हमीरपुर: केंद्र सरकार के आम बजट के बाद मध्यम वर्गीय परिवारों को निराशा ही हाथ लगी है. नौकरी पेशा लोगों के लिए भी इस बजट में कोई विशेष से राहत सरकार की तरफ से नहीं दी गई है. केंद्र सरकार के बजट में कोरोना और किसान आंदोलन का खासा प्रभाव देखने को मिला है.
यह कहना है पूर्व विशेष वित्त सचिव केआर भारती का. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में उन्होंने केंद्र सरकार के आम बजट पर विस्तार से अपनी बात रखी है. केआर भारती का कहना है कि देश के लगभग हर राज्य के लिए बजट का प्रावधान बजट में आमतौर पर किया जाता है.
'चुनावों के दृष्टिगत भी कुछ राज्यों को तवज्जो दी गई है'
उन्होंने कहा कि बजट डॉक्यूमेंट का विस्तार से अध्ययन करने के बाद इस पर अधिक राय दी जा सकती है, लेकिन सरकार की तरफ से चुनावों के दृष्टिगत भी कुछ राज्यों को तवज्जो दी गई है. उनका कहना है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट का विशेष प्रावधान रखा गया है, ताकि कोरोना वैक्सीन के अभियान को सुचारू रूप से पूरे देश में पूर्ण किया जाए.
'मध्यमवर्गीय परिवारों को निराशा ही हाथ लगी है'
इसके अलावा अगर टैक्स स्लैब की बात की जाए तो इसमें इस बार मध्यमवर्गीय परिवारों को निराशा ही हाथ लगी है. हालांकि 75 वर्ष से अधिक करदाताओं को जरूर राहत दी गई है लेकिन एक बड़ा वर्ग जो हमेशा टैक्स स्लैब में राहत की उम्मीद लगाए रहता है उसको कुल मिलाकर लिस्ट में कोई खास राहत नहीं मिली है.
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