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Hot Seat Sujanpur: मुकाबले में नहीं, फिर भी धूमल-अनुराग की प्रतिष्ठा दांव पर

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों में कई सीटों पर प्रत्याशियों की जीत साख का सवाल बनी हुई है. ऐसी ही एक सीट सुजानपुर विधानसभा सीट है, यहां पर मुकाबला एक ही गुरु के दो सियासी चेलों का है. एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज राजेंद्र राणा है तो दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी (सेवानिवृत्त) कैप्टन रणजीत सिंह मैदान में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार घूमल का गढ़ माने जाने वाली सुजानपुर विधानसभा सीट पर साख की लड़ाई है. (Sujanpur Assembly Constituency)

Sujanpur Assembly Constituency
सुजानपुर विधानसभा सीट
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Published : Nov 3, 2022, 5:19 PM IST

Updated : Nov 4, 2022, 7:07 PM IST

हमीरपुर: साल 2017 में प्रदेश में राजनीति की दशा और दिशा बदलने वाली सुजानपुर विधानसभा सीट में मुकाबला एक ही गुरु के दो सियासी चेलों का है. हिमाचल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र राणा और भाजपा प्रत्याशी (सेवानिवृत्त) कैप्टन रणजीत सिंह मैदान में है. एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज राजेंद्र राणा हैं, तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की टीम के प्रत्याशी (सेवानिवृत्त) कैप्टन रणजीत सिंह है. इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार में डटे हुए हैं. धूमल परिवार के लिए यह सीट साख का सवाल बनी हुई है. कांग्रेसी दिग्गज राजेंद्र राणा की प्रतिष्ठा भी यहां पर दांव पर है. (Former CM Prem Kumar Dhumal) (Himchal Pradesh Assembly Election 2022)

राजेंद्र राणा यहां पर गांव-गांव में नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं. कांग्रेस हाईकमान के नेता यहां पर कम ही दिखाई दे रहे हैं. आदर्श आचार संहिता लगने से पहले पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी वाली एक बड़ी जनसभा सुजानपुर में राजेंद्र राणा ने करवाई थी, जबकि भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल लगातार प्रचार कर रहे हैं. वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी यहां पर भाजपा प्रत्याशी रणजीत सिंह के लिए चुनाव प्रचार कर चुके हैं. (assembly election 2022) (Hot Seat Sujanpur)

पंजाब सरकार में कर्मचारी रहे हैं राजेंद्र राणा: राजेंद्र राणा भाजपा की पृष्ठभूमि के नेता हैं, हालांकि यह अलग बात है कि उन्होंने भाजपा से अभी तक एक भी चुनाव नहीं लड़ा है. राजेंद्र राणा पंजाब में सरकारी कर्मचारी के रूप में भी दो साल कार्य कर चुके हैं. भाजपा से बागी होकर 2012 में उन्होंने सुजानपुर से पहली दफा निर्दलीय के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा और भाजपा और कांग्रेस को मात देते हुए यहां पर जीत हासिल की. राजेंद्र राणा भाजपा में रहते पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के काफी करीबी थे.

Sujanpur Assembly Constituency
सुजानपुर विधानसभा सीट का इतिहास

आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतने के बाद वह पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से जुड़ गए और यहीं से फिर कांग्रेस पार्टी में उनका करियर शुरू हुआ. मार्च 2014 में विधायक पद से इस्तीफा देते हुए लोकसभा चुनाव में उतरे लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाए. यहां पर हुए उपचुनाव में राजेंद्र राणा की पत्नी अनीता राणा को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन वह भी भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर से हार गई. साल 2014 से 2017 तक वीरभद्र सरकार ने राजेंद्र राणा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे और फिर 2017 में विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे.

पढ़ें- हिमाचल विधानसभा चुनाव के प्रचार में जुटे BJP के दिग्गज, स्टार प्रचारकों की कमी से जूझ रही कांग्रेस!

उन्होंने बड़ा उलटफेर करते हुए मुख्यमंत्री के घोषित चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को चुनावों में हराकर प्रदेश भर में बड़ा उलटफेर किया. इस बड़े सियासी घटनाक्रम से राजेंद्र राणा के राजनीतिक कद में भी बढ़ोतरी हुई और कांग्रेस में भी उनका कद बढ़ा. साल 2022 में कांग्रेस ने उन्हें हिमाचल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा और अब वह एक बार फिर से कांग्रेस के टिकट पर यहां से प्रत्याशी हैं.

