हमीरपुर: जहां एक तरफ सरकार और प्रशासन लोगों से घर में रहने की अपील कर रही है. वहीं, सरकार की अनुमति के बाद एक बार फिर से प्रोडक्शन में जुटे दवा निर्माता उद्योग का प्रबंधन कर्मचारियों को घरों से फैक्ट्री में पहुंचने के लिए मजबूर कर रहा है. अधिकतर फार्मा कंपनियां सरकार से मिली रियायत के बाद अब लॉक डाउन को दरकिनार करते हुए यह कंपनियां घरों से कर्मचारियों को कंपनियों तक पहुंचने के लिए लिखित आदेश जारी कर रही हैं.
आपको बता दें कि दवा कंपनियां नो वर्क नो पे के आदेश दे रही हैं. 1 अप्रैल से कई दवा कंपनियों ने यहां लिखित सर्कुलर जारी कर दिए हैं कि जो भी कर्मचारी 1 अप्रैल से कंपनी को ज्वाइन नहीं करेगा उसके अबसेंट लगाई जाएगी. उन्होंने सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं और मांग की है कि सरकार अपना स्टैंड क्लियर करें और घरों में जो लोग क्वारंटाइन और आइसोलेशन पर हैं. उन्हें कंपनियों में जाने के लिए मजबूर न किया जाए.
युवा अशोक शर्मा का कहना है कि केंद्र और प्रदेश सरकार एक तरफ लोगों से अपील कर रही है कि वह घरों में रहे वही अनुमति के बाद एक बार फिर से दवा निर्माता कंपनियां कार्य करने में जुट गई हैं. उन्होंने कहा कि कंपनियों को इंडस्ट्रियल एरिया में मौजूद कर्मचारियों को ही कार्य पर बुलाना चाहिए जो लोग घरों में पहुंच गए हैं उनको इसके लिए मजबूर नहीं करना चाहिए.
उपायुक्त हमीरपुर हरकेश मीणा का कहना है कि केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार ने इस बाबत अपील कर रखी है लॉकडाउन पीरियड के दौरान कर्मचारियों को किस तरह से भुगतान किया जाना है. इसके स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं फार्मा उद्योग से जुड़ी की समस्या को स्टडी करने के बाद वह इस पर कुछ कह सकते हैं. बाजार में दवाइयों की कमी आने का हवाला देकर दवा निर्माता कंपनियों ने प्रोडक्शन एक बार फिर शुरू कर दी है,
हालांकि महिला कर्मचारियों को 14 अप्रैल तक का कार्य पर ना आने की राहत दी गई है, लेकिन पुरुष कर्मचारी जो कि घरों में चले गए हैं या कंपनी से दूर हैं उनको स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं कि वह फैक्ट्री में आए नहीं तो उनको कंपनी लॉकडाउन पीरियड में सैलरी नहीं देगी.
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