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फसल विविधिकरण परियोजना ने बदली बलेटा गांव खेती की तस्वीर, किसानों की आय में बढ़ोतरी - हिमाचल न्यूज

उप परियोजना शुरू होने से पहले सब्जियों के तहत एक हेक्टेयर क्षेत्र रबी मौसम में था. अनाज की उत्पादकता और किसानों की आय भी सीमित थी. जाइका समर्थित हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण परियोजना के तहत बलेटा गांव में 5.41 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि को सुनिश्चित सिंचाई सुविधा प्रदान की गई, जिस पर लगभग 29.22 लाख रुपये खर्च हुए.

किसान
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Published : Oct 11, 2020, 1:42 PM IST

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण परियोजना पूरे प्रदेश सहित हमीरपुर जिला में भी किसानी व खेती की तस्वीर बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. जिला की ग्राम पंचायत सनाही के बलेटा गांव में जाइका समर्थित उप परियोजना स्थापित होने के बाद किसानों का रुझान परंपरागत खेती के बजाय नकदी फसलों की ओर हुआ है. उनकी आय में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

बलेटा गांव में खेती आय का मुख्य स्रोत है, लेकिन पानी की अनुपलब्धता, तकनीकी ज्ञान, कृषि उपकरणों, नई तकनीकों और गुणवत्तापूर्ण कृषि सामग्री की कमी के कारण किसान कम क्षेत्र में कृषि कर रहे थे. ज्यादातर अनाज वाली फसलें उगा रहे थे, जबकि सब्जी उत्पादन नाममात्र था.

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उप परियोजना शुरू होने से पहले सब्जियों के तहत एक हेक्टेयर क्षेत्र रबी मौसम में था. अनाज की उत्पादकता और किसानों की आय भी सीमित थी. जाइका समर्थित हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण परियोजना के तहत बलेटा गांव में 5.41 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि को सुनिश्चित सिंचाई सुविधा प्रदान की गई, जिस पर लगभग 29.22 लाख रुपये खर्च हुए.

कृषि उत्पाद को खेतों से मुख्य सड़क तक ले जाने के लिए एक संपर्क सड़क का निर्माण किया गया, जिस पर करीब 17.71 लाख रुपये खर्च किए गए. गांव में सब्जियों की नर्सरी व पौध की उपलब्धता हेतु 1.66 लाख रुपये में एक पॉलीहाउस का निर्माण किया गया.

वहीं, कुछ किसानों को पॉली टनल भी उपलब्ध करवाई गई. गाँव बलेटा के किसान अब सुनिश्चित सिंचाई व अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं और अनाज वाली फसलों के स्थान पर सब्जी उत्पादन को महत्व दे रहे हैं. किसानों को उनके उत्पाद के बाजार में अच्छे दाम भी मिल रहे हैं.

स्थानीय निवासी भागीरथ ने बताया कि पहले यहां पानी की कमी के कारण उन्होंने खेती लगभग छोड़ दी थी और जमीन बंजर हो रही थी, मगर जाइका परियोजना के बाद अब भरपूर पानी सिंचाई के लिए मिल रहा है. कोरोना महामारी के कारण लागू पूर्ण बंदी के दौर किसानों ने नकदी फसलें उगाकर अच्छा लाभ अर्जित किया.

कृषि विभाग के विशेषज्ञ राकेश कुमार ने कहा कि इस गांव में किसानों की आय में 4 से 5 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है. सिंचाई सुविधा के साथ-साथ सब्जी उत्पादन में जागरूकता बढ़ाने के लिए परियोजना में किसानों को तकनीकी ज्ञान, कृषि उपकरणों, नई तकनीकें और गुणवत्तापूर्ण कृषि सामग्री प्रदान की जा रही है.

