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जब वीरभद्र सिंह ने मरीजों को एयरलिफ्ट करने के लिए दिया सरकारी हेलीकॉप्टर, खुद रुके किन्नौर में

छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के सत्ताकाल में अनेक ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिससे ये साबित होता है कि वे जनता के हित को सर्वोपरि समझते थे. यहां हम एक ऐसी ही मानवीय संवेदनाओं से भरपूर घटना का जिक्र करेंगे. नीचे पढ़ें पूरी स्टोरी...

Untold stories related to former CM Late Virbhadra Singh, पूर्व सीएम स्वर्गीय वीरभद्र सिंह से जुड़ी अनकही कहानियां
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Published : Jul 13, 2021, 8:14 PM IST

Updated : Jul 13, 2021, 8:40 PM IST

शिमला: छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के सत्ताकाल में अनेक ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिससे ये साबित होता है कि वे जनता के हित को सर्वोपरि समझते थे. यहां हम एक ऐसी ही मानवीय संवेदनाओं से भरपूर घटना का जिक्र करेंगे.

अभी धर्मशाला में मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है. इससे भी भयानक तबाही वर्ष 2005 में पारछू झील के टूटने से आई बाढ़ के कारण हुई थी. बाढ़ से प्रभावित इलाकों का दौरा करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह हेलीकॉप्टर के जरिए किन्नौर गए.

वहां स्थितियों का जायजा लेने के बाद किसी तरह वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) को मालूम हुआ कि कुछ मरीज फंसे हैं और उनका अस्पताल पहुंचना जरूरी है. बस फिर क्या था, वीरभद्र सिंह ने आला अफसरों को हुक्म दिया कि सभी को हेलीकॉप्टर के जरिए रामपुर अस्पताल पहुंचाया जाए.

यही नहीं, शिमला वापसी के दौरान भी पांच मरीजों को आईजीएमसी अस्पताल लाना जरूरी थी. वीरभद्र सिंह ने सभी को हेलीकॉप्टर में बिठा लिया. अपने स्टाफ को गाड़ियों में आने के लिए कहा. वीरभद्र सिंह ने तब कहा था, स्टाफ मरीजों से इंपॉर्टेंट नहीं है.

हिमाचल में इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया के चर्चित पत्रकार संजीव शर्मा इस घटना के गवाह हैं. वापसी में वे भी वीरभद्र सिंह के साथ हेलीकॉप्टर में शिमला आए थे. वो सोलह सीटर हेलीकॉप्टर था. पत्रकारिता में तीन दशक से सक्रिय संजीव शर्मा ने इस पूरी घटना के बारे में बताया.

संजीव शर्मा के अनुसार हिमाचल और वीरभद्र सिंह का रिश्ता अटूट है. वीरभद्र सिंह अनंत में विलीन होने के बाद देवभूमि की स्मृतियों के सबसे चमकदार सितारे हो चुके हैं. उनके नाम के आगे बेशक अब स्वर्गीय शब्द जुड़ा है, परंतु वे हमेशा हिमाचल की जनता के दिलों में रहेंगे. वीरभद्र सिंह के सत्ता काल से जुड़ी अनेक ऐसी घटनाएं हैं, जिनसे अनुमान लगाया जा सकता है कि उनके मन में प्रदेश वासियों की कितनी चिंता रहती थी.

संजीव शर्मा ने बताया कि 2005 में पारछू त्रासदी के बाद सतलुज में उफान से समदो से सुन्नी तक भारी नुकसान हुआ. सबसे अधिक नुकसान सड़कों को हुआ. रामपुर से लेकर किन्नौर तक व्यापक तबाही हुई. इस त्रासदी से रामपुर से लेकर किन्नौर और अन्य प्रभावित इलाकों के लोग सदमे में थे.

वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) शिमला से किन्नौर के लिए रवाना हुए. उस समय सरकार के पास बड़ा हेलीकॉप्टर था और उसमें सोलह सीटें थीं. एक दिवसीय दौरे पर शिमला से रिकांगपिओ पहुंचे. विपक्ष के नेता तेजवंत नेगी जनता की परेशानियों को लेकर कुछ लोगों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

संजीव शर्मा ने बताया कि हेलीकॉप्टर का रोटर बंद होने से पहले वीरभद्र सिंह की नजर प्रदर्शनकारियों पर पड़ चुकी थी. वीरभद्र सिंह ने संजीव शर्मा की तरफ इशारा किया और कहा-अरे भई, इनसे पूछो क्या चाहते हैं? उधर, हेलीकॉप्टर से उतरते ही आला अफसर वीरभद्र सिंह को ब्रीफिंग के लिए आईटीबीपी के कॉन्फ्रेंस हॉल में ले गए.

हॉल हेलीपैड से नजदीक ही था. जिला प्रशासन का प्लान वीरभद्र सिंह को हेलीपैड पर ही ब्रीफ कर वापस शिमला रवाना कर देने का था. अधिकारी ये नहीं जानते थे कि वीरभद्र सिंह की आंखों में धूल झोंकना आसान नहीं है. संजीव शर्मा याद करते हैं कि जनता का विरोध प्रदर्शन कवर करने के बाद वे जैसे ही वीरभद्र सिंह के पास पहुंचे तो उन्होंने उनके कान में ये बात डाल दी कि कुछ बीमार लोग हैं और उनको रामपुर अस्पताल पहुंचाना जरूरी है.

वीरभद्र सिंह तुरंत सारी बात समझ गए. उन्होंने मीटिंग में मौजूद जिला के चीफ मेडिकल ऑफिसर को बुलाया और कोने में ले गए. सारी बात समझने के बाद उन्होंने हेलीकॉप्टर के पायलट को बुलाया और पूछा, हम रामपुर के लिए अभी कितनी बार उड़ान भर सकते हैं? पायलट बोला-सर, रामपुर से रिकांगपियो के बीच चार उड़ानें भरी जा सकती हैं.

ये सुनते ही वीरभद्र सिंह ने शिमला से अपने साथ आए स्टाफ को तुरंत हेलीकॉप्टर से रामपुर भेजा. सुरक्षा अधिकारी पदम और निजी सहायक देवीराम को छोड़ बाकी सबको जाने को कहा गया. स्थानीय प्रशासन को आदेश दिया गया कि जब तक हेलीकॉप्टर इन लोगों को रामपुर छोड़कर वापस आएगा, सभी मरीजों को हेलीपैड तक पहुंचाओ.

सीएम वीरभद्र सिंह ने तब तीमारदारों सहित 16 मरीजों को हेलीकॉप्टर के जरिए रामपुर अस्पताल भेजा. हालांकि दौरा एक दिन का था, लेकिन वीरभद्र सिंह ने मौके पर मौजूद अफसरों को आदेश दिया कि आज रात वे यहीं रुकेंगे. यही नहीं, डीसी को तुरंत आदेश जारी किया कि अभी शाम को रिब्बा चलेंगे. डीसी किन्नौर ने हिचकिचाते हुए कहा कि सर, वहां पैदल चलना पड़ेगा.

हाजिर जवाब वीरभद्र सिंह ने डीसी को करारा जवाब दिया और कहा, क्या तुम्हें पैदल चलना नहीं आता? खैर, वीरभद्र सिंह चार किलोमीटर पैदल चलकर रिब्बा पहुंचे. ग्रामीणों की तकलीफ सुनी. सुबह शिमला वापसी के लिए तैयार हुए तो फिर पूछा, कोई और मरीज है? पांच मरीज ऐसे थे, जिन्हें आईजीएमसी पहुंचाना जरूरी था.

संजीव शर्मा याद करते हैं कि सुबह हेलीकॉप्टर में मरीजों को बिठा लिया. हेलीकॉप्टर में बैठे-बैठे नीचे मौजूद गांवों के बारे में बताते रहे. इससे पता चलता है कि वीरभद्र सिंह ने समूचे प्रदेश के गांव-गांव नापे थे. जब उनसे पूछा कि स्टाफ कैसे आएगा, तो कहने लगे, आ जाएगा, मरीजों से इंपॉर्टेंट नहीं हैं वो.

