धर्मशाला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात कार्यक्रम पर ग्रीन मेंटर्स नामक संस्थान ने एक ऑनलाइन राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया. जिसमें हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार सोनी ने जलवायु एवं वातावरणानुकूलित शिक्षा पर अपने विचार व्यक्त किए.
हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थितियां देश के अन्य राज्यों से भिन्न
उन्होंने कहा कि हिमालय में स्थित होने के कारण हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक व जलवायु संबंधित स्थितियां देश के अन्य राज्यों से भिन्न है. जलवायु एवं वातावरण भिन्न होने के कारण शिक्षा भी प्रभावित होती है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में अत्याधिक सर्दी, गर्मी और वर्षा होने के कारण इसका प्रभाव शिक्षा के क्षेत्र में भी दिखाई देता है.
उन्होंने कहा कि राज्य में विभिन्न जलवायु स्थितियां होने के कारण शैक्षणिक सत्र शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन विद्यार्थियों की सुविधा के लिए उपलब्ध करवाए गए हैं. जिससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित ना हो वह सुचारू ढंग से शिक्षा प्राप्त कर सकें.
घुमंतू बच्चों के लिए मोबाइल स्कूलों से शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था
उन्होंने कहा कि सरकार ने घुमंतू बच्चों के लिए मोबाइल स्कूलों के द्वारा शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की है. इसके अतिरिक्त सभी विद्यार्थियों को सरकार की नीति के अनुसार निशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाती हैं. जो बच्चे किसी कारणवश स्कूल में प्रवेश नहीं ले पाते या पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते उनकी सुविधा के लिए हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के माध्यम से राज्य मुक्त विद्यालय की व्यवस्था की गई है.पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन जैसे संवेदनशील विषयों से अवगत करवाने के लिए पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने करके जागरूक करने का प्रयास किए जाने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि बच्चों को जल संरक्षण, सौर ऊर्जा दोहन, स्वच्छता जैसे अभियान बारे विद्यालय परिसर में प्रयोगात्मक शिक्षा से अवगत करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में बच्चों को जलवायु एवं वातावरणानुकूलित व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं. सरकार द्वारा दूरदराज क्षेत्रों के विद्यार्थियों की सुविधा के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं.
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