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बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का पैगाम, कोरोना से लड़ने के लिए प्रार्थना ही नहीं...कर्तव्यों का भी करें पालन

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Published : Apr 15, 2020, 4:45 PM IST

Updated : Apr 15, 2020, 5:59 PM IST

दलाई लामा ने कहा कि यह महामारी एक चेतावनी स्वरूप है, जो हमें यह सीख दे रही है कि हम सामूहिक रूप से इस चुनौती का सामना कर सकते हैं. हमें यह भी याद रखना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति पीड़ा से मुक्त नहीं है. इसलिए उन लोगों का ज्यादा से ज्यादा मदद करनी हैं, जिनका कोई घर, जीविका कमाने का साधन और परिवार नहीं हैं

Dalai Lama message on corona
कोरोना पर दलाई लामा का संदेश

धर्मशाला: कोरोना वायरस को लेकर पूरा विश्व चिंता में है. वहीं, बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा ने इस महामारी के दौरान कहा है कि केवल प्रार्थना करना पर्याप्त नहीं है, जहां तक संभव हो सब लोगों को अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा.

बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा ने कहा कि मेरे मित्र मुझसे अपनी जादुई शक्तियों का इस्तेमाल कर सभी समस्याओं को दूर करने की बता करते हैं. मैं हमेशा उनसे यही कहता हूं कि दलाई लामा के पास कोई जादुई शक्तियां नहीं हैं. जादुई शक्तियां होने पर मेरे पैर में दर्द और गले में खराश नहीं होती. हम सब एक समान हैं. साथ ही भय, आशा और अनिश्चितताओं का समान रूप से महसूस करते हैं.

बौद्ध धर्मगुरू ने कहा कि बौद्ध दर्शन के अनुसार हर प्राणी दुःख, रोग, बुढ़ापा और मृत्यु की सच्चाइयों से परिचित है. मनुष्य होने के नाते हम सब में अपनी बुद्धि-विवेक का इस्तेमाल कर क्रोध, घबराहट और लोभ से विमुक्त हो जाने की क्षमता है.

Dalai Lama
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा

दलाई लामा ने कहा कि हाल के वर्षों में मेरा भावनात्मक अशस्रीकरण पर जोर रहा है. इसका तात्पर्य है कि हम भय और रोष के भ्रम से बाहर निकलकर वस्तुस्थिति को स्पष्ट रूप में देखने की कोशिश करें. समस्या का समाधान होने पर हमें उसे ढूंढ़ने की कोशिश करनी चाहिए. समाधान न होने पर हमें उसके बारे में सोचकर समय नष्ट नहीं करना चाहिए.

बौद्ध धर्मगुरू ने कहा कि वुहान शहर में कोरोना वायरस फैलने की खबर मिलने के बाद से ही मैं चीन और दूसरे देशों के मेरे भाईयों और बहनों के लिए प्रार्थना कर रहा हूं. कोई भी इस वायरस से सुरक्षित नहीं है. हम सब अपने प्रियजनों एवं भविष्य और वैश्विक एवं व्यक्तिगत अर्थव्यवस्था दोनों को लेकर आशंकित हैं.

दलाईलामा ने कहा कि यह महामारी एक चेतावनी स्वरूप है, जो हमें यह सीख दे रही है कि हम सामूहिक रूप से इस चुनौती का सामना कर सकते हैं. हमें यह भी याद रखना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति पीड़ा से मुक्त नहीं है. इसलिए उन लोगों का ज्यादा से ज्यादा मदद करनी हैं, जिनका कोई घर, आजीविका कमाने का साधन और परिवार नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि यह संकट हमें बता रहा है कि हम अलग-अलग रहने पर भी एक दूसरे से अलग नहीं हैं. इसलिए, हम सबका यह कर्तव्य है कि हम करुणापूर्वक दूसरों की मदद करें. बौद्ध धर्मगुरू ने कहा कि जैसा कि मैंने अपने जीवनकाल में कई युद्ध और भयानक खतरों को खत्म होते देखा है. उसी तरह ये यह विषाणु भी खत्म हो जायेगा.

दलाई लामा ने कहा कि हमने इससे पहले भी कई बार वैश्विक समुदाय का पुनर्निर्माण किया है. उसी तरह इस बार भी करेंगे. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने दिखा दिया कि एक व्यक्ति के साथ जो घटित होता है उसे दूसरे लोगों के साथ घटित होने में देर नहीं लगती, लेकिन यह हमें इसका भी स्मरण कराता है कि करुणामय आचरण और रचनात्मक कार्यों में कई लोगों की मदद करने की क्षमता होती है, चाहे वह चिकित्सालय में मदद करके हो या फिर सामाजिक दूरी बनाये रखकर.