Sujanpur Assembly Constituency
सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे.

कैप्टन रणजीत को भी राजनीति में लाने वाले धूमल: सेना में लंबे समय तक सेवाएं देने वाले सेना मेडल से नवाजे गए रिटार्यड कैप्टन रणजीत सिंह साल 1977 में डोगरा रेजिमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुए. रणजीत सिंह एनडीए खड़कवासला और आईएमए में सेवाएं दे चुके हैं. साल 2000 असम में उग्रवादियों से लोहा लेकर उन्होंने सराहनीय कार्य किया. इस अदम्य साहस के लिए उन्हें सेना मेडल से सरकार ने नवाजा. साल 2007 में सेना से रिटायर होने के बाद वह तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हुए.

बतौर कार्यकर्ता पार्टी में शुरुआत करते हुए रणजीत सिंह पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के मंडल के संयोजक पार्टी ने नियुक्त किए और इसके बाद वे सुजानपुर भाजपा मंडल के अध्यक्ष भी बने. पंचायती राज व्यवस्था का रुख करते हुए, उन्होंने सुजानपुर के बीड़ बगेहड़ा वार्ड से जीत हासिल की. वर्तमान में वह भाजपा के प्रदेश पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के संयोजक हैं.

अग्निपथ भर्ती योजना और पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा यहां पर अहम: सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र सैनिक बहुल इलाका माना जाता है,. यहां पर पूर्व सैनिक और सेवारत सैनिकों के अधिक परिवार हैं. यहां पर 8000 के लगभग पूर्व सैनिक हैं, जबकि सेवारत सैनिकों का आंकड़ा तीन हजार के करीब है. इस विधानसभा क्षेत्र में एक पूर्व सैनिक मैदान में हैं, ऐसे में अग्निपथ भर्ती योजना और पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा भी यहां पर खूब चर्चा में हैं. सरकारी नौकरी में इस क्षेत्र से अधिक कर्मचारी हैं ऐसे में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा अधिक चर्चा में है.

पढ़ें- हिमाचल विधानसभा चुनाव: सोलन में आम आदमी पार्टी का रोड शो, अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस और बीजेपी पर बोला हमला

धूमल के हार के कारण चर्चा में आई थी सीट: पिछले चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के घोषित चेहरे प्रेम कुमार धूमल को हरा कर कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा ने यहां पर बड़ा उलटफेर किया था. साल 2012 में विधानसभा क्षेत्रों के डिलिमिटेशन (सीमांकन) में बमसन, हमीरपुर और भोरंज के विधानसभा क्षेत्रों के हिस्सों से नई विधानसभा सीट का गठन किया, जिसे सुजानपुर नाम दिया गया. बमसन को 2012 से सुजानपुर विस क्षेत्र के नाम से जाना जाने लगा. 1998 से 2007 तक धूमल ने बमसन विधानसभा क्षेत्र में लगातार तीन दफा जीत हासिल की थी. 2012 में उन्हें हमीरपुर सीट से लड़ाया गया. 2017 में जब वह बमसन से सुजानपुर बने क्षेत्र में फिर चुनाव लड़ने के उतरे तो अपने ही राजनीतिक शिष्य राजेंद्र राणा से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

कितने मतदाता, सैनिक और पूर्व सैनिक परिवार अधिक: सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में 73,790 मतदाता हैं. इसमें 36,969 पुरुष व 36,821 महिला मतदाता शामिल हैं. यहां पर 2141 सर्विस वोटर भी हैं. यहां जिला के अन्य विस क्षेत्रों के मुकाबले सर्विस वोटर अधिक हैं. ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में सैनिक और पूर्व सैनिक पूर्व सैनिकों परिवारों की संख्या अधिक है. यहां जीत और हार के मार्जन का अनुमान लगाना बेहद मुश्किल हैं, पिछले तीन चुनावों में इस सीट पर जीत का अंतर 1,919 से लेकर 26,007 तक रहा है.

महज एक दफा हुआ उपचुनाव भाजपा ने मारी थी बाजी: सुजानपुर सीट पर महज एक दफा उपचुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा ने बाजी मारी थी. साल 2014 के उपचुनाव में कांग्रेसी विधायक राजेंद्र राणा की पत्नी अनिता राणा को कांग्रेस ने टिकट दिया था. यहां पर कांग्रेस छोड़ भाजपा में वापसी करने वाले नरेंद्र ठाकुर को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा था. नरेंद्र ठाकुर ने यहां पर अनिता राणा को मात देकर उपचुनाव में जीत हासिल की थी.