कृषि उपकरण जैसे पावर वीडर, पावर टिल्लर, लहसुन प्लांटर्स इत्यादि मिलने के उपरांत किसानों ने भिंडी, टमाटर, खीरा, अदरक, आलू, प्याज, लहसुन, चुकंदर, फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली सब्जियों की खेती की जा रही है. उप परियोजना बलेटा में करीब संपूर्ण क्षेत्र सब्जी उत्पादन के अंतर्गत लाया जा चुका है और वर्ष 2019-2020 में फसल संघनता 270% तक हो गई है.

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण परियोजना पूरे प्रदेश सहित हमीरपुर जिला में भी किसानी व खेती की तस्वीर बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. जिला की ग्राम पंचायत सनाही के बलेटा गांव में जाइका समर्थित उप परियोजना स्थापित होने के बाद किसानों का रुझान परंपरागत खेती के बजाय नकदी फसलों की ओर हुआ है. उनकी आय में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

बलेटा गांव में खेती आय का मुख्य स्रोत है, लेकिन पानी की अनुपलब्धता, तकनीकी ज्ञान, कृषि उपकरणों, नई तकनीकों और गुणवत्तापूर्ण कृषि सामग्री की कमी के कारण किसान कम क्षेत्र में कृषि कर रहे थे. ज्यादातर अनाज वाली फसलें उगा रहे थे, जबकि सब्जी उत्पादन नाममात्र था.

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उप परियोजना शुरू होने से पहले सब्जियों के तहत एक हेक्टेयर क्षेत्र रबी मौसम में था. अनाज की उत्पादकता और किसानों की आय भी सीमित थी. जाइका समर्थित हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण परियोजना के तहत बलेटा गांव में 5.41 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि को सुनिश्चित सिंचाई सुविधा प्रदान की गई, जिस पर लगभग 29.22 लाख रुपये खर्च हुए.

कृषि उत्पाद को खेतों से मुख्य सड़क तक ले जाने के लिए एक संपर्क सड़क का निर्माण किया गया, जिस पर करीब 17.71 लाख रुपये खर्च किए गए. गांव में सब्जियों की नर्सरी व पौध की उपलब्धता हेतु 1.66 लाख रुपये में एक पॉलीहाउस का निर्माण किया गया.

वहीं, कुछ किसानों को पॉली टनल भी उपलब्ध करवाई गई. गाँव बलेटा के किसान अब सुनिश्चित सिंचाई व अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं और अनाज वाली फसलों के स्थान पर सब्जी उत्पादन को महत्व दे रहे हैं. किसानों को उनके उत्पाद के बाजार में अच्छे दाम भी मिल रहे हैं.

स्थानीय निवासी भागीरथ ने बताया कि पहले यहां पानी की कमी के कारण उन्होंने खेती लगभग छोड़ दी थी और जमीन बंजर हो रही थी, मगर जाइका परियोजना के बाद अब भरपूर पानी सिंचाई के लिए मिल रहा है. कोरोना महामारी के कारण लागू पूर्ण बंदी के दौर किसानों ने नकदी फसलें उगाकर अच्छा लाभ अर्जित किया.

कृषि विभाग के विशेषज्ञ राकेश कुमार ने कहा कि इस गांव में किसानों की आय में 4 से 5 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है. सिंचाई सुविधा के साथ-साथ सब्जी उत्पादन में जागरूकता बढ़ाने के लिए परियोजना में किसानों को तकनीकी ज्ञान, कृषि उपकरणों, नई तकनीकें और गुणवत्तापूर्ण कृषि सामग्री प्रदान की जा रही है.

कृषि उपकरण जैसे पावर वीडर, पावर टिल्लर, लहसुन प्लांटर्स इत्यादि मिलने के उपरांत किसानों ने भिंडी, टमाटर, खीरा, अदरक, आलू, प्याज, लहसुन, चुकंदर, फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली सब्जियों की खेती की जा रही है. उप परियोजना बलेटा में करीब संपूर्ण क्षेत्र सब्जी उत्पादन के अंतर्गत लाया जा चुका है और वर्ष 2019-2020 में फसल संघनता 270% तक हो गई है.

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