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चंबा में बंदरों का आतंक से किसानों की फसलें बर्बाद, सरकार से मदद की गुहार - Monkeys ruins farmers' crops in chamba

चंबा में बंदरों के आंतक से किसानों और बागबानों का जीना हराम हो गया है, बंदर दिनदहाड़े लोगों की कच्ची फसलों को तबाह कर रहे हैं, जिसके चलते लोगों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

चंबा में बंदरों का आतंक
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Published : Sep 15, 2019, 11:40 PM IST

चंबा: जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हर रोज बढ़ रहे बंदरों के आंतक से किसानों और बागबानों का जीना हराम हो गया है. बंदर दिन दहाड़े लोगों की कच्ची फसलों को तबाह कर रहे हैं. लोगों ने बंदरो की लूट को देखते हुए सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

खून पसीने की कमाई पर पड़ रही कुदरती मार के साथ मवेशियों और उत्पातियों के आंतक से किसान के खेत खलिहान बंजर होने की कगार पर हैं. चंबा और इसके साथ लगते ग्राम पंचायत बाट, उटीप सरोल भद्रम कियाणी के अलावा दुर्गम क्षेत्र चुराह सलूणी, भांदल किहार और हिमगिरी के साथ लगते जनजातीय क्षेत्रो के किसान बंदरों के उत्पात से काफी चिंता में हैं.

किसान देसराज, जग्गो राम, पवन कुमार, अनिल, चुनी लाल, मनोज, निधिया, ज्ञान चंद और हरदेव का कहना है कि सुबह से शाम तक खेतों में पहरेदारी करने के बाद भी बंदरो से फसल सुरिक्षत बचा पाना मुश्किल हो गया है. जंगलों और नदी नालों के साथ लगने वाले क्षेत्रों में बंदरों ने काफी तबाही फैला रखी है, फसल पकने से पहले ही खेतों में पूरी तरह तबाह हो रही है.

चंबा: जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हर रोज बढ़ रहे बंदरों के आंतक से किसानों और बागबानों का जीना हराम हो गया है. बंदर दिन दहाड़े लोगों की कच्ची फसलों को तबाह कर रहे हैं. लोगों ने बंदरो की लूट को देखते हुए सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

खून पसीने की कमाई पर पड़ रही कुदरती मार के साथ मवेशियों और उत्पातियों के आंतक से किसान के खेत खलिहान बंजर होने की कगार पर हैं. चंबा और इसके साथ लगते ग्राम पंचायत बाट, उटीप सरोल भद्रम कियाणी के अलावा दुर्गम क्षेत्र चुराह सलूणी, भांदल किहार और हिमगिरी के साथ लगते जनजातीय क्षेत्रो के किसान बंदरों के उत्पात से काफी चिंता में हैं.

किसान देसराज, जग्गो राम, पवन कुमार, अनिल, चुनी लाल, मनोज, निधिया, ज्ञान चंद और हरदेव का कहना है कि सुबह से शाम तक खेतों में पहरेदारी करने के बाद भी बंदरो से फसल सुरिक्षत बचा पाना मुश्किल हो गया है. जंगलों और नदी नालों के साथ लगने वाले क्षेत्रों में बंदरों ने काफी तबाही फैला रखी है, फसल पकने से पहले ही खेतों में पूरी तरह तबाह हो रही है.

Intro: बंदरों का आतंक किसानों की फसलें कर रहे बर्बाद किसान परेशांन सरकार से मदद की गुहार ,

चंबा सहित इसके विभिन्न क्षेत्रों में हर रोज बढ़ रहे बंदरों के आंतक से किसानों व बागबानों का जीना हराम हो गया है। खून पसीने की कमाई पर पड़ रही कुदरती मार के साथ मवेशियों व उत्पातियों के आंतक से किसान के खेत खलिहान बंजर होने की कगार पर पहुंच गए है। अब चंबा सहित इसके साथ लगते ग्राम पंचायत बाट, उटीप सरोल भद्रम कियाणी के अलावा दुर्गम क्षेत्र चुराह सलूणी, भांदल किहार व हिमगिरी के अलावा इसके साथ लगते अन्य क्षेत्रों सहित जनजातीय क्षेत्रोें के किसान भी बंदरों के उत्पात से काफी चिंता में हैंBody:किसान देसराज, जग्गो राम, पवन कुमार, अनिल, चुनी लाल, मनोज, निधिया, ज्ञान चंद व हरदेव सहित अन्य कई किसान बागबान कहते हैं कि सुबह से शाम तक खेतों में पहरेदारी करने के बाद भी उत्पातियों से फसल सुरिक्षत बचा पाना टेढ़ी खीर बन गया हैConclusion:जंगलों एवं नदी नालों के साथ लगने वाले क्षेत्रों में बंदरों का काफी आतंक फैल रहा है, जिससे पकने से पहले खेतों में ही फसल पूरी तरह से तबाह हो रही है। पहाड़ों के बदलते क्लाईमेट एवं वातावरण में अब 12 माह तक बर्फ में ही बंदर बिना परेशानी से रह रहे हैं।
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