पर्यटन नहीं हुआ विकसित, न बना आधुनिक बसस्टैंड: सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में पर्यटन की संभावना जिला के अन्य विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले में कहीं अधिक है. यहां पर पर्यटन विकसित नहीं हो सका है. बसस्टैंड की बात करें तो सुजानपुर में बसस्टैंड भी नहीं बन सका हैं. मिनी सचिवालय का निर्माण तो यहां पर लगभग पूरा हो गया है लेकिन अभी तक इसका लोकार्पण भी नहीं किया जा सका है. इस क्षेत्र में पेयजल की दिक्कत भी लोगों को गर्मियों में पेश आती है, हालांकि यहां पर बड़ी पेयजल योजनाएं बनाई गई हैं, जिससे कुछ हद लोगों की समस्या का निदान हुआ है.

भाजपा नेताओं ने 5 सालों तक सुजानपुर की जनता से बदला की लिया: कांग्रेसी प्रत्याशी राजेंद्र रााणा का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सरकार में सुजानपुर में शुरू किए गए कार्य भाजपा सरकार ने रोक दिया. भाजपा नेताओं ने 5 सालों तक सुजानपुर की जनता से बदला की लिया है.

एक भी काम नहीं करवा पाए विधायक: सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी (सेवानिवृत्त) कैप्टन रणजीत सिंह का आरोप है कि पिछले 5 साल में कांग्रेस के विधायक कोई भी काम नहीं करवा पाए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के प्रयासों से यहां पर भाजपा सरकार ने विकास कार्यों को गति दी है, जबकि विधायक एक भी काम नहीं करवा पाए हैं.

तीन विस क्षेत्रों का एरिया है शामिल: हमीरपुर जिला के आस्तित्व में आने के साथ ही साल 1972 में आस्तिव में बमसन विधानसभा सीट गठित हुई. 1967 के विस चुनावों में चार विस क्षेत्र थे भोटा, मेवा, हमीरपुर और नदौनता थे जो वर्तमान में जिला हमीरपुर में आते हैं. कांगड़ा जिले के हिस्सा रहे हमीरपुर क्षेत्र में 1967 तक भोटा, मेवा, नदौनता और हमीपुर चार विधानसभा क्षेत्र थे. साल 1972 में जिला हमीरपुर के गठन के साथ ही बमसन विधानसभा क्षेत्र का भी गठन हुआ, जो बाद अब सुजानपुर के नाम से जाना जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र में बमसन, हमीरपुर और मेवा भोरंज तीन विस क्षेत्रों को हिस्सा सम्मिलित किया गया था.

साल 1972: कांग्रेस से प्रत्याशी चंद्रेश कुमारी ने 5,965 मत लेकर जीत हासिल की. इस चुनाव में चार अन्य आजाद उम्मीदवार मैदान में रहे. यहां पर भारतीय जनसंघ की तरफ से उम्मीदवार मैदान में नहीं था. भूमि देव 4,399 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे जबकि कर्म सिंह को 2335 मत प्राप्त हुए. 1566 मतों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रेश कुमारी ने जीत हासिल की.

साल 1977: साल 1977 में जनता पार्टी से रंजीत सिंह वर्मा ने 7,623 मत हासिल किए. दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी भूमि देव को 5002 मत प्राप्त हुए. आजाद प्रत्याशी 4,105 मत के साथ तीसरे नंबर पर रहे. 2621 मतों के अंतर से जनता पार्टी के प्रत्याशी रंजीत सिंह वर्मा यहां पर विजयी रहे.

साल 1982: भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी लश्करी राम ने 12,862 मत लेकर विजयी बने. कांग्रेस के प्रत्याशी रंजीत सिंह वर्मा को यहां पर 9788 मत प्राप्त हुए. भाजपा ने यहां पर अपने गठन के पहले ही चुनाव में 3,074 मतों से जीत हासिल की.

साल 1985: कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी कर्म सिंह ने यहां पर 12,513 मत लेकर जीत हासिल की. भाजपा के प्रत्याशी पृथी सिंह 9,837 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस प्रत्याशी कर्म सिंह ने यहां पर 2676 मंतों के अंतर के साथ जीत हासिल की.