ये भी पढ़ें: कोरोना की मार...कैसे कांगड़ा-टी निकलेगी हिमाचल से बाहर, बागानों में ही मुरझा रही पत्तियां

धर्मशाला: कोरोना वायरस को लेकर पूरा विश्व चिंता में है. वहीं, बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा ने इस महामारी के दौरान कहा है कि केवल प्रार्थना करना पर्याप्त नहीं है, जहां तक संभव हो सब लोगों को अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा.

बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा ने कहा कि मेरे मित्र मुझसे अपनी जादुई शक्तियों का इस्तेमाल कर सभी समस्याओं को दूर करने की बता करते हैं. मैं हमेशा उनसे यही कहता हूं कि दलाई लामा के पास कोई जादुई शक्तियां नहीं हैं. जादुई शक्तियां होने पर मेरे पैर में दर्द और गले में खराश नहीं होती. हम सब एक समान हैं. साथ ही भय, आशा और अनिश्चितताओं का समान रूप से महसूस करते हैं.

बौद्ध धर्मगुरू ने कहा कि बौद्ध दर्शन के अनुसार हर प्राणी दुःख, रोग, बुढ़ापा और मृत्यु की सच्चाइयों से परिचित है. मनुष्य होने के नाते हम सब में अपनी बुद्धि-विवेक का इस्तेमाल कर क्रोध, घबराहट और लोभ से विमुक्त हो जाने की क्षमता है.

Dalai Lama
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा

दलाई लामा ने कहा कि हाल के वर्षों में मेरा भावनात्मक अशस्रीकरण पर जोर रहा है. इसका तात्पर्य है कि हम भय और रोष के भ्रम से बाहर निकलकर वस्तुस्थिति को स्पष्ट रूप में देखने की कोशिश करें. समस्या का समाधान होने पर हमें उसे ढूंढ़ने की कोशिश करनी चाहिए. समाधान न होने पर हमें उसके बारे में सोचकर समय नष्ट नहीं करना चाहिए.

बौद्ध धर्मगुरू ने कहा कि वुहान शहर में कोरोना वायरस फैलने की खबर मिलने के बाद से ही मैं चीन और दूसरे देशों के मेरे भाईयों और बहनों के लिए प्रार्थना कर रहा हूं. कोई भी इस वायरस से सुरक्षित नहीं है. हम सब अपने प्रियजनों एवं भविष्य और वैश्विक एवं व्यक्तिगत अर्थव्यवस्था दोनों को लेकर आशंकित हैं.

दलाईलामा ने कहा कि यह महामारी एक चेतावनी स्वरूप है, जो हमें यह सीख दे रही है कि हम सामूहिक रूप से इस चुनौती का सामना कर सकते हैं. हमें यह भी याद रखना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति पीड़ा से मुक्त नहीं है. इसलिए उन लोगों का ज्यादा से ज्यादा मदद करनी हैं, जिनका कोई घर, आजीविका कमाने का साधन और परिवार नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि यह संकट हमें बता रहा है कि हम अलग-अलग रहने पर भी एक दूसरे से अलग नहीं हैं. इसलिए, हम सबका यह कर्तव्य है कि हम करुणापूर्वक दूसरों की मदद करें. बौद्ध धर्मगुरू ने कहा कि जैसा कि मैंने अपने जीवनकाल में कई युद्ध और भयानक खतरों को खत्म होते देखा है. उसी तरह ये यह विषाणु भी खत्म हो जायेगा.

दलाई लामा ने कहा कि हमने इससे पहले भी कई बार वैश्विक समुदाय का पुनर्निर्माण किया है. उसी तरह इस बार भी करेंगे. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने दिखा दिया कि एक व्यक्ति के साथ जो घटित होता है उसे दूसरे लोगों के साथ घटित होने में देर नहीं लगती, लेकिन यह हमें इसका भी स्मरण कराता है कि करुणामय आचरण और रचनात्मक कार्यों में कई लोगों की मदद करने की क्षमता होती है, चाहे वह चिकित्सालय में मदद करके हो या फिर सामाजिक दूरी बनाये रखकर.

ये भी पढ़ें: कोरोना की मार...कैसे कांगड़ा-टी निकलेगी हिमाचल से बाहर, बागानों में ही मुरझा रही पत्तियां

Last Updated : Apr 15, 2020, 5:59 PM IST
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