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नर्स एसोसिएशन ने प्रबंधन पर उठाए सवाल, कोरोना जांच के दौरान भी स्टाफ पर ड्यूटी देने का बनाया दबाव - Nurses Association Hamirpur

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर प्रबंधन की कार्यशैली पर प्रशिक्षित नर्स एसोसिएशन हमीरपुर ने सवाल उठाए हैं. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाए हैं कि जब मेडिकल स्टाफ के सैंपल कोरोना जांच के लिए लिए गए थे, तो उनको ड्यूटी पर बुलाया गया.

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Published : Aug 31, 2020, 5:28 PM IST

हमीरपुर: मेडिकल कॉलेज हमीरपुर प्रबंधन की कार्यशैली पर प्रशिक्षित नर्स एसोसिएशन हमीरपुर ने सवाल उठाए हैं. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाए हैं कि जब मेडिकल स्टाफ के सैंपल कोरोना जांच के लिए लिए गए थे, तो उनको ड्यूटी पर बुलाया गया.

यूनियन की मांग है कि आगामी दिनों में इस तरह की लापरवाही न बरती जाए यदि प्रबंधन दोबारा इस तरह की कोताही बरतता है, तो वह काले बिल्ले लगाकर सेवाएं देंगे और यदि जरूरत पड़ी तो आंदोलन से भी पीछे नहीं हटेंगे.

वहीं, मेडिकल कॉलेज हमीरपुर प्रशासन का तर्क है कि नियमों के अनुसार स्टाफ को आइसोलेट किया गया था. कर्मचारियों को हाई और लो रिस्क कैटेगरी में रखा गया था, जिसके अनुसार उन्हें ड्यूटी पर बुलाया गया या आइसोलेशन में भेजा गया था.

वीडियो.

मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर एसोसिएशन की महासचिव सुमन सडयाल का कहना है कि हमीरपुर से रेफर किए गए तीन मरीज जब टांडा मेडिकल कॉलेज और आईजीएमसी व पीजीआई में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उस समय ही वार्ड को सील कर देना चाहिए था.

25 अगस्त को जब गायनी वार्ड में उपचाराधीन चार महिलाएं कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी, उसके बाद भी वार्ड को सील नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि अभी तक कुल 10 कर्मचारी मेडिकल कॉलेज के कोरोना पॉजिटिव पाई जा चुके हैं. यदि समय रहते कॉलेज प्रशासन ने कदम उठाए होते तो शायद स्टाफ नर्स पॉजिटिव नहीं होती और ना ही कम्युनिटी स्प्रेड की संभावना बढ़ती.

एसोसिएशन की महासचिव सुमन सडयाल का कहना है कि स्टाफ के साथ भेदभाव हो रहा है. पूरे स्टाफ को एक ही प्रोटोकॉल के तहत रखा जाए, चाहे वह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हो या फिर डॉक्टर. अस्पताल और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को इस बारे में लिखित मांग पत्र भी दिया गया है. साथ ही यह भी कि जब तक उनकी सैंपल रिपोर्ट नहीं आती है, तब तक उन्हें घर पर रहने दिया जाए.

वहीं, मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के एमएस डॉ. अनिल वर्मा का कहना है कि जब हमीरपुर मेडिकल कॉलेज के रेफर मरीज टांडा में कोरोना पॉजिटिव पाया गया, तो इसकी जानकारी प्रिंसिपल के माध्यम से उन्हें मिली. सूचना मिलते ही वार्ड में प्राथमिक संपर्कों में आए मरीजों और स्टाफ को टेस्ट करवाने के निर्देश दिए गए. इसके बाद मेडिकल कॉलेज हमीरपुर की रिस्क एसेसमेंट कमेटी को निर्देश जारी किए गए. रिस्क एसेसमेंट करवाने के बाद सबके टेस्ट करवाए गए हैं. नर्सिंग अधीक्षक को संबंधित कर्मचारियों टेस्ट करवाने के निर्देश भी दिए गए थे.

पढ़ें: हिमाचल में कोरोना वायरस से 34वीं मौत, व्यक्ति ने आईजीएमसी में तोड़ा दम

हमीरपुर: मेडिकल कॉलेज हमीरपुर प्रबंधन की कार्यशैली पर प्रशिक्षित नर्स एसोसिएशन हमीरपुर ने सवाल उठाए हैं. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाए हैं कि जब मेडिकल स्टाफ के सैंपल कोरोना जांच के लिए लिए गए थे, तो उनको ड्यूटी पर बुलाया गया.

यूनियन की मांग है कि आगामी दिनों में इस तरह की लापरवाही न बरती जाए यदि प्रबंधन दोबारा इस तरह की कोताही बरतता है, तो वह काले बिल्ले लगाकर सेवाएं देंगे और यदि जरूरत पड़ी तो आंदोलन से भी पीछे नहीं हटेंगे.

वहीं, मेडिकल कॉलेज हमीरपुर प्रशासन का तर्क है कि नियमों के अनुसार स्टाफ को आइसोलेट किया गया था. कर्मचारियों को हाई और लो रिस्क कैटेगरी में रखा गया था, जिसके अनुसार उन्हें ड्यूटी पर बुलाया गया या आइसोलेशन में भेजा गया था.

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मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर एसोसिएशन की महासचिव सुमन सडयाल का कहना है कि हमीरपुर से रेफर किए गए तीन मरीज जब टांडा मेडिकल कॉलेज और आईजीएमसी व पीजीआई में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उस समय ही वार्ड को सील कर देना चाहिए था.

25 अगस्त को जब गायनी वार्ड में उपचाराधीन चार महिलाएं कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी, उसके बाद भी वार्ड को सील नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि अभी तक कुल 10 कर्मचारी मेडिकल कॉलेज के कोरोना पॉजिटिव पाई जा चुके हैं. यदि समय रहते कॉलेज प्रशासन ने कदम उठाए होते तो शायद स्टाफ नर्स पॉजिटिव नहीं होती और ना ही कम्युनिटी स्प्रेड की संभावना बढ़ती.

एसोसिएशन की महासचिव सुमन सडयाल का कहना है कि स्टाफ के साथ भेदभाव हो रहा है. पूरे स्टाफ को एक ही प्रोटोकॉल के तहत रखा जाए, चाहे वह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हो या फिर डॉक्टर. अस्पताल और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को इस बारे में लिखित मांग पत्र भी दिया गया है. साथ ही यह भी कि जब तक उनकी सैंपल रिपोर्ट नहीं आती है, तब तक उन्हें घर पर रहने दिया जाए.

वहीं, मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के एमएस डॉ. अनिल वर्मा का कहना है कि जब हमीरपुर मेडिकल कॉलेज के रेफर मरीज टांडा में कोरोना पॉजिटिव पाया गया, तो इसकी जानकारी प्रिंसिपल के माध्यम से उन्हें मिली. सूचना मिलते ही वार्ड में प्राथमिक संपर्कों में आए मरीजों और स्टाफ को टेस्ट करवाने के निर्देश दिए गए. इसके बाद मेडिकल कॉलेज हमीरपुर की रिस्क एसेसमेंट कमेटी को निर्देश जारी किए गए. रिस्क एसेसमेंट करवाने के बाद सबके टेस्ट करवाए गए हैं. नर्सिंग अधीक्षक को संबंधित कर्मचारियों टेस्ट करवाने के निर्देश भी दिए गए थे.

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