साल 1990: भाजपा के प्रत्याशी लश्करी राम ने 16,450 मत हासिल कर जीत दर्ज की. कांग्रेस के प्रत्याशी कर्म सिंह 7,131 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में कांग्रेस से बागी हुए रंजीत सिंह वर्मा ने इंडियन कांग्रेस सोशलिस्ट से चुनाव लड़कर 4,295 मत हासिल किए. भाजपा के लश्करी राम को 9,319 मंतों के रिकार्ड अंतर से जीत मिली.

साल 1993: साल 1993 में कांग्रेस प्रत्याशी कलदीप सिंह पठानिया ने 13,657 मत लेकर यहां पर जीत दर्ज की. भाजपा के प्रत्याशी लश्करी राम 13,422 मत प्राप्त हुए. इस सीट से इस चुनाव में विभिन्न दलों और आजाद के रूप में 13 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा. कांग्रेस के प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया को यहां पर महज 215 मतों से जीत हासिल हुई.

साल 1998: भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल ने 20,715 मत लेकर जीत हासिल की. कांग्रेस के प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया को 11,887 मत प्राप्त हुए. हिविकां (हिमाचल विकास कांग्रेस) से चुनाव लड़ने वाले रंजीत सिंह वर्मा को 1,329 मत प्राप्त हुए. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल ने 8,828 मतों के अंतर से जीत हासिल की.

साल 2003: भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल ने 29,325 मत लेकर जीत हासिल की. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया को 13,627 मत प्राप्त हुए. भाजपा के प्रेम कुमार धूमल ने 15,698 मतों के अंतर से जीत दर्ज की.

साल 2007: भाजपा के प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल ने 35,034 मत लेकर जीत दर्ज की. कांग्रेस के प्रत्याशी कर्नल विधि चंद लगवाल को 9047 प्राप्त हुए. भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल ने रिकार्ड 26,007 मतों के अंतर से जीत हासिल की.

साल 2012: आजाद प्रत्याशी राजेंद्र राणा ने 24,674 मत लेकर जीत हासिल की. कांग्रेस प्रत्याशी अनिता वर्मा को 10,508 मत प्राप्त हुए. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी उर्मिल ठाकुर 8,853 मतों के साथ तीसरे नंबर पर रही. आजाद प्रत्याशी राणा ने 14166 मतों के अंतर से यहां पर जीत हासिल की।

साल 2017: कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा ने 25288 मत लेकर जीत हासिल की. भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल को 23,369 मत हासिल हुए. कांग्रेस प्रत्याशी राणा ने यहां पर 1919 मतों के अंतर से जीत हासिल की.

हमीरपुर: साल 2017 में प्रदेश में राजनीति की दशा और दिशा बदलने वाली सुजानपुर विधानसभा सीट में मुकाबला एक ही गुरु के दो सियासी चेलों का है. हिमाचल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र राणा और भाजपा प्रत्याशी (सेवानिवृत्त) कैप्टन रणजीत सिंह मैदान में है. एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज राजेंद्र राणा हैं, तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की टीम के प्रत्याशी (सेवानिवृत्त) कैप्टन रणजीत सिंह है. इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार में डटे हुए हैं. धूमल परिवार के लिए यह सीट साख का सवाल बनी हुई है. कांग्रेसी दिग्गज राजेंद्र राणा की प्रतिष्ठा भी यहां पर दांव पर है. (Former CM Prem Kumar Dhumal) (Himchal Pradesh Assembly Election 2022)

राजेंद्र राणा यहां पर गांव-गांव में नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं. कांग्रेस हाईकमान के नेता यहां पर कम ही दिखाई दे रहे हैं. आदर्श आचार संहिता लगने से पहले पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी वाली एक बड़ी जनसभा सुजानपुर में राजेंद्र राणा ने करवाई थी, जबकि भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल लगातार प्रचार कर रहे हैं. वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी यहां पर भाजपा प्रत्याशी रणजीत सिंह के लिए चुनाव प्रचार कर चुके हैं. (assembly election 2022) (Hot Seat Sujanpur)

पंजाब सरकार में कर्मचारी रहे हैं राजेंद्र राणा: राजेंद्र राणा भाजपा की पृष्ठभूमि के नेता हैं, हालांकि यह अलग बात है कि उन्होंने भाजपा से अभी तक एक भी चुनाव नहीं लड़ा है. राजेंद्र राणा पंजाब में सरकारी कर्मचारी के रूप में भी दो साल कार्य कर चुके हैं. भाजपा से बागी होकर 2012 में उन्होंने सुजानपुर से पहली दफा निर्दलीय के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा और भाजपा और कांग्रेस को मात देते हुए यहां पर जीत हासिल की. राजेंद्र राणा भाजपा में रहते पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के काफी करीबी थे.

