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ओशो की निजी सचिव रहीं मां योग नीलम का निधन, लंबे समय से कैंसर से लड़ रहीं थीं लड़ाई

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Published : May 6, 2021, 5:50 PM IST

ओशो निसर्ग हिमालय ध्यान केंद्र धर्मशाला की संस्थापक मां योग नीलम का निधन हो गया है. मां योग नीलम ने लंबी बीमारी के बाद धर्मशाला में अंतिम सांस ली. गौरतलब है कि मां योग नीलम ओशो की निजी सचिव रहीं हैं.

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धर्मशाला: ओशो निसर्ग हिमालय ध्यान केंद्र धर्मशाला की संस्थापक और ओशो की निजी सचिव रहीं मां योग नीलम का लंबी बीमारी के बाद धर्मशाला में निधन हो गया. वह कुछ सालों से बीमार थीं. उनका जन्म 19 मार्च 1949 को हुआ था. वह पहली बार 1969 में लुधियाना में ओशो से मिली थीं और 1972 में संन्यास लिया. वह अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम में आती थीं और रजनीशपुरम में चार साल रहीं. उन्होंने अपनी बेटी मां प्रिया से आखिरी शब्द में कहा कि अब यह सब आपके माध्यम से होना है. बस आत्मविश्वास रखें और उन्होंने अंतिम सांस ली.

ओशाे की निजी सचिव मां योग नीलम का निधन

मां योग नीलम ओशो के साथ नवंबर 1985 में भारत लौटीं. फिर उन्हें भारत में ओशाे की निजी सचिव के रूप में नियुक्त किया गया. ओशो ने उन्हें इनर सर्कल के सदस्य के रूप में भी नियुक्त किया था. 1990 में जब ओशो का निधन हुआ तो मां योग नीलम पुणे कम्यून में रहीं और ओशो के कामों को आगे बढ़ाती रहीं. 1996 से 1999 तक वह हर साल यूरोप के आठ विभिन्न देशों की यात्रा कर प्रमुख ध्यान कार्यक्रम में भाग लेती थीं.

नया केंद्र बनाने में विनोद खन्ना ने की थी मदद

मां योग नीलम ने 1999 में पुणे का कम्यून छोड़ दिया था. वह इनर सर्कल (21 सदस्यों का समूह) का हिस्सा थीं. पुणे का ओशो कम्यून बंट गया तो साल 2000 में मां नीलम और स्वामी आनंद तथागत ने धर्मशाला के शिल्ला गांव में ओशो निसर्ग हिमालय ध्यान केंद्र बनाया. इसमें बॉलीवुड कलाकार विनोद खन्ना ने उनकी मदद की थी. विनोद खन्ना भी ओशो के शिष्य थे. मां योग नीलम ने 2016 में पहली बार कैंसर का सामना किया और इसे केवल एक और चुनौती के रूप में लिया.

ये भी पढ़ें: बिलासपुर अस्पताल का प्रशासन हुआ सख्त, कोरोना निगेटिव रिपोर्ट दिखाने पर ही मिलेगी एंट्री

धर्मशाला: ओशो निसर्ग हिमालय ध्यान केंद्र धर्मशाला की संस्थापक और ओशो की निजी सचिव रहीं मां योग नीलम का लंबी बीमारी के बाद धर्मशाला में निधन हो गया. वह कुछ सालों से बीमार थीं. उनका जन्म 19 मार्च 1949 को हुआ था. वह पहली बार 1969 में लुधियाना में ओशो से मिली थीं और 1972 में संन्यास लिया. वह अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम में आती थीं और रजनीशपुरम में चार साल रहीं. उन्होंने अपनी बेटी मां प्रिया से आखिरी शब्द में कहा कि अब यह सब आपके माध्यम से होना है. बस आत्मविश्वास रखें और उन्होंने अंतिम सांस ली.

ओशाे की निजी सचिव मां योग नीलम का निधन

मां योग नीलम ओशो के साथ नवंबर 1985 में भारत लौटीं. फिर उन्हें भारत में ओशाे की निजी सचिव के रूप में नियुक्त किया गया. ओशो ने उन्हें इनर सर्कल के सदस्य के रूप में भी नियुक्त किया था. 1990 में जब ओशो का निधन हुआ तो मां योग नीलम पुणे कम्यून में रहीं और ओशो के कामों को आगे बढ़ाती रहीं. 1996 से 1999 तक वह हर साल यूरोप के आठ विभिन्न देशों की यात्रा कर प्रमुख ध्यान कार्यक्रम में भाग लेती थीं.

नया केंद्र बनाने में विनोद खन्ना ने की थी मदद

मां योग नीलम ने 1999 में पुणे का कम्यून छोड़ दिया था. वह इनर सर्कल (21 सदस्यों का समूह) का हिस्सा थीं. पुणे का ओशो कम्यून बंट गया तो साल 2000 में मां नीलम और स्वामी आनंद तथागत ने धर्मशाला के शिल्ला गांव में ओशो निसर्ग हिमालय ध्यान केंद्र बनाया. इसमें बॉलीवुड कलाकार विनोद खन्ना ने उनकी मदद की थी. विनोद खन्ना भी ओशो के शिष्य थे. मां योग नीलम ने 2016 में पहली बार कैंसर का सामना किया और इसे केवल एक और चुनौती के रूप में लिया.

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