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भोरंज में पीपल के पेड़ पर गिरी आसमानी बिजली, पंचायत और महिला मंडल के भवन को खतरा

भोरंज की ग्राम पंचायत कडोहता में लगभग 400-500 वर्ष पुराने पेड़ पर बिजली गिर गई. ग्राम पंचायत उपप्रधान वीरेंद्र डोगरा ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्षों पुराने पीपल के पेड़ से गांव में स्थित दो सरकारी भवनों को खतरा बन गया है.

ficus tree
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Published : Jul 19, 2020, 9:44 PM IST

भोरंज/हमीरपुर: उपमंडल भोरंज की ग्राम पंचायत कडोहता में लगभग 400-500 वर्ष पुराने पीपल के पेड़ पर आसमानी बिजली गिरी. ग्राम पंचायत उपप्रधान वीरेंद्र डोगरा ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्षों पुराने पीपल के पेड़ से अब गांव में स्थित दो सरकारी भवनों को खतरा बन गया है.

रविवार सुबह करीब पांच बजे बारिश के दौरान आसमानी बिजली गिरने से पेड़ का एक हिस्सा नीचे गिर गया और एक बड़ी टहनी भी पूरी तरह झक गई है, जिससे कडहोता के पंचायत घर व महिला मंडल के भवन को खतरा पैदा हो गया है.

गनीमत ये रही कि जब पेड़ पर आसामानी बिजली गिरी तो उस वक्त उसके आस-पास कोई नहीं था. वहीं, लोग गिरे हुए पीपल के पेड़ को नहीं हटा रहे हैं. क्योंकि लोगों का मानना है कि क्योंकि हिंदू रीति रिवाज के अनुसार पीपल के पेड़ की पूजा होती है और पीपल के पेड़ को पवित्र माना जाता है.

इसलिए पीपल के पेड़ को नहीं काटते है और यदि पीपल का पेड़ स्वयं गिर जाता है तो उसे धार्मिक यज्ञ या किसी मंदिर के भंडारे में ही उसकी लकड़ी का उपयोग किया जाता है.

गांव के समस्त लोगों, पंचायत प्रतिनिधियों, पूर्व उपप्रधान कुलबंत सिंह, बार्ड पंच विनोद सोनी, ने प्रशासन से मांग की है किसी तरह इस पीपल के पेड़ की टहनी को समय पर हटाया जाए, जिससे बड़ा हादसा होने से टल सके.

भोरंज/हमीरपुर: उपमंडल भोरंज की ग्राम पंचायत कडोहता में लगभग 400-500 वर्ष पुराने पीपल के पेड़ पर आसमानी बिजली गिरी. ग्राम पंचायत उपप्रधान वीरेंद्र डोगरा ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्षों पुराने पीपल के पेड़ से अब गांव में स्थित दो सरकारी भवनों को खतरा बन गया है.

रविवार सुबह करीब पांच बजे बारिश के दौरान आसमानी बिजली गिरने से पेड़ का एक हिस्सा नीचे गिर गया और एक बड़ी टहनी भी पूरी तरह झक गई है, जिससे कडहोता के पंचायत घर व महिला मंडल के भवन को खतरा पैदा हो गया है.

गनीमत ये रही कि जब पेड़ पर आसामानी बिजली गिरी तो उस वक्त उसके आस-पास कोई नहीं था. वहीं, लोग गिरे हुए पीपल के पेड़ को नहीं हटा रहे हैं. क्योंकि लोगों का मानना है कि क्योंकि हिंदू रीति रिवाज के अनुसार पीपल के पेड़ की पूजा होती है और पीपल के पेड़ को पवित्र माना जाता है.

इसलिए पीपल के पेड़ को नहीं काटते है और यदि पीपल का पेड़ स्वयं गिर जाता है तो उसे धार्मिक यज्ञ या किसी मंदिर के भंडारे में ही उसकी लकड़ी का उपयोग किया जाता है.

गांव के समस्त लोगों, पंचायत प्रतिनिधियों, पूर्व उपप्रधान कुलबंत सिंह, बार्ड पंच विनोद सोनी, ने प्रशासन से मांग की है किसी तरह इस पीपल के पेड़ की टहनी को समय पर हटाया जाए, जिससे बड़ा हादसा होने से टल सके.

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