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धूमल ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को दी श्रद्धांजलि, कहा: भारत के लिए बचाया था आधा पंजाब और बंगाल

आज महान क्रांतिकारी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि है. इस दौरान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इस दौरान उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे.

पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल
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Published : Jun 23, 2021, 4:04 PM IST

हमीरपुर: भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर हिमाचल के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी. प्रेम कुमार धूमल ने उन्हें क्रांतिकारी और राष्ट्रीय चिंतक बताया. इस दौरान उन्होंने उनके देश के लिए दिए योगदान के लिए भी याद किया.

प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि बंगाल की भूमि ने कितने ही क्रांतिकारियों को जन्म दिया है, उनमें से एक महान क्रांतिकारी डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी थे. पावन बंगभूमि से पैदा हुए डॉ. मुखर्जी ने अपनी प्रतिभा से समाज को चमत्कृत किया था. पूर्व सीएम ने कहा कि एक देश में दो विधान दो निशान दो प्रधान के धुर विरोधी रहे डॉक्टर मुखर्जी ने सर्वप्रथम जम्मू कश्मीर में धारा 370 खत्म करने की जोरदार आवाज उठाई थी. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि डॉ. मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे. उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झंडा और अलग संविधान था. वहां का मुख्यमंत्री (वजीरे-आज़म) यानी की प्रधानमंत्री कहलाता था.

संसद में अपने भाषण में डॉ. मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की. अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े. वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नजरबंद कर लिया गया. 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी.

भारतीय जनसंघ नाम से बनाई थी नई पार्टी

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रिटिश सरकार के भारत विभाजन के षड्यंत्र के समय डॉ. मुखर्जी ने आधा बंगाल और आधा पंजाब भारत के लिए बचा लिया था. अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में एक गैर-कांग्रेसी मंत्री के रूप में डॉ. मुखर्जी ने उद्योग मंत्रालय का काम संभाला. उन्होंने देश में रेल इंजन और जहाज बनाने और खाद के कारखाने स्थापित करवाए. उनके सहयोग से ही हैदराबाद निजाम को भारत में विलीन होना पड़ा. प्रो. धूमल ने कहा कि राष्ट्रवादी चिंतन और राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी प्राथमिकता मानने वाले डॉक्टर मुखर्जी ने भारत के प्रथम मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ के नाम से नई पार्टी की स्थापना की थी.

ये भी पढ़ें- बड़सर और सुजानपुर के किसानों को झटका, धान की फसल का नहीं करवा सकेंगे बीमा

हमीरपुर: भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर हिमाचल के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी. प्रेम कुमार धूमल ने उन्हें क्रांतिकारी और राष्ट्रीय चिंतक बताया. इस दौरान उन्होंने उनके देश के लिए दिए योगदान के लिए भी याद किया.

प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि बंगाल की भूमि ने कितने ही क्रांतिकारियों को जन्म दिया है, उनमें से एक महान क्रांतिकारी डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी थे. पावन बंगभूमि से पैदा हुए डॉ. मुखर्जी ने अपनी प्रतिभा से समाज को चमत्कृत किया था. पूर्व सीएम ने कहा कि एक देश में दो विधान दो निशान दो प्रधान के धुर विरोधी रहे डॉक्टर मुखर्जी ने सर्वप्रथम जम्मू कश्मीर में धारा 370 खत्म करने की जोरदार आवाज उठाई थी. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि डॉ. मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे. उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झंडा और अलग संविधान था. वहां का मुख्यमंत्री (वजीरे-आज़म) यानी की प्रधानमंत्री कहलाता था.

संसद में अपने भाषण में डॉ. मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की. अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े. वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नजरबंद कर लिया गया. 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी.

भारतीय जनसंघ नाम से बनाई थी नई पार्टी

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रिटिश सरकार के भारत विभाजन के षड्यंत्र के समय डॉ. मुखर्जी ने आधा बंगाल और आधा पंजाब भारत के लिए बचा लिया था. अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में एक गैर-कांग्रेसी मंत्री के रूप में डॉ. मुखर्जी ने उद्योग मंत्रालय का काम संभाला. उन्होंने देश में रेल इंजन और जहाज बनाने और खाद के कारखाने स्थापित करवाए. उनके सहयोग से ही हैदराबाद निजाम को भारत में विलीन होना पड़ा. प्रो. धूमल ने कहा कि राष्ट्रवादी चिंतन और राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी प्राथमिकता मानने वाले डॉक्टर मुखर्जी ने भारत के प्रथम मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ के नाम से नई पार्टी की स्थापना की थी.

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