसी पद पर आसीन रहे. वर्तमान में भी वह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत स्वतंत्रता सेनानी कल्याण के लिए बनी छह सदस्यीय समीति के सदस्य पद पर आसीन थे.

पंडित सुशील रत्न सामाजिक कार्यों व जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा ही आगे रहते थे. इसके साथ ही स्वतंत्रता सेनानी कल्याण के लिए भी उन्होंने अपना भरपूर योगदान दिया.

ये भी पढ़े: जलभराव की समस्या से जूझ रहे लोगों ने NH पर लगाया जाम, सरकार पर फूटा गुस्सा

ज्वालामुखी: शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने शनिवार को पूर्व कांग्रेस विधायक संजय रत्न के घर पहुंच कर उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी प. सुशील रत्न के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. सुरेश भारद्वाज ने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से कामना की.

बता दें कि सुशील रत्न वर्ष 1985 से 1990 तक खादी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे हैं. इसके बाद वर्ष 2003 से 2007 तक उन्हें स्वतंत्रता सेनानी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष का जिम्मा दिया गया था. इसके बाद वह 2013 से 2017 तक फिर से इसी पद पर आसीन रहे. वर्तमान में भी वह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत स्वतंत्रता सेनानी कल्याण के लिए बनी छह सदस्यीय समीति के सदस्य पद पर आसीन थे.

पंडित सुशील रत्न सामाजिक कार्यों व जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा ही आगे रहते थे. इसके साथ ही स्वतंत्रता सेनानी कल्याण के लिए भी उन्होंने अपना भरपूर योगदान दिया.

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Intro:प. सुशील रत्न की कमी हमेशा खलेगी : सुरेश भारद्वाज


शिक्षा मंत्री ने शोक संतप्त परिवार के प्रति प्रकट की संवेदनाBody:
ज्वालामुखी, 27 जुलाई (नितेश): हिमाचल के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने शनिवार पूर्व कांग्रेस विधायक संजय रत्न के घर पहुंच कर उनके पिता स्वतंत्र्ता सेनानी प. सुशील रत्न की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया है। सुरेश भारद्वाज ने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की है और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से कामना की। उन्होंने कहा कि प. सुशील रत्न की कमी हमेशा रहेगी। वे एक स्वतंत्रता सेनानी थे उनकी कमी कभी पूरी नही होगी। बता दे कि ज्वालामुखी के वयोवृद्ध स्वत्रंता सेनानी पंडित सुशील रत्तन ने 24 जून की रात को पीजीआई चंडीगढ़ में बीती रात 11.50 मिंट पर अपनी अंतिम सांस ली।
उल्लेखनीय है कि सुशील रत्न वर्ष 1985 से 1990 तक खादी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे। इसके बाद वर्ष 2003 से 2007 तक उन्हें स्वतंत्रता सेनानी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष का जिम्मा दिया गया, इसके बाद वह 2013 से 2017 तक फिर से इसी पद पर आसीन रहे। वर्तमान में भी वह भारत सरकार के गह मंत्रालय के तहत स्वतंत्रता सेनानी कल्याण के लिए बनी छह सदस्सीय समीति के सदस्य पद पर आसीन थे। उनके बेटे संजय रत्न भी ज्वालामुखी से कांग्रेस के विधायक रहे हैं। 31 मार्च 1924 को जन्में सुशील रत्न पब्लिक रिलेशन ऑफिसर के पद से वर्ष 1982 में रिटायर होने के बाद से ही राजनीति में आ गए व उन्होंने 1985 व 1990 में कांग्रेस टिकट पर ज्वालामुखी से विधानसभा का चुनाव लड़ा, पर दोनों ही मर्तबा वह जीत दर्ज नहीं करवा सके।
पंडित सुशील रत्न सामाजिक कार्यों व जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा ही आगे रहते थे। इसके साथ ही स्वतंत्रता सेनानी कल्याण के लिए भी उन्होंने अपना भरपूर योगदान दिया।


चालीस के दशक में प. सुशील रत्न ने शुरू की थी आज़ादी की लड़ाई
ज्वालामुखी की पावन धरती से चालीस के दशक में प. सुशील रत्न ने आजादी की लड़ाई की शुरुआत की थी। उनकी उसी पावन धरती पर प्राण त्यागने की तमन्ना थी। स्वतन्त्रता सेनानी पंडित सुशील रतन ने आजादी की लड़ाई भारत मां को गुलामी की जंजीरों से आजाद करवाने व देश के लोगों की खुशहाली के लिए लड़ी थी। वर्तमान में देश में धर्म, जाति एवं क्षेत्रवाद के नाम पर होने वाले विवादों एवं राजनीति से उन्हें दुख होता था। युवाओं के नशे की जकड़ में होने से उन्हें आजादी की लड़ाई का मकसद अधूरा लगता था। रतन कहते थे कि जब देश का युवा नशे का आदी बनेगा तब देश की आजादी का मकसद एवं देश की आजादी के लिए स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा बहाया गया रक्त निरर्थक हो जाएगा।Conclusion:
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