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चंबा में 135 दिन के लिए बंद हुआ कार्तिक स्वामी का मंदिर, सदियों से चली आ रही है ये परंपरा - चंबा हिंदी न्यूज

भरमौर के दूरस्थ कुगती स्थित भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट विधिवत पूजा-अर्चना के बाद 135 दिनों के लिए बंद कर दिए. सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन करते हुए अब बैशाखी पर्व पर इस मंदिर के कपाट श्रद्वालुओं के लिए खुलेंगे.

Kartik Swami Temple of Kugati closed for 135 days in chamba
फोटो.
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Published : Nov 30, 2020, 7:33 PM IST

चंबा: जिले के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के दूरस्थ कुगती स्थित भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट विधिवत पूजा-अर्चना के बाद 135 दिनों के लिए बंद कर दिए. सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन करते हुए अब बैशाखी पर्व पर इस मंदिर के कपाट श्रद्वालुओं के लिए खुलेंगे.

लिहाजा इस अवधि तक मंदिर में भक्तों की आवाजाही पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा. कार्तिक स्वामीके पुजारियों ने करीब तीन फुट बर्फ के बीच मंदिर पहुंच कर इस परंपरा का निर्वाहन किया है. जानकारी के अनुसार जनजातीय क्षेत्र भरमौर के दूरस्थ कुगती में स्थित प्राचीन कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट गुरूवार से आगामी 135 दिनों के लिए बंद हो गए.

वीडियो.

136 वें यानी बैशाखी वाले दिन विधिवत रूप से पूजा-अर्चना होगी और बाद में मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे. मान्यता है कि देवभूमि पर प्रकृति बर्फ की चादर ओढ कर सुप्त अवस्था में चली जाती है औरदेवता स्वर्ग लोक की ओर प्रस्थान कर जाते है. इस अवधि के बीच मंदिर की तरफ रूख करने वालों के साथ अनहोनी की भी अंशका बनी रहती है.

कार्तिक स्वामी मंदिर के पुजारी मचलू राम शर्मा का कहना है कि मंदिर में अब यात्रियों की आवाजाही पूर्ण रूप से बंद रहेगी. अब बैशाखी पर्व पर मंदिर के कपाट विधिवत पूजा-अर्चना के बाद खुलेंगे. उनका कहना है कि सदियों से इस परंपरा का यहां पर निर्वाहन किया जा रहा है.

Kartik Swami Temple of Kugati closed for 135 days in chamba
फोटो.

सदियों से चली आ रही है मंदिर के कपाट बंद करने की परंपरा

ग्रामीणों के मुताबिक नबंवर माह के अंतिम सप्ताह में सर्दियों से मंदिर के कपाट बंद करने की परंपरा चली आ रही है और मौजूदा समय में भी इसका पूरी निष्ठा के साथ निर्वाहन किया जा रहा है. मंदिरों के बंद होने की समयअंतराल को स्थानीय भाषा में अंदरोल का नाम दिया गया है.

ग्रामीणों में मान्यता है कि अंदरोल के छह माह में देवी-देवता इन मंदिरों में नहीं होते है. लिहाजा इस दौरान मंदिरों की ओर रूख करना भी अशुभ माना जाता है ओर यदि को अंदरोल के दौरान मंदिरों की ओर जाए भी तो उनके साथ किसी प्रकार की अनहोनी होने की भी संभावना बनी रहती है.

Kartik Swami Temple of Kugati closed for 135 days in chamba
फोटो.

यह भी है एक मान्यता

भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट बंद करने के पीछे एक मान्यता यह भी है कि सर्दियों में कार्तिकेय दक्षिण भारत की ओर प्रस्थान कर जाते है. लिहाजा इसी के चलते नबंवर माह के अंतिम सप्ताह में इस मंदिर को यात्रियों के लिए बंद कर दिया जाता है. जाहिर है कि भगवान कार्तिक स्वामी के प्रति दक्षिण भारत के लोगों में भी अटूट आस्था है.

मंदिर के भीतर रखा जल से भरा कलश को देख बैशाखी पर्व पर होगी भविष्यवाणी

भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट बंद करने के दौरान पानी से भर कर एक कलश भी रखा जाता है. बैशाखी पर्व पर मंदिर के कपाट खोलने के साथ ही कलशके के जल को देखकर वर्षभर के मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाएगा.

गर्भगृह में रखे कलश के भीतर जल की मात्रा को देख कर यहां पर मौसम का पूर्वानुमानलगाया जाएगा. अगर कलश में पानी की मात्रा बेहद कम या सूखा रहता है तो माना जाता है कि वर्ष में सूखे की स्थिति का यहां पर सामना करना पडेगा.

वहीं, कलश में जितना अधिक जल होगा, उतनी ही बारिश वर्ष में यहां पर होगी. जनजातीय क्षेत्र भरमौर के दूरस्थ कुगती के प्राचीन भगवान कार्तिक स्वामी से जुड़ी यह भी एक विशेष मान्यता है.

Kartik Swami Temple of Kugati closed for 135 days in chamba
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उत्तर भारत की प्रसिद्व मणिमहेश यात्रा का भी है कुगती एक अहम पड़ाव

उत्तरी भारत की प्रसिद्व मणिमहेश यात्रा के तहत लाहौल स्पीति से आने वाले शिवभक्तों का कुगती एक अहम पडाव रहता है. इसको लेकर भी एक मान्यता है कि जो यात्री मणिमहेश यात्रा के दौरान सबसे पहले कार्तिक स्वामी मंदिर में दर्शन करते हैं, उन्हें यात्रा के दौरान किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता. इसके अलावा मणिमहेश यात्रा के दौरान हर वर्ष सैकड़ों की तादाद में शिवभक्त कुगती होकर मणिमहेश परिक्रमा यात्रा भी करते है.

