हमीरपुर: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में अब महोगनी की खेती कर किसान मालामाल होंगे. औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी में इस पेड़ की खेती का सफल परीक्षण कर लिया है. सुखद नतीजे सामने आने के बाद अब हिमाचल के निचले क्षेत्र में औषधीय गुणों से भरे पेड़ की खेती संभव हो पाएगी. उच्च क्वालिटी के फर्नीचर और समुद्री जहाज में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी महोगनी पेड़ की होती है. फर्नीचर के लिए इस पेड़ की लकड़ी को सर्वोत्तम माना जाता है. खास बात यह है कि हमीरपुर के इन विशेषज्ञों ने पत्थर से भरे पहाड़ पर, पथरीली जमीन में इस पेड़ को उगाने में सफलता हासिल की है. ऐसे में बंजर भूमि पर अब किसान महोगनी पौधे लगाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे.
औषधीय गुणों से भरपूर है महोगनी पेड़: महोगनी पेड़ को आप असल मनी प्लांट भी कह दें तो कोई बुराई नहीं होगी. ये पौधा जितना औषधीय गुणों से भरपूर है, उतनी ही ज्यादा इस पौधे की लकड़ी की कीमत है. महोगनी पौधे से कुछ सालों में ही लाखों में महंगी लकड़ी बिकेगी तो महोगनी पौधे की पत्तियों से मच्छर भगाने वाली दवाई भी बनेगी. हमीरपुर के औद्यानिकी एवं निकी महाविद्यालय नेरी के शोधकर्ताओं ने महोगनी पौधे पर सफल ट्रायल किया है, जिससे साबित हुआ है कि बंजर भूमि पर महोगनी के पौधे लगाकर मुनाफा कमाया जा सकता है. महोगनी की पत्तियों की भी अच्छी कीमत मिलती है. महाविद्यालय परिसर में करीब 300 महोगनी के पौधों की नर्सरी भी तैयार की गई है. महोगनी के पौधों को लगाया भी गया है, जिससे सार्थक परिणाम सामने आए हैं.
एक पेड़ की कीमत 20 से 30 हजार: महोगनी के एक पेड़ की कीमत 20 से 30 हजार के बीच में बाजार में मिल रही है. इसके औषधीय गुणों के कारण इसकी दवाइयां भी बनती हैं और इसकी पत्तियों की भी बाजार में खूब डिमांड है, जिससे इसकी पत्तियां भी अच्छी कीमत में बिकती हैं. विशेषज्ञों के माने तो 10 से 12 साल के भीतर यह पेड़ काटने लायक हो जाता है और इस उम्र में इसके लकड़ी का इस्तेमाल किया जा सकता है.
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थोड़ी सी मेहनत में खूब मुनाफा: महोगनी पेड़ की खेती में किसानों को अधिक मेहनत करने की जरूरत नहीं है. 2 से 3 साल की उम्र का पौधा लगाने के बाद कुछ समय तक इसकी देखभाल करनी पड़ती है. पौधा पानी की कमी के कारण सूखे नहीं, इसका ध्यान रखना पड़ता है, लेकिन एक से डेढ़ साल बाद पौधा तीन से चार साल का होने के बाद अपने आप जमीन से अपना पोषण प्राप्त करेगा और फिर किसी की भी देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती है. आसान शब्दों में कहें तो बहुत ही कम मेहनत में इसकी खेती कर किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
खेतों में अनाजों के साथ पेड़ भी साथ लगाओ: पहाड़ी राज्य हिमाचल में ढलान दार खेत होते हैं. यहां पर किसान इस पेड़ की खेती करने के साथ ही अनाज भी जमीन पर साथ में उगा सकते हैं, हालांकि मैदानी क्षेत्र में भी यह संभव है. पहाड़ी क्षेत्र में इसके सार्थकता और भी अधिक हो जाती है. विशेषज्ञों के माने तो हिमाचल के धर्म क्षेत्र में महोगनी पेड़ की खेती का सफल ट्रायल तो हो गया है, लेकिन किसानों के लिए अगले साल से ही यह उपलब्ध होंगे. अभी फिलहाल इसकी नर्सरी को तैयार किया जा रहा है.
12 साल में तैयार होता है महोगनी पेड़: औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के शोधकर्ता डॉ. दुष्यंत सिंह ने बताया कि तीन सौ पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है, जिसके लिए बाहरी राज्यों से बीज लाए गए थे. उन्होंने बताया कि बारह साल में ये बेशकीमती पौधा तैयार हो जाता है और महोगनी के पौधों की लकड़ी के साथ-साथ पत्तियों का भी इस्तेमाल किया जाता है. इसकी पत्तियों से मच्छर भगाने की दवाई बनाई जाती है. उन्होंने बताया कि ट्रायल के तौर पर पौधे लगाए गए हैं और एक साल के भीतर बढ़िया परिणाम सामने होंगे.
समुद्री जहाज में इस्तेमाल होती है महोगनी लकड़ी: नर्सरी में मौजूद तकनीकी सहायक सुरेश कुमार ने बताया कि महोगनी पौधे की नर्सरी तैयार की जा रही है और इसकी लकड़ी फर्नीचर के लिए सबसे बढ़िया होती है और समुद्री जहाज के लिए शिप बनाने के लिए भी महोगनी की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के डीन डॉ. सोमदेव सिंह का कहना है कि महोगनी पौधे की आज के समय में बहुत डिमांड है और इसकी लकड़ी बहुत अच्छी किस्म की होती है. उन्होंने बताया कि हमीरपुर में महोगनी के पौधों के लिए पर्यावरण अनुकूल है और इससे किसानों की आय के साधन बढ़ेंगे. उन्होंने बताया कि 12 साल के बाद इससे लाखों रुपये का मुनाफा होता है.
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