Sujanpur Assembly Constituency
सुजानपुर विधानसभा सीट का इतिहास

आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतने के बाद वह पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से जुड़ गए और यहीं से फिर कांग्रेस पार्टी में उनका करियर शुरू हुआ. मार्च 2014 में विधायक पद से इस्तीफा देते हुए लोकसभा चुनाव में उतरे लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाए. यहां पर हुए उपचुनाव में राजेंद्र राणा की पत्नी अनीता राणा को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन वह भी भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर से हार गई. साल 2014 से 2017 तक वीरभद्र सरकार ने राजेंद्र राणा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे और फिर 2017 में विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे.

पढ़ें- हिमाचल विधानसभा चुनाव के प्रचार में जुटे BJP के दिग्गज, स्टार प्रचारकों की कमी से जूझ रही कांग्रेस!

उन्होंने बड़ा उलटफेर करते हुए मुख्यमंत्री के घोषित चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को चुनावों में हराकर प्रदेश भर में बड़ा उलटफेर किया. इस बड़े सियासी घटनाक्रम से राजेंद्र राणा के राजनीतिक कद में भी बढ़ोतरी हुई और कांग्रेस में भी उनका कद बढ़ा. साल 2022 में कांग्रेस ने उन्हें हिमाचल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा और अब वह एक बार फिर से कांग्रेस के टिकट पर यहां से प्रत्याशी हैं.

Sujanpur Assembly Constituency
सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे.

कैप्टन रणजीत को भी राजनीति में लाने वाले धूमल: सेना में लंबे समय तक सेवाएं देने वाले सेना मेडल से नवाजे गए रिटार्यड कैप्टन रणजीत सिंह साल 1977 में डोगरा रेजिमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुए. रणजीत सिंह एनडीए खड़कवासला और आईएमए में सेवाएं दे चुके हैं. साल 2000 असम में उग्रवादियों से लोहा लेकर उन्होंने सराहनीय कार्य किया. इस अदम्य साहस के लिए उन्हें सेना मेडल से सरकार ने नवाजा. साल 2007 में सेना से रिटायर होने के बाद वह तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हुए.

बतौर कार्यकर्ता पार्टी में शुरुआत करते हुए रणजीत सिंह पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के मंडल के संयोजक पार्टी ने नियुक्त किए और इसके बाद वे सुजानपुर भाजपा मंडल के अध्यक्ष भी बने. पंचायती राज व्यवस्था का रुख करते हुए, उन्होंने सुजानपुर के बीड़ बगेहड़ा वार्ड से जीत हासिल की. वर्तमान में वह भाजपा के प्रदेश पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के संयोजक हैं.

अग्निपथ भर्ती योजना और पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा यहां पर अहम: सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र सैनिक बहुल इलाका माना जाता है,. यहां पर पूर्व सैनिक और सेवारत सैनिकों के अधिक परिवार हैं. यहां पर 8000 के लगभग पूर्व सैनिक हैं, जबकि सेवारत सैनिकों का आंकड़ा तीन हजार के करीब है. इस विधानसभा क्षेत्र में एक पूर्व सैनिक मैदान में हैं, ऐसे में अग्निपथ भर्ती योजना और पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा भी यहां पर खूब चर्चा में हैं. सरकारी नौकरी में इस क्षेत्र से अधिक कर्मचारी हैं ऐसे में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा अधिक चर्चा में है.

