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कौन हैं HAS अधिकारी शिखा? जो बनी हैं काजा की पहली महिला SDM - KAZA NEW SDM

SDM Shikha choose posting in Kaza: हिमाचल प्रदेश में हाल ही में 29 HAS अधिकारियों के तबादले हुए हैं. इन अधिकारियों में एक अधिकारी ऐसी भी है जिन्होंने जनजातीय इलाके में खुद से सेवाएं देने के लिए परेफरेंस चुनी है. डिटेल में पढ़ें खबर...

KAZA NEW SDM
शिखा, HAS अधिकारी (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 29, 2024, 8:20 AM IST

शिमला: हिमाचल की यह महिला अफसर पहाड़ के जीवन की जटिल व कठिन चुनौतियों को खूब समझती है. SDM काजा नियुक्त हुई शिखा खुद एक जनजातीय इलाके से आती हैं. इनके गांव में ना सड़क थी और ना ही अन्य मूलभूत सुविधाएं.

ऐसे में शिखा को जनता के दर्द का एहसास था. अब वह अफसर बन चुकी हैं तो उन्होंने आराम की जगह पोस्टिंग की बजाय कठिन क्षेत्र में लोगों की सेवा का विकल्प चुना है. ETV भारत से शिखा ने फोन पर बातचीत में कहा "मैं 2020 की HAS ऑफिसर हैं. उनकी पहली पोस्टिंग पंचरुखी में बतौर असिस्टेंट कमिश्नर डेवलपमेंट हुई थी. यहां कुछ समय सेवाएं देने के बाद उनको अगली तैनाती असिस्टेंट कमिश्नर रेवेन्यू के पद पर दी गई."

ऐसे में प्रशासनिक सेवाओं में चार साल के अनुभव के बाद अब इस महिला अफसर ने खुद ही दुर्गम जनजातीय क्षेत्र काजा में नौकरी के विकल्प को चुना और उनको क्षेत्र की पहली महिला SDM बनने का गौरव हासिल हुआ. शिखा का जन्म 14 फरवरी 1995 को चंबा जिला में भटियात के तहत पड़ने वाली पंचायत ककीरा के छोटे से गांव मंगनूह में हुआ जो एक अति दुर्गम क्षेत्र के तहत आता है. इस गांव में ना सड़क की और ना ही अन्य मूलभूत सुविधाएं थीं. घर से स्कूल काफी दूर था और कई किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता था.

ऐसे में बचपन से उनके मन में लोगों की लोगों की सेवा का भाव घर कर गया जो आगे चलकर प्रशासनिक ऑफिसर बनने के बाद पूरा हुआ. शिखा सात बहनों में सबसे छोटी हैं. उनके उनके पिता भारतीय सेना से कैप्टन पद से रिटायर हुए हैं.

शिखा ने बताया उनकी माता का देहांत साल 2008 में हो गया था, उस समय वह आठवीं कक्षा में पढ़ती थीं. ऐसे में पिता ने ही माता का फर्ज पूरा कर कर सभी बहनों का पालन-पोषण किया. उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर प्रशासनिक अधिकारी बनने का सफर तय किया है. शिखा ने बताया कि उन्होंने गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल ककीरा से प्लस टू तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज चुवाड़ी से बीएससी की डिग्री हासिल की.

इसके बाद शिखा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की डिग्री हासिल की. विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान शिखा ने प्रशासनिक अधिकारी बनकर कठिन क्षेत्रों में जाकर लोगों की सेवा करने का इरादा कर लिया था.

अफसर नहीं सेवक की तरह करूंगी काम

शिखा ने बताया "मैं खुद दुर्गम क्षेत्र से संबंध रखती हूं इसलिए पहाड़ के जीवन का दर्द समझती हूं. पहाड़ों के लोगों की कठिन जिंदगी को देखते हुए जनजातीय क्षेत्र काजा में स्वेच्छा से बतौर SDM लोगों की सेवा करने का विकल्प चुना है. ऑफिसर नहीं बल्कि सेवक बनकर आम जनता की सेवा करूंगी. मेरे ऑफिस का दरवाजा हमेशा लोगों के लिए खुला रहेगा, स्थानीय जनता बेझिझक अपनी समस्याओं को लेकर कभी भी मुझसे मिल सकती है."

एचएएस अधिकारी ने कहा "मैं हर क्षेत्र में जाकर सरकार की योजनाओं का लाभ सभी लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करूंगी." बता दें की शिमला से काजा की दूरी 420 किलोमीटर है. काजा लाहौल-स्पीति घाटी का एक छोटा-सा कस्बा है जो अपने शानदार नजारों, मोनेस्ट्री और खूबसूरत गांवों के लिए जाना जाता है. समुद्र तल से 3,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित काजा ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और स्पीति नदी से घिरा हुआ है. काजा हिमाचल प्रदेश के रिमोट इलाकों में से एक है.

