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नूरपुर जोन के कर्मचारियों ने बिजली संशोधन बिल का किया विरोध, सरकार से की ये मांग

राज्य विद्युत कर्मचारी यूनियन के नूरपुर जोन के कर्मचारियों ने बिजली संशोधन कानून 2020 का जोरदार विरोध किया. यूनियन के अनुसार इस कानून के लागू होने से बिजली क्षेत्र में ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर भी विपरीत असर पड़ेगा.

Electricity employees opposed the Electricity Amendment bill
बिजली कर्मचारियों ने बिजली संशोधन बिल का विरोध किया
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Published : Aug 19, 2020, 10:16 AM IST

नूरपुर/कांगड़ा: राज्य विद्युत कर्मचारी यूनियन के नूरपुर जोन के कर्मचारियों ने बिजली संशोधन कानून 2020 का जोरदार विरोध किया. ये विरोध प्रदर्शन विद्युत मंडल नूरपुर में नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंजीनियर एंड एम्प्लॉएस के आह्वान पर किया गया.

यूनियन के अनुसार इस कानून के लागू होने से बिजली क्षेत्र में ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर भी विपरीत असर पड़ेगा. साथ ही उपभोक्ताओं को मंहगी दरों पर बिजली मिलेगी.

वीडियो

यूनियन का कहना है कि कि 1990 में विद्युत बोर्ड में कर्मचारियों की संख्या लगभग 43 हजार थी. उस वक्त लगभग 9 लाख उपभोक्ता थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान में विद्युत बोर्ड में कर्मचारियों की संख्या घट कर करीब 16 हजार रह गई है, जबकि उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 25 लाख हो गई है. इसके चलते कर्मचारियों पर काम के बोझ के कारण कई कर्मचारी दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे है.

यूनियन ने सरकार से मांग की है कि विद्युत बोर्ड में भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जाए. ठेकेदारों के माध्यम से काम कर रहे कर्मचारियों को एक नीति के तहत विद्युत बोर्ड का कर्मचारी बनाया जाए. अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों को दो साल में नियमित किया जाए.

इस अवसर पर गनोह यूनिट के मुख्य सलाहकार रमेश चंद, यूनियन सेक्रेटरी भजन सिंह, उप प्रधान पंकज पठानिया, नूरपुर यूनिट के प्रधान प्रदीप, यूनिट सेक्रेटरी अरुण सहोत्रा, सुलयली यूनिट के प्रधान परषोत्तम सिंह व 220 केवी यूनिट के सचिव राजू सहित यूनियन के अन्य सदस्य मौजूद रहे.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में नई जनशक्ति पीपल्स पार्टी का एलान, सदस्यता अभियान शुरू

नूरपुर/कांगड़ा: राज्य विद्युत कर्मचारी यूनियन के नूरपुर जोन के कर्मचारियों ने बिजली संशोधन कानून 2020 का जोरदार विरोध किया. ये विरोध प्रदर्शन विद्युत मंडल नूरपुर में नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंजीनियर एंड एम्प्लॉएस के आह्वान पर किया गया.

यूनियन के अनुसार इस कानून के लागू होने से बिजली क्षेत्र में ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर भी विपरीत असर पड़ेगा. साथ ही उपभोक्ताओं को मंहगी दरों पर बिजली मिलेगी.

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यूनियन का कहना है कि कि 1990 में विद्युत बोर्ड में कर्मचारियों की संख्या लगभग 43 हजार थी. उस वक्त लगभग 9 लाख उपभोक्ता थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान में विद्युत बोर्ड में कर्मचारियों की संख्या घट कर करीब 16 हजार रह गई है, जबकि उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 25 लाख हो गई है. इसके चलते कर्मचारियों पर काम के बोझ के कारण कई कर्मचारी दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे है.

यूनियन ने सरकार से मांग की है कि विद्युत बोर्ड में भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जाए. ठेकेदारों के माध्यम से काम कर रहे कर्मचारियों को एक नीति के तहत विद्युत बोर्ड का कर्मचारी बनाया जाए. अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों को दो साल में नियमित किया जाए.

इस अवसर पर गनोह यूनिट के मुख्य सलाहकार रमेश चंद, यूनियन सेक्रेटरी भजन सिंह, उप प्रधान पंकज पठानिया, नूरपुर यूनिट के प्रधान प्रदीप, यूनिट सेक्रेटरी अरुण सहोत्रा, सुलयली यूनिट के प्रधान परषोत्तम सिंह व 220 केवी यूनिट के सचिव राजू सहित यूनियन के अन्य सदस्य मौजूद रहे.

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