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ज्वालामुखी: इस परिवार के लिए दिव्यांगता बनी 'अभिशाप', परिवार को है सरकारी सहायता की आस

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Published : Aug 29, 2020, 4:42 PM IST

ज्वालामुखी की पन्द्रेढ़ गांव की रीता देवी की जिंदगी में दिव्यांगता अभिशाप बन गया है. पहले उनके एक दिव्यांग बेटे और पति की मौत हो गई, वहीं अब उनका 25 साल का बेटा नरेश और 21 साल का विपिन भी दिव्यांग होने का दंश झेल रहे हैं.

disability of children  became a curse for Rita's family
फोटो

ज्वालामुखी: जिला कांगड़ा के सिहोरपाई पंचायत की पन्द्रेढ़ गांव की रीता देवी कई मुसीबतों का सामना कर रही है. गरीबी और किस्मत की मार मानों रीता और उनके परिवार के लिए अभिशाप बन गई है. रिता देवी के दोनों बेटे दिव्यांग हैं. 25 साल का नरेश और 21 साल का विपिन सिर्फ बिस्तर पर बैठ ही सकता है.

जिन हालातों से रीता देवी गुजर रही है, उसे सुनकर किसी का भी दिल सिहर उठेगा. रीता देवी का एक अन्य बेटा भी दिव्यांग होने के चलते अपनी जान गंवा चुका है, किस्मत ने रीता पर ऐसी गाज गिराई की उनके दिव्यांग पति की भी कुछ समय पहले मौत हो गई थी.

वीडियो रिपोर्ट.

रीता देवी ने बताया कि उनके बेटे नरेश और विपिन बचपन में सही थे, लेकिन वक्त को कुछ और मंजूर था. दोनों जैसे-जैसे बड़े होते गए, उनकी शारीरिक दुर्बलता भी बढ़ती चली गई. दोनों बच्चें चलने फिरने में असमर्थ हैं, जिस वजह से रीता आय अर्जित करने के लिए किसी और के घर जाकर काम भी नहीं कर सकती.

रीता और उनके दिव्यांग बेटे नरेश को एक-एक हजार की पेंशन लगी है, लेकिन 21 साल का विपिन अभी भी सरकारी सहायता का इंतजार कर रहा है. रीता ने बताया कि दोनों बच्चों की दवाइयों पर हजारों रुपये का खर्चा होता है, लेकिन आय का कोई साधन ना होने के चलते उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

स्थानीय ग्रामीण उनकी परिस्थियों को देखकर अपनी ओर से हर संभव सहायता कर रहे हैं. रीता का बस यही कहना है कि कोई उनके घर आकर उनके दोनों बेटों की हालत का जायजा ले, उन्हें सरकारी सहायता ना सही, लेकिन प्रशासन उनके घर आकर बस उनकी मुसीबतों को सहने का ढाढंस ही बंधा दे तो वह भी उनके लिए बहुत होगा.

वहीं, इस बार में ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला ने कहा कि उन्हें इस परिवार की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि एक 25 साल के दिव्यांग बच्चे की मौत, बच्चों के पिता की दिव्यांगता के बाद मौत और दो जवान लड़के वो भी दिव्यांग सुनकर ही दिल सिहर रहा है. धवाला ने कहा कि यह वाकई में बहुत दुखद है, वह इस परिवार की सहायता के लिए हर संभव सहायता करेंगे.

ये भी पढ़ें: इंदिरा गांधी खेल परिसर शिमला में राष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन, खिलाड़ियों ने दिया ये संदेश

ज्वालामुखी: जिला कांगड़ा के सिहोरपाई पंचायत की पन्द्रेढ़ गांव की रीता देवी कई मुसीबतों का सामना कर रही है. गरीबी और किस्मत की मार मानों रीता और उनके परिवार के लिए अभिशाप बन गई है. रिता देवी के दोनों बेटे दिव्यांग हैं. 25 साल का नरेश और 21 साल का विपिन सिर्फ बिस्तर पर बैठ ही सकता है.

जिन हालातों से रीता देवी गुजर रही है, उसे सुनकर किसी का भी दिल सिहर उठेगा. रीता देवी का एक अन्य बेटा भी दिव्यांग होने के चलते अपनी जान गंवा चुका है, किस्मत ने रीता पर ऐसी गाज गिराई की उनके दिव्यांग पति की भी कुछ समय पहले मौत हो गई थी.

वीडियो रिपोर्ट.

रीता देवी ने बताया कि उनके बेटे नरेश और विपिन बचपन में सही थे, लेकिन वक्त को कुछ और मंजूर था. दोनों जैसे-जैसे बड़े होते गए, उनकी शारीरिक दुर्बलता भी बढ़ती चली गई. दोनों बच्चें चलने फिरने में असमर्थ हैं, जिस वजह से रीता आय अर्जित करने के लिए किसी और के घर जाकर काम भी नहीं कर सकती.

रीता और उनके दिव्यांग बेटे नरेश को एक-एक हजार की पेंशन लगी है, लेकिन 21 साल का विपिन अभी भी सरकारी सहायता का इंतजार कर रहा है. रीता ने बताया कि दोनों बच्चों की दवाइयों पर हजारों रुपये का खर्चा होता है, लेकिन आय का कोई साधन ना होने के चलते उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

स्थानीय ग्रामीण उनकी परिस्थियों को देखकर अपनी ओर से हर संभव सहायता कर रहे हैं. रीता का बस यही कहना है कि कोई उनके घर आकर उनके दोनों बेटों की हालत का जायजा ले, उन्हें सरकारी सहायता ना सही, लेकिन प्रशासन उनके घर आकर बस उनकी मुसीबतों को सहने का ढाढंस ही बंधा दे तो वह भी उनके लिए बहुत होगा.

वहीं, इस बार में ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला ने कहा कि उन्हें इस परिवार की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि एक 25 साल के दिव्यांग बच्चे की मौत, बच्चों के पिता की दिव्यांगता के बाद मौत और दो जवान लड़के वो भी दिव्यांग सुनकर ही दिल सिहर रहा है. धवाला ने कहा कि यह वाकई में बहुत दुखद है, वह इस परिवार की सहायता के लिए हर संभव सहायता करेंगे.

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