ये भी पढ़ें: सुक्खू सरकार का बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 29 HAS बदले, काजा को मिली पहली महिला SDM

शिमला: हिमाचल की यह महिला अफसर पहाड़ के जीवन की जटिल व कठिन चुनौतियों को खूब समझती है. SDM काजा नियुक्त हुई शिखा खुद एक जनजातीय इलाके से आती हैं. इनके गांव में ना सड़क थी और ना ही अन्य मूलभूत सुविधाएं.

ऐसे में शिखा को जनता के दर्द का एहसास था. अब वह अफसर बन चुकी हैं तो उन्होंने आराम की जगह पोस्टिंग की बजाय कठिन क्षेत्र में लोगों की सेवा का विकल्प चुना है. ETV भारत से शिखा ने फोन पर बातचीत में कहा "मैं 2020 की HAS ऑफिसर हैं. उनकी पहली पोस्टिंग पंचरुखी में बतौर असिस्टेंट कमिश्नर डेवलपमेंट हुई थी. यहां कुछ समय सेवाएं देने के बाद उनको अगली तैनाती असिस्टेंट कमिश्नर रेवेन्यू के पद पर दी गई."

ऐसे में प्रशासनिक सेवाओं में चार साल के अनुभव के बाद अब इस महिला अफसर ने खुद ही दुर्गम जनजातीय क्षेत्र काजा में नौकरी के विकल्प को चुना और उनको क्षेत्र की पहली महिला SDM बनने का गौरव हासिल हुआ. शिखा का जन्म 14 फरवरी 1995 को चंबा जिला में भटियात के तहत पड़ने वाली पंचायत ककीरा के छोटे से गांव मंगनूह में हुआ जो एक अति दुर्गम क्षेत्र के तहत आता है. इस गांव में ना सड़क की और ना ही अन्य मूलभूत सुविधाएं थीं. घर से स्कूल काफी दूर था और कई किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता था.

ऐसे में बचपन से उनके मन में लोगों की लोगों की सेवा का भाव घर कर गया जो आगे चलकर प्रशासनिक ऑफिसर बनने के बाद पूरा हुआ. शिखा सात बहनों में सबसे छोटी हैं. उनके उनके पिता भारतीय सेना से कैप्टन पद से रिटायर हुए हैं.

शिखा ने बताया उनकी माता का देहांत साल 2008 में हो गया था, उस समय वह आठवीं कक्षा में पढ़ती थीं. ऐसे में पिता ने ही माता का फर्ज पूरा कर कर सभी बहनों का पालन-पोषण किया. उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर प्रशासनिक अधिकारी बनने का सफर तय किया है. शिखा ने बताया कि उन्होंने गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल ककीरा से प्लस टू तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज चुवाड़ी से बीएससी की डिग्री हासिल की.

इसके बाद शिखा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की डिग्री हासिल की. विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान शिखा ने प्रशासनिक अधिकारी बनकर कठिन क्षेत्रों में जाकर लोगों की सेवा करने का इरादा कर लिया था.

अफसर नहीं सेवक की तरह करूंगी काम

शिखा ने बताया "मैं खुद दुर्गम क्षेत्र से संबंध रखती हूं इसलिए पहाड़ के जीवन का दर्द समझती हूं. पहाड़ों के लोगों की कठिन जिंदगी को देखते हुए जनजातीय क्षेत्र काजा में स्वेच्छा से बतौर SDM लोगों की सेवा करने का विकल्प चुना है. ऑफिसर नहीं बल्कि सेवक बनकर आम जनता की सेवा करूंगी. मेरे ऑफिस का दरवाजा हमेशा लोगों के लिए खुला रहेगा, स्थानीय जनता बेझिझक अपनी समस्याओं को लेकर कभी भी मुझसे मिल सकती है."

एचएएस अधिकारी ने कहा "मैं हर क्षेत्र में जाकर सरकार की योजनाओं का लाभ सभी लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करूंगी." बता दें की शिमला से काजा की दूरी 420 किलोमीटर है. काजा लाहौल-स्पीति घाटी का एक छोटा-सा कस्बा है जो अपने शानदार नजारों, मोनेस्ट्री और खूबसूरत गांवों के लिए जाना जाता है. समुद्र तल से 3,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित काजा ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और स्पीति नदी से घिरा हुआ है. काजा हिमाचल प्रदेश के रिमोट इलाकों में से एक है.

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