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अब मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर नहीं बनाएगा ड्राइविंग लाइसेंस, ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक कहेगा YES और NO - नादौन में बन रहा पायलट प्रोजेक्ट

अब लाइसेंस बनाना प्रदेश में आसान नहीं होगा.हमीरपुर के नादौन में पायलट प्रोजेक्ट के तहत ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक बनाया जा रहा है.इसके बनने के बाद लाइसेंस बनाना कठिन हो जाएगा.

It will be difficult to make license in Himachal
नादौन में बन रहा पायलट प्रोजेक्ट
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Published : Feb 8, 2020, 3:14 PM IST

हमीरपुर.आपका ड्राइविंग लाइसेंस अब मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर नहीं बनाएगा. इसे अब ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक तय करेगा. प्रदेश में अब सरकार आधुनिक तकनीक से ड्राइविंग लाइसेंस मंजूर करेगी. इससे सिफारिश और भ्रष्टाचार की संभावनाओं को खत्म किया जा सकेगा.

इस व्यवस्था के लागू होने से प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस लेना आसान बात नहीं होगी. लाइसेंस बनाने के इच्छुक लोगों को खूब पसीना बहाना पड़ेगा. इसके लिए जिले के नादौन में पहला ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक 10 करोड़ की लागत से तैयार होगा. इसके लिए 85 कनाल भूमि चिन्हित कर ली गई है . यहां पर पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर इस तकनीक को लागू किया जाएगा.

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क्षेत्रीय परिवहन विभाग प्रदेश के निदेशक जीएम पठानिया ने बताया आधुनिक तकनीक से नादौन में पहला ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक बनाया जा रहा है . इसके लिए भूमि चिन्हित कर ली गई है . विभागीय अधिकारियों की मानें तो यह ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक आधुनिक तकनीक से लैस होगा . जैसे ही चालक इस ट्रैक पर गाड़ी चलाएगा तो गाड़ी लाइन से बाहर जाने पर यह ट्रैक उसको भाप लेगा. मशीन के माध्यम से ही ऑटोमेटिक रिजल्ट तय हो जाएगा कि चालक को लाइसेंस दिया जाए या नहीं.

इस ट्रैक पर सीसीटीवी कैमरा लगे होंगे जो सेंसर के साथ काम करेंगे. यह कैमरा चालक की हर गतिविधि को रिकॉर्ड करेंगे और ड्राइविंग ट्रैक में लगे सेंसर के साथ मिलकर परिणाम तय करेंगे.

हमीरपुर.आपका ड्राइविंग लाइसेंस अब मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर नहीं बनाएगा. इसे अब ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक तय करेगा. प्रदेश में अब सरकार आधुनिक तकनीक से ड्राइविंग लाइसेंस मंजूर करेगी. इससे सिफारिश और भ्रष्टाचार की संभावनाओं को खत्म किया जा सकेगा.

इस व्यवस्था के लागू होने से प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस लेना आसान बात नहीं होगी. लाइसेंस बनाने के इच्छुक लोगों को खूब पसीना बहाना पड़ेगा. इसके लिए जिले के नादौन में पहला ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक 10 करोड़ की लागत से तैयार होगा. इसके लिए 85 कनाल भूमि चिन्हित कर ली गई है . यहां पर पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर इस तकनीक को लागू किया जाएगा.

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क्षेत्रीय परिवहन विभाग प्रदेश के निदेशक जीएम पठानिया ने बताया आधुनिक तकनीक से नादौन में पहला ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक बनाया जा रहा है . इसके लिए भूमि चिन्हित कर ली गई है . विभागीय अधिकारियों की मानें तो यह ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक आधुनिक तकनीक से लैस होगा . जैसे ही चालक इस ट्रैक पर गाड़ी चलाएगा तो गाड़ी लाइन से बाहर जाने पर यह ट्रैक उसको भाप लेगा. मशीन के माध्यम से ही ऑटोमेटिक रिजल्ट तय हो जाएगा कि चालक को लाइसेंस दिया जाए या नहीं.

इस ट्रैक पर सीसीटीवी कैमरा लगे होंगे जो सेंसर के साथ काम करेंगे. यह कैमरा चालक की हर गतिविधि को रिकॉर्ड करेंगे और ड्राइविंग ट्रैक में लगे सेंसर के साथ मिलकर परिणाम तय करेंगे.

Intro:अब एम बी आई नहीं ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक तय करेगा आपका ड्राइविंग लाइसेंस, लाइसेंसिंग प्रक्रिया में हो रहे बड़े बदलाव
हमीरपुर.
आपका ड्राइविंग लाइसेंस अब मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर नहीं बल्कि ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक तय करेगा। हिमाचल में अब सरकार आधुनिक तकनीक से ड्राइविंग लाइसेंस मंजूर करेगी, ताकि सिफारिश और भ्रष्टाचार की संभावनाओं को शून्य किया जा सके। इस व्यवस्था के लागू होने से हिमाचल प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस लेना आसान बात नहीं होगी। लाइसेंस बनाने के इच्छुक लोगों को खूब सीना बहाना पड़ेगा। इसके लिए हमीरपुर जिला के नादौन में पहला ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक 10 करोड रुपए की लागत से तैयार होगा इसके लिए 85 कनाल भूमि चिन्हित कर ली गई है यहां पर पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर इस तकनीक को लागू किया जाएगा।


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क्षेत्रीय परिवहन विभाग हिमाचल प्रदेश के निदेशक जीएम पठानिया ने कहा कि आधुनिक तकनीक से नादौन में पहला ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक बनाया जा रहा है इसके लिए भूमि चिन्हित कर ली गई है जिससे फ्रॉड की संभावना खत्म हो जाएगी।


Conclusion: विभागीय अधिकारियों की माने तो यह ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक आधुनिक तकनीक से लैस होगा जैसे ही चालक इस ट्रैक पर गाड़ी चलाएगा तो गाड़ी लाइन से बाहर जाने पर यह ट्रैक उसको भाप लेगा। मशीन के माध्यम से ही ऑटोमेटिक रिजल्ट तय हो जाएगा कि चालक को लाइसेंस दिया जाए अथवा नहीं। इस ट्रैक पर सीसीटीवी कैमरास लगे होंगे जो सेंसर के साथ कार्य करेंगे यह कैमरा चालक की हर गतिविधि को रिकॉर्ड करेंगे और ड्राइविंग ट्रैक में लगे सेंसर के साथ मिलकर परिणाम तय करेंगे। वर्तमान समय में लाइसेंस बनाने के लिए आवेदक जाते हैं तो ट्रैक पर ही अधिकारी से लेकर कैमरामैन होते हैं इसके अलावा दूसरे लोग भी वही चलते हैं लेकिन अब यह ट्रैक अलग से होगा और भीतर कोई भी व्यक्ति इस में दाखिल नहीं होगा केवल आवेदक और बहन सीसीटीवी की नजर में होंगे जिससे अब सिफारिश के झंझट से भी विभागीय अधिकारियों को राहत मिलेगी और योग्य आवेदकों को ही लाइसेंस जारी होंगे।
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