कुल्लू: देशभर में शिवरात्रि पर्व की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. शिवरात्रि के पर्व पर लोग दर्शन के लिए शिव मंदिरों की यात्रा पर निकलते हैं. उत्तराखंड में केदारनाथ...गुजरात में सोमनाथ और कश्मीर में अमरनाथ यात्रा. यात्राएं भले ही अलग अलग हों, लेकिन भोले के भक्तों का इन यात्राओं का मकसद एक ही भगवान शिव के चरणों में स्थान और उनका आशीर्वाद लेना. आज हम आपको हिमाचल के ही एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिसे मिनी अमरनाथ के नाम से जाना जाता है.
हिमाचल देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध है. इसकी प्रकृतिक सुंदरता भी स्वर्ग का एहसास करवाती है. यहां के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है. यहां के प्राचीन मन्दिर और धार्मिक परम्पराएं हमेशा से ही लोगों को अपनी और आकर्षित करती हैं. यहां के मंदिरों का इतिहास हजारों साल पुराना है. हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक इन मंदिरों के दर्शनों के लिए यहां पंहुचते हैं. हिमालयी इलाकों में भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर हैं और सब की अपनी-अपनी मान्यता और इतिहास है.
प्राकृतिक तौर पर बनता है 35 से 40 फीट शिवलिंग
जिला कुल्लू के पर्यटन नगरी मनाली की बात करें तो यहां पर कश्मीर के अमरनाथ शिवलिंग की तरह बर्फ का शिवलिंग प्राकृतिक तौर पर बनता है. हर साल हजारों सैलानी इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से यहां आते हैं. मनाली के सोलंगनाला से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर अंजनी महादेव का मंदिर है. यहां पर हर साल प्रकृतिक रूप से बर्फ का एक शिवलिंग तैयार होता है. इसका महत्व भी अमरनाथ के दर्शनों के बराबर ही समझा जाता है. इस शिवलिंग की ऊंचाई हर साल बढ़ती और घटती रहती है. इस बार भी अंजनी महादेव में करीब 35 से 40 फीट ऊंचा शिवलिंग बना हुआ है, इसे देखने के लिए पर्यटक और श्रद्धालु यहां पर पंहुच रहे हैं. बर्फ की सफेद चादर के बीच में बर्फ से बना शिवलिंग बाबा बर्फानी के साक्षात दर्शन करवाने के साथ साथ अमरनाथ की याद दिलाता है.
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माता अंजनी ने यहां की थी शिव की तपस्या
आचार्य विजय शर्मा ने बताया ने कि, 'पौराणिक कथा के अनुसार भगवान हनुमान की माता अंजनी पूर्व जन्म में देवराज इंद्र की सभा की अप्सरा थी और इंद्र के दरबार में वो नृत्य किया करती थी. उस दौरान उनका नाम पूंजीका स्थला था. ऐसे में एक दिन जब दुर्वासा ऋषि स्वर्ग आए तो उस दौरान अप्सरा ने उनका उपहास उड़ाया और उनके सामने काफी उछाल कूद की. इससे ऋषि दुर्वासा काफी नाराज हुए और उन्होंने अप्सरा पुंजिका स्थला को अगले जन्म में वानरी होने का श्राप दिया, जब अप्सरा ने उनसे अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगी तो दुर्वासा ऋषि ने उन्हें वरदान दिया कि उनके गर्भ से भगवान रुद्र का अंश पैदा होगा और उसके बाद उन्हें वानर योनि से भी मुक्ति मिल जाएगी. ऐसे में माता अंजनी ने यहां 7000 साल तक भगवान शिव की तपस्या की और उनका आशीर्वाद भी लिया. इसके बाद इस जगह का नाम अंजनी महादेव पड़ा. तब से लेकर यहां पर बर्फ का शिवलिंग बनता है.'

नंगे पांव करते हैं श्रद्धालु दर्शन
मान्यता ये भी है कि इस शिवलिंग के दर्शन करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. अंजनी महादेव के दर्शन नंगे पांव चलकर किए जाते हैं. पर्यटक और श्रद्धालु शिवलिंग तक पहुंचने के लिए पांच सौ मीटर की दूरी नंगे पांव तय करते हैं. स्थानीय निवासी गंगा ठाकुर, हरीश ठाकुर ने बताया कि सर्दियों के दिनों में भी यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है. लोग सोलंगनाला में बर्फ के बीच मस्ती करते हैं और उसके बाद यहां अंजनी महादेव पहुंचते हैं और दर्शन करते हैं.

बाबा ने देखा था सबसे पहले शिवलिंग
अंजनी महादेव मंदिर के पुजारी संतोष ने बताया कि, 'बाबा प्रकाश पुरी ने सबसे पहले इस स्थान पर शिवलिंग को देखा था. इसके बाद बाबा ने साथ लगते ग्रामीणों को भी इस बारे अवगत करवाया था. ग्रामीणों ने भी इस बारे में स्थानीय देवी देवताओं को पूछा. देवताओं से इस बात का पता चला कि यहां पर माता अंजनी ने भगवान शिव के तपस्या की थी. इसके बाद यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया और आज देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पर अंजनी महादेव के दर्शनों को पहुंचते हैं. इसके अलावा सावन माह और शिवरात्रि का त्योहार भी यहां पर धूमधाम के साथ मनाया जाता है.'

अंजनी महादेव मंदिर में पहुंचते हैं हजारों श्रद्धालु
गौर रहे कि मनाली का रोहतांग देश और दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है. साथ ही अटल टनल रोहतांग भी सैलानियों की पहली पसंद बनी हुई है, लेकिन अब अंजनी महादेव भी लोकप्रिय हो रहा है और यहां हर साल हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. मनाली से सोलंगनाला तक का 15 किलोमीटर का सफर टैक्सी से कर सकते हैं. उसके बाद सोलंगनाला से अंजनी महादेव तक पांच किलोमीटर का सफर पैदल या घोड़ों से तय किया जा सकता है. यहां सैलानियों को भगवान अंजनी महादेव के दर्शन कर असीम शांति का भी अनुभव होता है.