चंबा: जिले के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के दूरस्थ कुगती स्थित भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट विधिवत पूजा-अर्चना के बाद 135 दिनों के लिए बंद कर दिए. सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन करते हुए अब बैशाखी पर्व पर इस मंदिर के कपाट श्रद्वालुओं के लिए खुलेंगे.

लिहाजा इस अवधि तक मंदिर में भक्तों की आवाजाही पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा. कार्तिक स्वामीके पुजारियों ने करीब तीन फुट बर्फ के बीच मंदिर पहुंच कर इस परंपरा का निर्वाहन किया है. जानकारी के अनुसार जनजातीय क्षेत्र भरमौर के दूरस्थ कुगती में स्थित प्राचीन कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट गुरूवार से आगामी 135 दिनों के लिए बंद हो गए.

वीडियो.

136 वें यानी बैशाखी वाले दिन विधिवत रूप से पूजा-अर्चना होगी और बाद में मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे. मान्यता है कि देवभूमि पर प्रकृति बर्फ की चादर ओढ कर सुप्त अवस्था में चली जाती है औरदेवता स्वर्ग लोक की ओर प्रस्थान कर जाते है. इस अवधि के बीच मंदिर की तरफ रूख करने वालों के साथ अनहोनी की भी अंशका बनी रहती है.

कार्तिक स्वामी मंदिर के पुजारी मचलू राम शर्मा का कहना है कि मंदिर में अब यात्रियों की आवाजाही पूर्ण रूप से बंद रहेगी. अब बैशाखी पर्व पर मंदिर के कपाट विधिवत पूजा-अर्चना के बाद खुलेंगे. उनका कहना है कि सदियों से इस परंपरा का यहां पर निर्वाहन किया जा रहा है.

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सदियों से चली आ रही है मंदिर के कपाट बंद करने की परंपरा

ग्रामीणों के मुताबिक नबंवर माह के अंतिम सप्ताह में सर्दियों से मंदिर के कपाट बंद करने की परंपरा चली आ रही है और मौजूदा समय में भी इसका पूरी निष्ठा के साथ निर्वाहन किया जा रहा है. मंदिरों के बंद होने की समयअंतराल को स्थानीय भाषा में अंदरोल का नाम दिया गया है.

ग्रामीणों में मान्यता है कि अंदरोल के छह माह में देवी-देवता इन मंदिरों में नहीं होते है. लिहाजा इस दौरान मंदिरों की ओर रूख करना भी अशुभ माना जाता है ओर यदि को अंदरोल के दौरान मंदिरों की ओर जाए भी तो उनके साथ किसी प्रकार की अनहोनी होने की भी संभावना बनी रहती है.

Kartik Swami Temple of Kugati closed for 135 days in chamba
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यह भी है एक मान्यता

भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट बंद करने के पीछे एक मान्यता यह भी है कि सर्दियों में कार्तिकेय दक्षिण भारत की ओर प्रस्थान कर जाते है. लिहाजा इसी के चलते नबंवर माह के अंतिम सप्ताह में इस मंदिर को यात्रियों के लिए बंद कर दिया जाता है. जाहिर है कि भगवान कार्तिक स्वामी के प्रति दक्षिण भारत के लोगों में भी अटूट आस्था है.

मंदिर के भीतर रखा जल से भरा कलश को देख बैशाखी पर्व पर होगी भविष्यवाणी

भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट बंद करने के दौरान पानी से भर कर एक कलश भी रखा जाता है. बैशाखी पर्व पर मंदिर के कपाट खोलने के साथ ही कलशके के जल को देखकर वर्षभर के मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाएगा.

गर्भगृह में रखे कलश के भीतर जल की मात्रा को देख कर यहां पर मौसम का पूर्वानुमानलगाया जाएगा. अगर कलश में पानी की मात्रा बेहद कम या सूखा रहता है तो माना जाता है कि वर्ष में सूखे की स्थिति का यहां पर सामना करना पडेगा.

वहीं, कलश में जितना अधिक जल होगा, उतनी ही बारिश वर्ष में यहां पर होगी. जनजातीय क्षेत्र भरमौर के दूरस्थ कुगती के प्राचीन भगवान कार्तिक स्वामी से जुड़ी यह भी एक विशेष मान्यता है.

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उत्तर भारत की प्रसिद्व मणिमहेश यात्रा का भी है कुगती एक अहम पड़ाव

उत्तरी भारत की प्रसिद्व मणिमहेश यात्रा के तहत लाहौल स्पीति से आने वाले शिवभक्तों का कुगती एक अहम पडाव रहता है. इसको लेकर भी एक मान्यता है कि जो यात्री मणिमहेश यात्रा के दौरान सबसे पहले कार्तिक स्वामी मंदिर में दर्शन करते हैं, उन्हें यात्रा के दौरान किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता. इसके अलावा मणिमहेश यात्रा के दौरान हर वर्ष सैकड़ों की तादाद में शिवभक्त कुगती होकर मणिमहेश परिक्रमा यात्रा भी करते है.

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