शिमला में हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद संजीव शर्मा ने कहा, सर, मैं तो नाइट स्टे के लिए कपड़े ही नहीं लाया था. वीरभद्र सिंह ने तपाक से जवाब दिया, मैं भी इसी पैंट में सोया हूं. तो ऐसे थे वीरभद्र सिंह. इन स्मृतियों में प्रवेश करें तो समझ में आता है कि उनके देहावसान के बाद जनता का विशाल हुजूम क्यों उमड़ा था.

ये भी पढ़ें- मोबाइल से महरूम विद्यार्थियों को मिलेंगे फोन, 15 जुलाई को 'Donate a Mobile' मुहिम की होगी शुरुआत

शिमला: छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के सत्ताकाल में अनेक ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिससे ये साबित होता है कि वे जनता के हित को सर्वोपरि समझते थे. यहां हम एक ऐसी ही मानवीय संवेदनाओं से भरपूर घटना का जिक्र करेंगे.

अभी धर्मशाला में मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है. इससे भी भयानक तबाही वर्ष 2005 में पारछू झील के टूटने से आई बाढ़ के कारण हुई थी. बाढ़ से प्रभावित इलाकों का दौरा करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह हेलीकॉप्टर के जरिए किन्नौर गए.

वहां स्थितियों का जायजा लेने के बाद किसी तरह वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) को मालूम हुआ कि कुछ मरीज फंसे हैं और उनका अस्पताल पहुंचना जरूरी है. बस फिर क्या था, वीरभद्र सिंह ने आला अफसरों को हुक्म दिया कि सभी को हेलीकॉप्टर के जरिए रामपुर अस्पताल पहुंचाया जाए.

यही नहीं, शिमला वापसी के दौरान भी पांच मरीजों को आईजीएमसी अस्पताल लाना जरूरी थी. वीरभद्र सिंह ने सभी को हेलीकॉप्टर में बिठा लिया. अपने स्टाफ को गाड़ियों में आने के लिए कहा. वीरभद्र सिंह ने तब कहा था, स्टाफ मरीजों से इंपॉर्टेंट नहीं है.

हिमाचल में इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया के चर्चित पत्रकार संजीव शर्मा इस घटना के गवाह हैं. वापसी में वे भी वीरभद्र सिंह के साथ हेलीकॉप्टर में शिमला आए थे. वो सोलह सीटर हेलीकॉप्टर था. पत्रकारिता में तीन दशक से सक्रिय संजीव शर्मा ने इस पूरी घटना के बारे में बताया.

संजीव शर्मा के अनुसार हिमाचल और वीरभद्र सिंह का रिश्ता अटूट है. वीरभद्र सिंह अनंत में विलीन होने के बाद देवभूमि की स्मृतियों के सबसे चमकदार सितारे हो चुके हैं. उनके नाम के आगे बेशक अब स्वर्गीय शब्द जुड़ा है, परंतु वे हमेशा हिमाचल की जनता के दिलों में रहेंगे. वीरभद्र सिंह के सत्ता काल से जुड़ी अनेक ऐसी घटनाएं हैं, जिनसे अनुमान लगाया जा सकता है कि उनके मन में प्रदेश वासियों की कितनी चिंता रहती थी.

संजीव शर्मा ने बताया कि 2005 में पारछू त्रासदी के बाद सतलुज में उफान से समदो से सुन्नी तक भारी नुकसान हुआ. सबसे अधिक नुकसान सड़कों को हुआ. रामपुर से लेकर किन्नौर तक व्यापक तबाही हुई. इस त्रासदी से रामपुर से लेकर किन्नौर और अन्य प्रभावित इलाकों के लोग सदमे में थे.

वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) शिमला से किन्नौर के लिए रवाना हुए. उस समय सरकार के पास बड़ा हेलीकॉप्टर था और उसमें सोलह सीटें थीं. एक दिवसीय दौरे पर शिमला से रिकांगपिओ पहुंचे. विपक्ष के नेता तेजवंत नेगी जनता की परेशानियों को लेकर कुछ लोगों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

संजीव शर्मा ने बताया कि हेलीकॉप्टर का रोटर बंद होने से पहले वीरभद्र सिंह की नजर प्रदर्शनकारियों पर पड़ चुकी थी. वीरभद्र सिंह ने संजीव शर्मा की तरफ इशारा किया और कहा-अरे भई, इनसे पूछो क्या चाहते हैं? उधर, हेलीकॉप्टर से उतरते ही आला अफसर वीरभद्र सिंह को ब्रीफिंग के लिए आईटीबीपी के कॉन्फ्रेंस हॉल में ले गए.

