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कोरोना काल में संकटमोचक बने देवभूमि के ये हीरो, हर मोर्चे पर डटे रहे कोरोना वॉरियर्स - हिमाचल में हेल्थ केयर वर्कर

देश और प्रदेश में कोरोना संकट को देखते हुए साल 2020 में मार्च में जिस समय लॉकडाउन लगाया गया, समाज के सभी वर्गों में डर का माहौल पैदा हो गया. हिमाचल में आरंभिक समय में कोरोना की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में थी, लेकिन जब केस बढ़ने लगे तो कोरोना वॉरियर्स ने मोर्चा संभाल लिया. देखिए विशेष रिपोर्ट...

corona warriors in himachal
कोरोना काल में संकटमोचक बने देवभूमि के ये हीरो
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Published : Dec 27, 2020, 3:52 PM IST

हमीरपुर: वैश्विक महामारी कोविड-19 के संकटपूर्ण समय में देवभूमि हिमाचल में बहुत से लोगों ने कोरोना हीरो बनकर अपने सेवाभाव की छाप छोड़ी. कोरोना हीरोज की इस श्रेणी में आम आदमी से लेकर डॉक्टर्स, पुलिस कर्मी व अफसर शामिल हैं.

मार्च में जिस समय लॉकडाउन लगाया गया, समाज के सभी वर्गों में डर का माहौल पैदा हो गया. हिमाचल में आरंभिक समय में कोरोना की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में थी, लेकिन जब केस बढ़ने लगे तो कोरोना वॉरियर्स ने मोर्चा संभाल लिया.

लॉकडाउन के समय स्वयंसेवी संगठनों के साथ सरकार ने भी श्रमिकों व निर्धन लोगों के लिए राशन आदि की व्यवस्था की. आम ग्रामीण महिलाओं से लेकर महिला विधायक तक ने मास्क सिलने और बांटने का सिलसिला शुरू किया.

वीडियो रिपोर्ट.

अस्पतालों में मरीज पहुंचने लगे तो डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ ने अपनी भूमिका शुरू कर दी. शिमला में ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स नामक संस्था चलाने वाले सरबजीत सिंह बॉबी ने अस्पताल जाने वाले मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस की व्यवस्था की. साथ ही उनके द्वारा शुरू किए गए लंगर में मरीजों और तीमारदारों को भोजन की कोई कमी नहीं थी.

स्वास्थ्य विभाग में जब केंद्र व निजी संस्थाओं की तरफ से पीपीई किट्स व अन्य उपकरणों की सप्लाई आई तो डिप्टी डॉयरेक्टर हेल्थ डॉ. रमेश चंद ने अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर सामान की ढुलाई तक खुद की. कांगड़ा जिला और ऊना जिला के डीसी लगातार कोरोना सिपाही की तरह मोर्चे पर डटे थे.

डाक विभाग की अहम भूमिका

डाक विभाग ने पेंशन वितरण का काम बाखूबी निभाया. अकेले ऊना डिविजन ने घर-घर जाकर पूरे लॉकडाउन पीरियड में लाखों रुपए की पेंशन बुजुर्गों व विधवाओं को दी. डाक विभाग के सराहनीय कार्य के लिए ऊना के डाक मंडल को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से प्रशस्ति पत्र भी मिला.

अगर हमीरपुर जिला की बात की जाए तो यहां पर सदर थाना हमीरपुर के एसएचओ समय तक भोरंज थाना के एसएचओ और दर्जनों पुलिस कर्मचारी भी जिला में कोरोना पॉजिटिव हो गए, हाल ही में हमीरपुर जिला में ज्वाइन करने वाले डीएसपी रोहित डोगरा भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए.

फर्ज के आगे शादी तक पॉस्टपॉन्ड

संकटकाल में हेल्थ केयर वर्कर की सेवाओं का महत्वपूर्ण योगदान है. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर की एक डॉक्टर और नर्स ने अपने फर्ज को पूरा करने के लिए शादी तक को स्थगित कर दिया तथा कोविड सेंटर में डॉक्टरों के दौरान अपनी सेवाएं दी.

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में कई चिकित्सक और स्टाफ सदस्य भी सेवाएं देते हुए संक्रमित हुए. जिला जनसंपर्क अधिकारी, आरटीओ हमीरपुर सीडीपीओ हमीरपुर तथा नगर परिषद हमीरपुर के कार्यकारी अधिकारी भी संक्रमित हो गए. इन अधिकारियों ने भी संकटकाल के इस दौर में सराहनीय सेवाएं दी.

मजदूरों के लिए आफत बना लॉकडाउन

प्रशासन की सेवाएं भी इस संकट काल में सराहनीय रही हैं. कोरोना की वजह से जब देश में लॉकडाउन लगा तो प्रवासी मजदूरों को घर द्वार पर राशन उपलब्ध करवाना बड़ी चुनौती था, जिससे निपटते हुए जिला प्रशासन के माध्यम से जरूरतमंदों को दो वक्त का खाना उपलब्ध करवाया गया.

नादौन विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर ने आर्थिक तंगी से फंदा लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया उसकी पत्नी ने हिम्मत दिखाकर पति को अस्पताल पहुंचा कर उसकी जान बचा ली इसके बाद प्रशासन ने इस प्रवासी परिवार के लिए राशन उपलब्ध करवाया तथा आर्थिक तौर पर मदद की.

