हमीरपुर: उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के डायरिया प्रभावित क्षेत्रों का और कुनाह खड्ड में पेयजल योजनाओं का निरीक्षण करने के बाद रवाना होते ही खनन माफिया सक्रिय नजर आया. उप-मुख्यमंत्री कुनाह खड्ड की चढ़ाई चढ़कर गाड़ी से शिमला के लिए रवाना हुए ही थे कि इसी बीच खड्ड में ट्रैक्टर नजर आया, जबकि देर शाम नादौन थाना पुलिस की तरफ से अवैध खनन पर कई ट्रैक्टर चालकों के चालान भी काटे गए. पुलिस के मुताबिक ट्रैक्टर चालक एमफार्म नहीं दिखा पाए थे.
गौरतलब है कि खनन और साइट पर रेत अथवा बजरी भरकर ले जाने के लिए चालक के पास एमफार्म होना अनिवार्य होता है. उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री पेयजल योजनाओं का निरीक्षण करने के बाद जब लौटे तो ईटीवी भारत की टीम ने कुनाह खड्ड में ग्राउंड जीरो पर जाकर सरकार के अवैध खनन के दावों का रियलिटी चेक किया. उप-मुख्यमंत्री की तरफ से भी पेयजल योजना के दायरे में अवैज्ञानिक तरीके से खनन का दावा किया गया है.
उप-मुख्यमंत्री के दावों के मुताबिक डायरिया से प्रभावित पेयजल योजना के दायरे में अवैज्ञानिक तरीके से खनन और जलस्तर कम होने प्रयाप्त प्रमाण नजर आए. एक तरफ खनन के चलते पेयजल योजना के दायरे में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए थे, जिनमें गंदा पानी भरा हुआ था. जबकि पेयजल योजना के मुख्य सोर्स तक खड्ड का पानी पहुंचाने के लिए एक गहरी नाली विभाग की तरफ से खोदी नजर आई.
खनन के दावे तो सही नजर आए, लेकिन इसी बीच एक ट्रैक्टर भी पेयजल योजना के दायरे में नजर आया. जबकि उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को यहां से लौटे हुए महज 5 मिनट का ही वक्त हुआ था. ईटीवी भारत की टीम यह दावा नहीं करती है कि यह ट्रैक्टर अवैध खनन में संलिप्त था या नहीं. लेकिन विभाग के खनन के दावों को अगर सच माना जाए तो यहां पर खनन माफिया के सक्रिय होने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ पेयजल योजनाओं में खनन होने पर एफआईआर करने का ही कार्य किया जाएगा या फिर इस खनन को रोकने के लिए भी जमीनी स्तर पर कोई कदम उठाए जाएंगे. वहीं, शाम स्थानीय पुलिस की तरफ से ड्रोन कैमरे के जरिए पेयजल योजना के दायरे में निगरानी की गई. इस दौरान यहां पर अवैध खनन के चलते दो ट्रैक्टर चालकों के चालान भी काटे गए हैं. देर शाम तो पुलिस की तरफ से चालान काटने की जानकारी सामने आई, लेकिन उप-मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान भी अवैध खनन में जुटे माफियाओं का बेखौफ होना अपने आप में बड़ा सवाल है.
आखिर किसने किया पेयजल योजना के समीप अवैध खनन ?: सरकार यह मान चुकी है कि अवैध खनन के कारण पेयजल योजना का पानी दूषित हुआ है, जिस वजह से डायरिया फैला है. लेकिन यहां पर अवैज्ञानिक और अवैध खनन किसके द्वारा किया गया. इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा रहा है. एक तरफ पेयजल योजनाओं के सैंपल की रिपोर्ट अभी तक जल शक्ति विभाग की तरफ से सार्वजनिक नहीं की गई है, जबकि पेयजल योजना के समीप अवैध खनन किस की शह पर होता रहा, इसकी जवाबदेही भी तय नहीं की गई है.
क्या नाली खुदवाकर जुगाड़ तंत्र से योजना चलाने वाले अधिकारियों पर होगी कार्रवाई: सवाल यह भी है कि आखिर क्यों कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं हो पाई है. संभवत एकाएक यह पेयजल योजना अवैध खनन से प्रभावित नहीं हुई. इसके लिए लंबा समय लगा होगा. ऐसे में जलस्तर गिरने पर नाली खोदकर जुगाड़ तंत्र के सहारे पेयजल योजना को चलाने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई किया जाना जरूरी नहीं था?
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