हमीरपुर: प्रदेश के हमीरपुर जिला में नवंबर 1978 में स्थापित हुए सैनिक स्कूल सुजानपुर को देशभर में एनडीए की नर्सरी के रूप में जाना जाता है. 1984 में स्कूल से पहला बारहवीं कक्षा का बैच पास आउट हुआ था. सुजानपुर स्कूल से पिछले दो सालों में सबसे ज्यादा बच्चे एनडीए में चयनित हुए हैं. अब तक ये स्कूल 450 सैन्य अधिकारी इस देश को दे चुका है.
1984 के पहले बैच में प्रतीक मोहिल, संजीव कुमार सूद, सुधीर कुमार कुल तीन विद्यार्थी यहां से एनडीए के लिए चयनित हुए और इसके बाद सैनिक स्कूल सुजानपुर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. हर साल यह आंकड़ा बढ़ता गया और लगातार साल दर साल यहां से देश की सेवा के लिए बच्चे एनडीए में भर्ती होते रहे.
पिछले दो सालों से लगातार इस स्कूल से सबसे अधिक बच्चे एनडीए में भर्ती हुए हैं, जिसके चलते रक्षा राज्य मंत्री ट्रॉफी दो बार लगातार इस स्कूल के नाम रही है. इस वर्ष सैनिक स्कूल सुजानपुर से 15 छात्र एनडीए में शामिल हुए हैं. सैनिक स्कूल सुजानपुर चार बार रक्षा राज्य मंत्री ट्रॉफी पर अपना कब्जा जमा चुका है. शहादत की बात की जाए तो कारगिल युद्ध में शहीद हुए पालमपुर के मेजर सुधीर कुमार वालिया सैनिक स्कूल सुजानपुर के स्टूडेंट रहे हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने स्कूल का दौरा कर जाना कि आखिर स्कूल में क्या कुछ ऐसा करवाया जाता है, जिससे कि बच्चे एनडीए में पहुंचने के काबिल बनते हैं. वर्तमान समय में कुल 521 बच्चे छठी कक्षा से 12वीं कक्षा तक स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. सुबह पांच बजे उठने के बाद बच्चों की दिनचर्या शुरू होती है. दिनचर्या में सबसे पहले ऐतिहासिक सुजानपुर मैदान में जॉगिंग होती है और सुबह की पीटी ड्रेस इंस्पेक्शन और ब्रेकफास्ट के बाद 8:15 बजे तक हाउस असेंबली के लिए बच्चे तैयार हो जाते हैं.
निर्धारित दिनों में क्रॉस कंट्री का आयोजन भी होता है. ये क्रॉस कंट्री ऐतिहासिक सुजानपुर किले से शुरू होकर चौगान मैदान में खत्म होती है. स्कूल में पढ़ाई का सिलसिला 8:30 बजे से शुरू होता है और 1:30 बजे लंच के बाद 2:30 बजे तक बच्चे रेस्ट करते हैं. इसके बाद गेम्स और एक्स्ट्रा एक्टिविटी का दौर शुरू होता है. पढ़ाई और खेलकूद के साथ ही बच्चों के मनोरंजन के लिए टीवी देखने की व्यवस्था भी होती है. इसके अलावा बच्चों को स्विमिंग के साथ-साथ अन्य खेलों के लिए भी तैयार किया जाता है.
साल भर बच्चों का यही रूटीन रहता है, लेकिन एनडीए के एग्जाम से एक महीना पहले रूटीन पढ़ाई को एक तरफ छोड़कर बच्चों को सिर्फ एनडीए के लिए तैयार किया जाता है. यही कारण है कि हर साल यहां सबसे अधिक बच्चे चयनित होते हैं. हालांकि इस स्कूल में अभी तक सिर्फ लड़कों के लिए ही बोर्डिंग की व्यवस्था है, लेकिन अब स्कूल प्रबंधन ने प्रदेश सरकार को यहां पर लड़कियों के लिए भी बोर्डिंग की व्यवस्था करने के लिए 10 करोड़ का प्रपोजल भेजा है.
स्कूल के उप-प्रधानाचार्य जसकरण सिंह परमार ने बताया कि अभी तक कुल चार बार राज्य रक्षा मंत्री ट्रॉफी स्कूल को मिल चुकी है. यह ट्रॉफी उस स्कूल का मिलती है, जहां सबसे अधिक बच्चे एनडीए के लिए चयनित होते हैं. एनडीए के लिए बच्चों को तैयार करने के लिए एक महीना सिलेबस की पढ़ाई छोड़कर एनडीए की तैयारी करवाई जाती है. साल भर बच्चों को ऐसे माहौल में ढाला जाता है कि वह देश सेवा के लिए तत्पर हो जाते हैं.