हमीरपुर: जल ही जीवन है जल है तो कल है इस तरह की कहावतें जल शक्ति विभाग की तरफ से कई जगहों पर लिखी हुई देखी जा सकती हैं, लेकिन दीपक तले अंधेरे वाली कहावत भी जल शक्ति विभाग हमीरपुर पर सटीक बैठती है.
हमीरपुर शहर और आसपास के क्षेत्रों में कई जगहों पर एक महीने तो कई जगहों पर एक डेढ़ साल से जल रिसाव पाइपों से हो रहा, लेकिन ना तो विभाग ने सुध ली और ना ही संबंधित संस्थानों ने. हमीरपुर शहर में तो हालात कुछ ऐसे हैं कि सीमेंट की बोरियों से पानी की लीकेज को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं.
वहीं, विभाग का तर्क है कि लाखों रुपए इस तरह की लीकेज को रोकने के लिए खर्च किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर विभाग के दावे शून्य ही नजर आते हैं. हमीरपुर के वार्ड नंबर 3 में जल शक्ति विभाग के दावों की पोल खुल रही है.
यहां पर एक घर के साथ लंबे समय से लीक हो रही पाइप लाइन से हर दिन सैकड़ों लीटर पानी व्यर्थ बहता है. स्थानीय लोगों की मानें तो कई बार विभाग को सूचित किया गया है, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं है.
हमीरपुर निवासी मनीष का कहना है कि जल शक्ति विभाग जल है तो कल है, जल संरक्षण इत्यादि के नारे तो खूब लिखता है, लेकिन पानी व्यर्थ ही बह रहा है. सरकार और विभाग को इस तरफ ध्यान देना चाहिए.
मनजीत सिंह का कहना है कि विभाग के बहाने बाजी चलती रहती है. उनका कहना है कि महीने नहीं बल्कि डेढ़ साल से समस्या पेश आ रही है. यहां पर पानी की पाइप लाइन लीक हो रही थी. लोग समस्या बताते रहते हैं, लेकिन उस पर कोई गौर नहीं किया जाता है.
पाइप लाइन के लीकेज की समस्या से प्रभावित होशियार सिंह का कहना है कि उनके घर के दीवारों के अंदर सीलन आ गई है. लगातार 1 महीने से विभाग के पाइप लाइन रिस रही थी. अब कहीं जाकर समस्या का समाधान हुआ है.
जल शक्ति विभाग के फिटर अशोक कुमार का कहना है कि तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर की पाइपलाइन लेट थी इसके बारे में विश्वविद्यालय प्रबंधन को बताया गया था, लेकिन प्रबंधन की तरफ से पाइपलाइन की मरम्मत के लिए लेबर नहीं भेजी गई थी. जिस वजह से यह कार्य दे रही थी हुआ कई बार फोन पर संपर्क किया गया लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन की तरफ से देरी की गई.
जल शक्ति विभाग हमीरपुर के अधिशासी अभियंता नीरज भोगल का कहना है कि हमीरपुर डिवीजन में पाइप लाइनों की मरम्मत पर 1 साल में ₹5000000 के लगभग खर्च किया जाता है.
उन्होंने कहा कि किसी भी निजी अथवा सरकारी संस्थान तक वह पाइपलाइन संस्थान के खर्च पर ही बिछाते हैं और उसके बाद यदि मरम्मत करनी पड़ती है तो इसके लिए संस्थान को ही खर्च वहन करना पड़ता है और इसके बारे में विभाग सूचित करता है. उन्होंने कहा कि यहां पर समस्या पेश आती है विभाग बजट के अनुसार खर्च करते हुए समस्या का समाधान करता है ताकि जल व्यर्थ ना बहे.
आपको बता दें कि तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर के प्रशासन का तर्क है कि पाइपलाइन की लीकेज के बारे में उन्हें एक हफ्ता पहले ही पता चला तो उन्होंने तुरंत इसके बारे में जो जल शक्ति विभाग को समाधान करने का आग्रह किया.
वहीं, जल शक्ति विभाग को समस्या के बारे में स्थानीय लोगों ने पहले ही बता दिया था कि पाइप लाइन से जमीन के अंदर रिसाव हो रहा है और इसे एक घर की दीवार में सीलन भी आ चुकी है. यह तो महज तकनीकी विश्वविद्यालय का उदाहरण था ऐसे कई समस्याएं शहर में पेश आ रही हैं कई जगहों पर जल्द यूं ही व्यर्थ बह रहा है.