भोरंज/हमीरपुर: प्रदेश में कोरोना काल में लॉकडाउनके बाद अब अनलॉक तीन शुरू होने वाला है. इसके बावजूद अभी भी युवाओं को रोजगार के लिए भटकना पड़ रहा है. कुछ युवा रोजगार छिनने के बाद दिहाड़ी मजदूरी, रेहड़ी फड़ी लगाकर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं.
युवा कोरोना के डर से बाहरी राज्य में नहीं जा रहे हैं. ऐसे में युवा स्वरोजगार को अपना रहे हैं. भोरंज की भरेड़ी-अवाहदेवी सड़क मार्ग पर हनोह गांव के करीब 4 युवाओं ने मिलकर जंगल में पकौड़े की टपरी खोली है. यहां पकोड़े, समोसे और जलेबी बनाकर लोगों को बेच रहे हैं.
पंकु नाम के युवा ने जानकारी देते हुए बताया कि इससे पहले वे बद्दी में काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण घर आ गए. रोजगार न होने के कारण बाजार से करीब 6 किलोमीटर दूर टपरी खोलने की सोची. यहां शेड डाल कर उसमें पकोड़े, समोसे और जलेबी बनाकर बेच रहे हैं. इससे रोजगार भी मिल रहा है और आमदनी भी हो रही है.
पंकु ने बताया कि टपरी खोलने पर युवाओं की हर रोज दिहाड़ी हो जाती है. इसे लेकर क्षेत्र में उनके काम की सराहना हो रही है. उन्होंने कहा कि यहां पर गाड़ी से गुजरने वाले चालक भी सड़क किनारे गाड़ी लगाकर ताजी मिठाइयां खरीद रहे हैं. शुरुआत सिर्फ पकोड़े और जलेबी से ही की थी, लेकिन मांग बढ़ने के बाद समोसे, पनीर पकौड़ा, स्प्रिंग रोल इत्यादि भी बना रहे हैं. युवाओं ने बताया की वे यंहा समाजिक दूरी के नियम की पालना भी करते हैं. साथ ही सभी को मास्क लगाने के लिए प्रेरित भी करते हैं.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के बाद भी युवा ही सबसे ज्यादा चिंतित हैं. युवाओं का रोजगार छिन चुका है. ऐसे में युवाओं के अवसाद में जाने का खतरा रहता है, लेकिन भोरंज के हनोह गांव के युवाओं ने कोरोना काल स्वरोजगार को अपनाया और अब टपरी पर ये युवा आमदनी भी कमा रहे हैं.
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