हॉल हेलीपैड से नजदीक ही था. जिला प्रशासन का प्लान वीरभद्र सिंह को हेलीपैड पर ही ब्रीफ कर वापस शिमला रवाना कर देने का था. अधिकारी ये नहीं जानते थे कि वीरभद्र सिंह की आंखों में धूल झोंकना आसान नहीं है. संजीव शर्मा याद करते हैं कि जनता का विरोध प्रदर्शन कवर करने के बाद वे जैसे ही वीरभद्र सिंह के पास पहुंचे तो उन्होंने उनके कान में ये बात डाल दी कि कुछ बीमार लोग हैं और उनको रामपुर अस्पताल पहुंचाना जरूरी है.

वीरभद्र सिंह तुरंत सारी बात समझ गए. उन्होंने मीटिंग में मौजूद जिला के चीफ मेडिकल ऑफिसर को बुलाया और कोने में ले गए. सारी बात समझने के बाद उन्होंने हेलीकॉप्टर के पायलट को बुलाया और पूछा, हम रामपुर के लिए अभी कितनी बार उड़ान भर सकते हैं? पायलट बोला-सर, रामपुर से रिकांगपियो के बीच चार उड़ानें भरी जा सकती हैं.

ये सुनते ही वीरभद्र सिंह ने शिमला से अपने साथ आए स्टाफ को तुरंत हेलीकॉप्टर से रामपुर भेजा. सुरक्षा अधिकारी पदम और निजी सहायक देवीराम को छोड़ बाकी सबको जाने को कहा गया. स्थानीय प्रशासन को आदेश दिया गया कि जब तक हेलीकॉप्टर इन लोगों को रामपुर छोड़कर वापस आएगा, सभी मरीजों को हेलीपैड तक पहुंचाओ.

सीएम वीरभद्र सिंह ने तब तीमारदारों सहित 16 मरीजों को हेलीकॉप्टर के जरिए रामपुर अस्पताल भेजा. हालांकि दौरा एक दिन का था, लेकिन वीरभद्र सिंह ने मौके पर मौजूद अफसरों को आदेश दिया कि आज रात वे यहीं रुकेंगे. यही नहीं, डीसी को तुरंत आदेश जारी किया कि अभी शाम को रिब्बा चलेंगे. डीसी किन्नौर ने हिचकिचाते हुए कहा कि सर, वहां पैदल चलना पड़ेगा.

हाजिर जवाब वीरभद्र सिंह ने डीसी को करारा जवाब दिया और कहा, क्या तुम्हें पैदल चलना नहीं आता? खैर, वीरभद्र सिंह चार किलोमीटर पैदल चलकर रिब्बा पहुंचे. ग्रामीणों की तकलीफ सुनी. सुबह शिमला वापसी के लिए तैयार हुए तो फिर पूछा, कोई और मरीज है? पांच मरीज ऐसे थे, जिन्हें आईजीएमसी पहुंचाना जरूरी था.

संजीव शर्मा याद करते हैं कि सुबह हेलीकॉप्टर में मरीजों को बिठा लिया. हेलीकॉप्टर में बैठे-बैठे नीचे मौजूद गांवों के बारे में बताते रहे. इससे पता चलता है कि वीरभद्र सिंह ने समूचे प्रदेश के गांव-गांव नापे थे. जब उनसे पूछा कि स्टाफ कैसे आएगा, तो कहने लगे, आ जाएगा, मरीजों से इंपॉर्टेंट नहीं हैं वो.

शिमला में हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद संजीव शर्मा ने कहा, सर, मैं तो नाइट स्टे के लिए कपड़े ही नहीं लाया था. वीरभद्र सिंह ने तपाक से जवाब दिया, मैं भी इसी पैंट में सोया हूं. तो ऐसे थे वीरभद्र सिंह. इन स्मृतियों में प्रवेश करें तो समझ में आता है कि उनके देहावसान के बाद जनता का विशाल हुजूम क्यों उमड़ा था.

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Last Updated : Jul 13, 2021, 8:40 PM IST
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