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हमीरपुर जिले में गेंहू की फसल पर मंडराया पीले रतुआ का संकट, इस दवाई का करें छिड़काव

हमीरपुर जिले में गेंहू की फसल परपीले रतुआ का संकट मंडरा रहा है. पीला रतुआ की पहचान गेहूं के पत्तों पर पीली धारियों से कर सकते हैं. जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 5 से 7% गेहूं की फसल पीला रतुआ के रोग की चपेट में आ गई है. वहीं, कृषि विभाग की मानें तो आने वाले कुछ हफ्तों में पीला रतुआ रोग और फैलेगा. (Yellow rust in wheat crop in Hamirpur district) (Yellow rust in wheat crop)

पीला रतुआ की पहचान गेहूं के पत्तों पर पीली धारियों से कर सकते हैं
पीला रतुआ की पहचान गेहूं के पत्तों पर पीली धारियों से कर सकते हैं
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Published : Feb 26, 2023, 6:18 PM IST

हमीरपुर जिले में 5 से 7% तक गेहूं की फसल पीला रतुआ की चपेट में

हमीरपुर: हमीरपुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 5 से 7% गेहूं की फसल पीला रतुआ के रोग की चपेट में आ गई है. फसल का बीमारी से बचाव करने के लिए हमीरपुर जिले में सर्वेक्षण कमेटी का गठन किया गया है. इस कमेटी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पांच से सात प्रतिशत गेहूं की फसल पीला रतुआ रोग की चपेट में आ चुकी है. व्यास नदी के साथ लगते जिले के क्षेत्रों में यह बीमारी अधिक पाई गई है.

पीला रतुआ बीमारी से बचाव के लिए अब कृषि विभाग की टीम विभिन्न क्षेत्रों में जाकर लोगों को जागरूक को भी कर रही है और इस बीमारी से फसल को बचाने के लिए दवाई के छिड़काव की भी सलाह दे रही है. जिले में 32000 हेक्टेयर के लगभग गेहूं की बिजाई इस साल की गई है. 5 से 7% फसल के रोग से ग्रसित होने का मतलब है कि 2200 हेक्टेयर के लगभग गेंहू की फसल इस बीमारी से बुरी तरह से ग्रस्त है.

पीला रतुआ की पहचान गेहूं के पत्तों पर पीली धारियों से कर सकते हैं
पीला रतुआ की पहचान गेहूं के पत्तों पर पीली धारियों से कर सकते हैं

कृषि विभाग के उपनिदेशक अतुल डोगरा ने बताया कि कृषि विभाग कार्यालय हमीरपुर द्वारा गठित पीला रतुआ सर्वेक्षण कमेटी ने विभिन्न गांवों में जाकर खेतों गेहूं की फसल का सर्वेक्षण किया है. उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में निरीक्षण किया गया है वहां पर पीला रतुआ कुछ स्थानों पर शुरुआती चरण में है, जहां बीमारी का प्रकोप 2 से 3 प्रतिशत तक है. उन्होंने बताया कि बाहल और सधवान गांव में गेंहू की फसल में पीला रतुआ बीमारी का प्रकोप 5 से 7 प्रतिशत पाया गया. वहीं, मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर आने वाले कुछ दिनों में पीला रतुआ फसलों में और ज्यादा फैलने के आसार हैं. ऐसे में कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे इस अवधि के दौरान अपने खेतों में समय-समय पर निगरानी करें.

हमीरपुर जिले में गेंहू की फसल परपीले रतुआ का संकट मंडरा रहा है
हमीरपुर जिले में गेंहू की फसल परपीले रतुआ का संकट मंडरा रहा है