ये भी पढ़ें: साल 2020: भाजपा के मुखिया को देना पड़ा इस्तीफा, कांग्रेस को मिला नया प्रभारी

इस प्रभावित परिवार की समस्या को ईटीवी भारत ने खबर के माध्यम से स्थानीय प्रशासन के समक्ष रखा तथा आर्थिक तौर पर भी परिवार की मदद की. हिमाचल प्रदेश सरकार की मदद के लिए बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से 5 करोड रुपये की राशि दी गई और जरूरतमंदों को मंदिर ट्रस्ट ने खाने-पीने की सामग्री भी जिला भर में उपलब्ध करवाई.

ये भी पढ़ें: सरकार के तीन साल: सीएम जयराम बोले, कोविड संकट के बावजूद नहीं रुका विकास

हमीरपुर: वैश्विक महामारी कोविड-19 के संकटपूर्ण समय में देवभूमि हिमाचल में बहुत से लोगों ने कोरोना हीरो बनकर अपने सेवाभाव की छाप छोड़ी. कोरोना हीरोज की इस श्रेणी में आम आदमी से लेकर डॉक्टर्स, पुलिस कर्मी व अफसर शामिल हैं.

मार्च में जिस समय लॉकडाउन लगाया गया, समाज के सभी वर्गों में डर का माहौल पैदा हो गया. हिमाचल में आरंभिक समय में कोरोना की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में थी, लेकिन जब केस बढ़ने लगे तो कोरोना वॉरियर्स ने मोर्चा संभाल लिया.

लॉकडाउन के समय स्वयंसेवी संगठनों के साथ सरकार ने भी श्रमिकों व निर्धन लोगों के लिए राशन आदि की व्यवस्था की. आम ग्रामीण महिलाओं से लेकर महिला विधायक तक ने मास्क सिलने और बांटने का सिलसिला शुरू किया.

वीडियो रिपोर्ट.

अस्पतालों में मरीज पहुंचने लगे तो डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ ने अपनी भूमिका शुरू कर दी. शिमला में ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स नामक संस्था चलाने वाले सरबजीत सिंह बॉबी ने अस्पताल जाने वाले मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस की व्यवस्था की. साथ ही उनके द्वारा शुरू किए गए लंगर में मरीजों और तीमारदारों को भोजन की कोई कमी नहीं थी.

स्वास्थ्य विभाग में जब केंद्र व निजी संस्थाओं की तरफ से पीपीई किट्स व अन्य उपकरणों की सप्लाई आई तो डिप्टी डॉयरेक्टर हेल्थ डॉ. रमेश चंद ने अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर सामान की ढुलाई तक खुद की. कांगड़ा जिला और ऊना जिला के डीसी लगातार कोरोना सिपाही की तरह मोर्चे पर डटे थे.

डाक विभाग की अहम भूमिका

डाक विभाग ने पेंशन वितरण का काम बाखूबी निभाया. अकेले ऊना डिविजन ने घर-घर जाकर पूरे लॉकडाउन पीरियड में लाखों रुपए की पेंशन बुजुर्गों व विधवाओं को दी. डाक विभाग के सराहनीय कार्य के लिए ऊना के डाक मंडल को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से प्रशस्ति पत्र भी मिला.

अगर हमीरपुर जिला की बात की जाए तो यहां पर सदर थाना हमीरपुर के एसएचओ समय तक भोरंज थाना के एसएचओ और दर्जनों पुलिस कर्मचारी भी जिला में कोरोना पॉजिटिव हो गए, हाल ही में हमीरपुर जिला में ज्वाइन करने वाले डीएसपी रोहित डोगरा भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए.

फर्ज के आगे शादी तक पॉस्टपॉन्ड

संकटकाल में हेल्थ केयर वर्कर की सेवाओं का महत्वपूर्ण योगदान है. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर की एक डॉक्टर और नर्स ने अपने फर्ज को पूरा करने के लिए शादी तक को स्थगित कर दिया तथा कोविड सेंटर में डॉक्टरों के दौरान अपनी सेवाएं दी.

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में कई चिकित्सक और स्टाफ सदस्य भी सेवाएं देते हुए संक्रमित हुए. जिला जनसंपर्क अधिकारी, आरटीओ हमीरपुर सीडीपीओ हमीरपुर तथा नगर परिषद हमीरपुर के कार्यकारी अधिकारी भी संक्रमित हो गए. इन अधिकारियों ने भी संकटकाल के इस दौर में सराहनीय सेवाएं दी.

मजदूरों के लिए आफत बना लॉकडाउन

प्रशासन की सेवाएं भी इस संकट काल में सराहनीय रही हैं. कोरोना की वजह से जब देश में लॉकडाउन लगा तो प्रवासी मजदूरों को घर द्वार पर राशन उपलब्ध करवाना बड़ी चुनौती था, जिससे निपटते हुए जिला प्रशासन के माध्यम से जरूरतमंदों को दो वक्त का खाना उपलब्ध करवाया गया.

नादौन विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर ने आर्थिक तंगी से फंदा लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया उसकी पत्नी ने हिम्मत दिखाकर पति को अस्पताल पहुंचा कर उसकी जान बचा ली इसके बाद प्रशासन ने इस प्रवासी परिवार के लिए राशन उपलब्ध करवाया तथा आर्थिक तौर पर मदद की.

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इस प्रभावित परिवार की समस्या को ईटीवी भारत ने खबर के माध्यम से स्थानीय प्रशासन के समक्ष रखा तथा आर्थिक तौर पर भी परिवार की मदद की. हिमाचल प्रदेश सरकार की मदद के लिए बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से 5 करोड रुपये की राशि दी गई और जरूरतमंदों को मंदिर ट्रस्ट ने खाने-पीने की सामग्री भी जिला भर में उपलब्ध करवाई.

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