पढ़ें- हिमाचल विधानसभा चुनाव: सोलन में आम आदमी पार्टी का रोड शो, अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस और बीजेपी पर बोला हमला

धूमल के हार के कारण चर्चा में आई थी सीट: पिछले चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के घोषित चेहरे प्रेम कुमार धूमल को हरा कर कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा ने यहां पर बड़ा उलटफेर किया था. साल 2012 में विधानसभा क्षेत्रों के डिलिमिटेशन (सीमांकन) में बमसन, हमीरपुर और भोरंज के विधानसभा क्षेत्रों के हिस्सों से नई विधानसभा सीट का गठन किया, जिसे सुजानपुर नाम दिया गया. बमसन को 2012 से सुजानपुर विस क्षेत्र के नाम से जाना जाने लगा. 1998 से 2007 तक धूमल ने बमसन विधानसभा क्षेत्र में लगातार तीन दफा जीत हासिल की थी. 2012 में उन्हें हमीरपुर सीट से लड़ाया गया. 2017 में जब वह बमसन से सुजानपुर बने क्षेत्र में फिर चुनाव लड़ने के उतरे तो अपने ही राजनीतिक शिष्य राजेंद्र राणा से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

कितने मतदाता, सैनिक और पूर्व सैनिक परिवार अधिक: सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में 73,790 मतदाता हैं. इसमें 36,969 पुरुष व 36,821 महिला मतदाता शामिल हैं. यहां पर 2141 सर्विस वोटर भी हैं. यहां जिला के अन्य विस क्षेत्रों के मुकाबले सर्विस वोटर अधिक हैं. ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में सैनिक और पूर्व सैनिक पूर्व सैनिकों परिवारों की संख्या अधिक है. यहां जीत और हार के मार्जन का अनुमान लगाना बेहद मुश्किल हैं, पिछले तीन चुनावों में इस सीट पर जीत का अंतर 1,919 से लेकर 26,007 तक रहा है.

महज एक दफा हुआ उपचुनाव भाजपा ने मारी थी बाजी: सुजानपुर सीट पर महज एक दफा उपचुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा ने बाजी मारी थी. साल 2014 के उपचुनाव में कांग्रेसी विधायक राजेंद्र राणा की पत्नी अनिता राणा को कांग्रेस ने टिकट दिया था. यहां पर कांग्रेस छोड़ भाजपा में वापसी करने वाले नरेंद्र ठाकुर को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा था. नरेंद्र ठाकुर ने यहां पर अनिता राणा को मात देकर उपचुनाव में जीत हासिल की थी.

पर्यटन नहीं हुआ विकसित, न बना आधुनिक बसस्टैंड: सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में पर्यटन की संभावना जिला के अन्य विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले में कहीं अधिक है. यहां पर पर्यटन विकसित नहीं हो सका है. बसस्टैंड की बात करें तो सुजानपुर में बसस्टैंड भी नहीं बन सका हैं. मिनी सचिवालय का निर्माण तो यहां पर लगभग पूरा हो गया है लेकिन अभी तक इसका लोकार्पण भी नहीं किया जा सका है. इस क्षेत्र में पेयजल की दिक्कत भी लोगों को गर्मियों में पेश आती है, हालांकि यहां पर बड़ी पेयजल योजनाएं बनाई गई हैं, जिससे कुछ हद लोगों की समस्या का निदान हुआ है.

भाजपा नेताओं ने 5 सालों तक सुजानपुर की जनता से बदला की लिया: कांग्रेसी प्रत्याशी राजेंद्र रााणा का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सरकार में सुजानपुर में शुरू किए गए कार्य भाजपा सरकार ने रोक दिया. भाजपा नेताओं ने 5 सालों तक सुजानपुर की जनता से बदला की लिया है.

एक भी काम नहीं करवा पाए विधायक: सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी (सेवानिवृत्त) कैप्टन रणजीत सिंह का आरोप है कि पिछले 5 साल में कांग्रेस के विधायक कोई भी काम नहीं करवा पाए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के प्रयासों से यहां पर भाजपा सरकार ने विकास कार्यों को गति दी है, जबकि विधायक एक भी काम नहीं करवा पाए हैं.

तीन विस क्षेत्रों का एरिया है शामिल: हमीरपुर जिला के आस्तित्व में आने के साथ ही साल 1972 में आस्तिव में बमसन विधानसभा सीट गठित हुई. 1967 के विस चुनावों में चार विस क्षेत्र थे भोटा, मेवा, हमीरपुर और नदौनता थे जो वर्तमान में जिला हमीरपुर में आते हैं. कांगड़ा जिले के हिस्सा रहे हमीरपुर क्षेत्र में 1967 तक भोटा, मेवा, नदौनता और हमीपुर चार विधानसभा क्षेत्र थे. साल 1972 में जिला हमीरपुर के गठन के साथ ही बमसन विधानसभा क्षेत्र का भी गठन हुआ, जो बाद अब सुजानपुर के नाम से जाना जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र में बमसन, हमीरपुर और मेवा भोरंज तीन विस क्षेत्रों को हिस्सा सम्मिलित किया गया था.