इस दवाई का छिड़काव करें किसान, यह है लक्षण: कृषि विभाग के उपनिदेशक अतुल डोगरा ने कहा कि यदि कहीं इस बीमारी के लक्षण गेहूं के खेत में दिखें तो प्रॉपिकॉनाजोले नामक फफूंद नाशक का एक मिलीलीटर एक लीटर पानी में घोल बनाकर लें और रोग ग्रसित क्षेत्र में छिड़काव कर दें. इसके अलावा जिले में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को अपनी गेहूं की फसल में 1 लीटर खट्टी लस्सी को 20 लीटर पानी में घोलकर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें. वहीं, अधिक जानकारी के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग के दफ्तर में संपर्क करें और जानकारी हासिल करें. उन्होंने बताया कि इस बीमारी का लक्षण यह है कि गेहूं के पत्तियां पीली हो जाती हैं और हाथ से मसलने पर यह पीलापन हाथों पर आ जाता है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में पहली बार होगी मुलेठी की पैदावार, हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान बनेगा सूत्रधार

हमीरपुर जिले में 5 से 7% तक गेहूं की फसल पीला रतुआ की चपेट में

हमीरपुर: हमीरपुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 5 से 7% गेहूं की फसल पीला रतुआ के रोग की चपेट में आ गई है. फसल का बीमारी से बचाव करने के लिए हमीरपुर जिले में सर्वेक्षण कमेटी का गठन किया गया है. इस कमेटी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पांच से सात प्रतिशत गेहूं की फसल पीला रतुआ रोग की चपेट में आ चुकी है. व्यास नदी के साथ लगते जिले के क्षेत्रों में यह बीमारी अधिक पाई गई है.

पीला रतुआ बीमारी से बचाव के लिए अब कृषि विभाग की टीम विभिन्न क्षेत्रों में जाकर लोगों को जागरूक को भी कर रही है और इस बीमारी से फसल को बचाने के लिए दवाई के छिड़काव की भी सलाह दे रही है. जिले में 32000 हेक्टेयर के लगभग गेहूं की बिजाई इस साल की गई है. 5 से 7% फसल के रोग से ग्रसित होने का मतलब है कि 2200 हेक्टेयर के लगभग गेंहू की फसल इस बीमारी से बुरी तरह से ग्रस्त है.

पीला रतुआ की पहचान गेहूं के पत्तों पर पीली धारियों से कर सकते हैं
पीला रतुआ की पहचान गेहूं के पत्तों पर पीली धारियों से कर सकते हैं

कृषि विभाग के उपनिदेशक अतुल डोगरा ने बताया कि कृषि विभाग कार्यालय हमीरपुर द्वारा गठित पीला रतुआ सर्वेक्षण कमेटी ने विभिन्न गांवों में जाकर खेतों गेहूं की फसल का सर्वेक्षण किया है. उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में निरीक्षण किया गया है वहां पर पीला रतुआ कुछ स्थानों पर शुरुआती चरण में है, जहां बीमारी का प्रकोप 2 से 3 प्रतिशत तक है. उन्होंने बताया कि बाहल और सधवान गांव में गेंहू की फसल में पीला रतुआ बीमारी का प्रकोप 5 से 7 प्रतिशत पाया गया. वहीं, मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर आने वाले कुछ दिनों में पीला रतुआ फसलों में और ज्यादा फैलने के आसार हैं. ऐसे में कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे इस अवधि के दौरान अपने खेतों में समय-समय पर निगरानी करें.

हमीरपुर जिले में गेंहू की फसल परपीले रतुआ का संकट मंडरा रहा है
हमीरपुर जिले में गेंहू की फसल परपीले रतुआ का संकट मंडरा रहा है

इस दवाई का छिड़काव करें किसान, यह है लक्षण: कृषि विभाग के उपनिदेशक अतुल डोगरा ने कहा कि यदि कहीं इस बीमारी के लक्षण गेहूं के खेत में दिखें तो प्रॉपिकॉनाजोले नामक फफूंद नाशक का एक मिलीलीटर एक लीटर पानी में घोल बनाकर लें और रोग ग्रसित क्षेत्र में छिड़काव कर दें. इसके अलावा जिले में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को अपनी गेहूं की फसल में 1 लीटर खट्टी लस्सी को 20 लीटर पानी में घोलकर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें. वहीं, अधिक जानकारी के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग के दफ्तर में संपर्क करें और जानकारी हासिल करें. उन्होंने बताया कि इस बीमारी का लक्षण यह है कि गेहूं के पत्तियां पीली हो जाती हैं और हाथ से मसलने पर यह पीलापन हाथों पर आ जाता है.

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