भोरंज : जाहू पंचायत के इतिहास में 52 साल बाद पहली बार पंचायत प्रधान की कमान महिला के हाथ होगी. मतदाताओं को पहली बार प्रधान पद के लिए मातृ शक्ति को चुनने का मौका मिलेगा. बतातें चले कि जाहू तीन जिलों को छोटा हुआ कसवा जिसके चलते यह कसवे राजनीतिक हलचल का केंद्र बिंदु भी रहता है.
जाहू हिमाचल के गठन से पहले पंजाब राज्य के कांगड़ा रियासत के अधीन था. उस समय सबसे पहले 1968 में हुए पंचायत चुनाव में पहली बार स्वर्गीय मनसुख महाजन जाहू पंचायत के सरपंच बने थे. हिमाचल के गठन के बाद पहली बार हुए पंचायत चुनाव में मतदाताओं ने दूसरी बार मनसुख महाजन को दूसरी बार प्रधान चुना था.
इसके बाद स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय पंडित राम लाल को 1978 से 1985 तक प्रधान पद की कमान सौंपी. लेकिन 1985 से 1995 तक प्रकाश चंद शर्मा दो बार प्रधान रहे. पांच साल बाद 1995 में हुए चुनाव में स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामलाल के बड़े बेटे रोशनलाल शर्मा ने प्रकाश चंद शर्मा को हरा कर प्रधान पद पर कब्जा कर लिया और 2000 तक प्रधान बने रहे.
2000 में प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर प्रधान पद के लिए राम रखा और प्रेम लाल के बीच टक्कर हुई इसमें राम रखा प्रधान चुने गए.2005 में हुए चुनाव में स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामलाल दूसरी बार जाहू पंचायत के प्रधान बने और वह अगस्त 2008 तक प्रधान पद पर काबिज रहे.
इस दौरान तत्कालीन उपप्रधान तिलकराज आठ अगस्त 2008 से दिसंबर 2008 तक कार्यकारी प्रधान मनोनीत किए गए. प्रधान पद के उपचुनाव में दिसंबर 2008 से 21 जनवरी 2011 तक प्रकाश चंद शर्मा को लोगों ने तीसरी बार कमान सौंपी.
दसवें प्रधान पद के चुनाव में चमन लाल काकू ने प्रकाश चंद शर्मा को हराकर प्रधान पद को हासिल कर लिया. 11वें पंचायत चुनाव में प्रधान पद अनूसचित जाति के वर्ग के लिए आरक्षित होने पर निवर्तमान प्रधान राजू और प्रेम लाल के बीच कांटे की टक्कर हुई. इसमें राजू प्रधान चुने गए. 52 सालों के इतिहास में एक बार भी जाहू पंचायत प्रधान की कमान महिला के हाथों में नहीं रही है.