पालमपुर: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस को लेकर कहा कि 1953 से लेकर आज तक डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस तो 67 बार आया, लेकिन भारत को बलिदान दिवस मनाने का वास्तविक अधिकार इस साल पहली बार 23 जून को प्राप्त हुआ है.
यह सौभाग्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस साहस भरे निर्णय के कारण हुआ. जिसके कारण 67 वर्षाें के बाद धारा-370 समाप्त हुई और केसर की क्यारी और भारत मां का मुकुट कश्मीर पूरी तरह भारत का हिस्सा बना. शांता कुमार ने इसके लिए पूरे देश को बधाई दी है.
शांता कुमार कहा है भारतीय जनसंघ ने डाॅ. मुखर्जी के नेतृत्व में 1953 में राष्ट्र व्यापी सत्याग्रह शुरू किया, जेलें भरी गईं. उन्होंने कहा कि सौभाग्य वश 19 वर्ष की आयु में कांगड़ा के दाे और कार्यकर्ताओं को लेकर सत्याग्रह किया और आठ महीने जेल में रहा.
जब डाॅ. मुखर्जी का बलिदान हुआ तब मैं जेल में था. उस समय के सत्याग्रह के कांगड़ा के अपने दो साथी डरोह के इन्द्रमोहन, सलियाणा के राम रतन पाल आज इस दुनिया में नहीं, वे और मंडी के मंत्री प्रसाद मेरे साथ हिसार जेल में रहे थे. हिसार जेल के उस समय के 25 साथियों में से आज एक भी जीवित नहीं है.
शांता कुमार ने कहा उस समय के उस संघर्ष के कारण कश्मीर के पूर्ण विलय को देखने के लिए प्रभु कृपा से केवल मैं ही जीवित हूं. उन्होने उन सब साथियों को श्रंद्धाजलि दी है और उस समय के हजारों सत्यग्रहियों को याद किया है. शांता कुमार ने कहा कि धारा-370 को समाप्त करना अब असंभव समझा जा रहा था. इस असंभव को संभव करने वाले नरेन्द्र मोदी को एक बार फिर से बधाई दी है.
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