साल 1972: कांग्रेस से प्रत्याशी चंद्रेश कुमारी ने 5,965 मत लेकर जीत हासिल की. इस चुनाव में चार अन्य आजाद उम्मीदवार मैदान में रहे. यहां पर भारतीय जनसंघ की तरफ से उम्मीदवार मैदान में नहीं था. भूमि देव 4,399 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे जबकि कर्म सिंह को 2335 मत प्राप्त हुए. 1566 मतों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रेश कुमारी ने जीत हासिल की.

साल 1977: साल 1977 में जनता पार्टी से रंजीत सिंह वर्मा ने 7,623 मत हासिल किए. दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी भूमि देव को 5002 मत प्राप्त हुए. आजाद प्रत्याशी 4,105 मत के साथ तीसरे नंबर पर रहे. 2621 मतों के अंतर से जनता पार्टी के प्रत्याशी रंजीत सिंह वर्मा यहां पर विजयी रहे.

साल 1982: भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी लश्करी राम ने 12,862 मत लेकर विजयी बने. कांग्रेस के प्रत्याशी रंजीत सिंह वर्मा को यहां पर 9788 मत प्राप्त हुए. भाजपा ने यहां पर अपने गठन के पहले ही चुनाव में 3,074 मतों से जीत हासिल की.

साल 1985: कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी कर्म सिंह ने यहां पर 12,513 मत लेकर जीत हासिल की. भाजपा के प्रत्याशी पृथी सिंह 9,837 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस प्रत्याशी कर्म सिंह ने यहां पर 2676 मंतों के अंतर के साथ जीत हासिल की.

साल 1990: भाजपा के प्रत्याशी लश्करी राम ने 16,450 मत हासिल कर जीत दर्ज की. कांग्रेस के प्रत्याशी कर्म सिंह 7,131 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में कांग्रेस से बागी हुए रंजीत सिंह वर्मा ने इंडियन कांग्रेस सोशलिस्ट से चुनाव लड़कर 4,295 मत हासिल किए. भाजपा के लश्करी राम को 9,319 मंतों के रिकार्ड अंतर से जीत मिली.

साल 1993: साल 1993 में कांग्रेस प्रत्याशी कलदीप सिंह पठानिया ने 13,657 मत लेकर यहां पर जीत दर्ज की. भाजपा के प्रत्याशी लश्करी राम 13,422 मत प्राप्त हुए. इस सीट से इस चुनाव में विभिन्न दलों और आजाद के रूप में 13 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा. कांग्रेस के प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया को यहां पर महज 215 मतों से जीत हासिल हुई.

साल 1998: भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल ने 20,715 मत लेकर जीत हासिल की. कांग्रेस के प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया को 11,887 मत प्राप्त हुए. हिविकां (हिमाचल विकास कांग्रेस) से चुनाव लड़ने वाले रंजीत सिंह वर्मा को 1,329 मत प्राप्त हुए. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल ने 8,828 मतों के अंतर से जीत हासिल की.

साल 2003: भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल ने 29,325 मत लेकर जीत हासिल की. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया को 13,627 मत प्राप्त हुए. भाजपा के प्रेम कुमार धूमल ने 15,698 मतों के अंतर से जीत दर्ज की.

साल 2007: भाजपा के प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल ने 35,034 मत लेकर जीत दर्ज की. कांग्रेस के प्रत्याशी कर्नल विधि चंद लगवाल को 9047 प्राप्त हुए. भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल ने रिकार्ड 26,007 मतों के अंतर से जीत हासिल की.

साल 2012: आजाद प्रत्याशी राजेंद्र राणा ने 24,674 मत लेकर जीत हासिल की. कांग्रेस प्रत्याशी अनिता वर्मा को 10,508 मत प्राप्त हुए. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी उर्मिल ठाकुर 8,853 मतों के साथ तीसरे नंबर पर रही. आजाद प्रत्याशी राणा ने 14166 मतों के अंतर से यहां पर जीत हासिल की।

साल 2017: कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा ने 25288 मत लेकर जीत हासिल की. भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल को 23,369 मत हासिल हुए. कांग्रेस प्रत्याशी राणा ने यहां पर 1919 मतों के अंतर से जीत हासिल की.

Last Updated : Nov 4, 2022, 7:07 PM IST
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