हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh Technical University) में ईआरपी और फर्नीचर खरीद में घोटाले के आरोपों को कार्यकारी कुलपति एवं कुलसचिव अनुपम कुमार ठाकुर ने सिरे से खारिज किया है. तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर के कार्यकारी कुलपति एवं कुलसचिव अनुपम कुमार ठाकुर (Anupam Kumar Thakur) ने कहा कि ईआरपी (उद्यम संसाधन योजना) और फर्नीचर खरीद को लेकर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं.
उन्होंने कहा कि तकनीकी विवि में ईआरपी (ERP) खरीद को लेकर पूरी तरह नियमों का पालन किया गया है. मार्च 2019 में पहली बार टेंडर प्रक्रिया अमल में लाई गई थी. जिसमें छह फर्म के आवेदन आए थे और उसमें वर्तमान फर्म का आवेदन नहीं था. इसलिए यह आरोप यहीं तथ्यहीन साबित होता है, दो बार फर्म का टेंडर रद्द होने के बाद तीसरी बार उसी फर्म से ईआरपी खरीदा गया.
जांच कमेटी ने इन छह फर्मों में सिर्फ एक फर्म को पात्र पाया था, जिसके चलते टेंडर रद्द किया गया है. जुलाई 2019 में दूसरी बार टेंडर कॉल किया गया. जिसकी प्री बिड में आठ फर्म के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. इसी दौरान किसी ने इस टेंडर प्रक्रिया को लेकर आपत्ति जताई थी. तकनीकी विवि ने समिति व विशेषज्ञों ने दूसरी बार की टेंडर प्रक्रिया को भी सितंबर 2019 में रद्द करना ही उचित समझा, ताकि किसी आवेदक को कोई संदेह न रहे.
अक्टूबर 2019 में तीसरी बार टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई. जिसमें वर्तमान में ईआरपी उपलब्ध करवा रही फर्म तय मापदंडों पर सही पाई गई. जिसके चलते उन्हें ईआरपी का काम आबंटित किया गया. 1 दिसंबर को तकनीकी विवि को ईआरपी गो लाइव कर दिया है, जिसमें कुल 32 मॉड्यूल शामिल हैं. उसके बाद ही एनुअल मेंटेनेंस चार्जेज (Annual Maintenance Charges) दिए गए हैं, जो इस साल दिसंबर तक जारी है.
पूरे नियमों के तहत ईआरपी खरीद की गई है. वेब स्टूडियो व डाटा सेंटर का तकनीकी विवि प्रयोग रहा है. फर्नीचर खरीद की पूरी प्रक्रिया भारत सरकार के केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (Central Public Works Department) के माध्यम से की गई है, इसलिए फर्नीचर खरीद पूरी पारदर्शिता साथ की गई है. ईआरपी खरीद में अब तक चार बार आंतरिक और दो बार बाहरी और दो बार परफॉर्मेंस ऑडिट (Performance Audit) की प्रक्रिया अमल में लाई गई है. इन सभी ऑडिटों में सब कुछ सही पाया गया है.
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