चंबा: गांधी जयंती के मौके पर जिला मुख्यालय को अधिकारियों और नेताओं ने मिलकर कचरा मुक्त करने की भरपूर कोशिश की, लेकिन इस गंदगी को वैज्ञानिक तरीके से निष्पादित नहीं किया गया है. गांधी जयंती के मौके पर इक्टठा किए गए कूड़े को रावी नदी के किनारे ठिकाने लगाया गया था. कूड़े के ढेर से रावी का पानी प्रदूषित हो रहा है.
इससे पहले भी कई बार नगर परिषद चंबा और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कूड़े को रावी नदी के किनारे डंप करने पर आमने-सामने हो चुके हैं. कूड़ें की डंपिंग के लिए सही स्थान न होने पर गंदगी को ठिकाने लगाना नगर परिषद चंबा के लिए चुनौती बन गया है. वहीं, रावी को गंदगी से बचाना भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लिए कठिन कार्य है.
जानकारी के अनुसार शहर से निकलने वाला टनों के हिसाब से कूड़े-कर्कट को कुरांह के कूड़ा-संयंत्र केंद्र में निष्पादित किया जाता रहा है, लेकिन समय के साथ यहा गंदगी के ढेर लगने शुरू हो गए थे. लोगों ने कूड़े को आग लगाना शुरू कर दिया था. आग से उठने वाले जहरीले धुएं स्थानीय लोगों को पेरशानी हो रही थी
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ग्रामीणों के प्रदर्शन के बाद एनजीटी ट्रिब्यूनल ने इस मामला में हस्तक्षेप किया और कूड़े को जलाना बंद करवा दिया गया. नप चंबा ने कई अन्य जगहों पर कूड़ा संयंत्र केंद्र के लिए जगह तलाशी की, लेकिन लोगों के विरोध के कारण नप कूड़ा संयंत्र दूसरी जगह स्थापित नही कर सका. चंबा जनमंच के अध्यक्ष भुवनेश्वर शर्मा ने बताया कि नगर परिषद ने किचन के ठोस अपशिष्ट के लिए निष्पादन केंद्र बनाया था. उन्होंने कहा कि 15 सालों में नप चंबा ने कोई खाद नहीं बनाई है. चंबा निष्पादन केंद्र बनाने के लिए साथ लगती पंचायतों से किसी प्रकार की एनओसी भी नहीं ली गई है.
उन्होंने बताया कि मात्र एक प्रधान से कोरे कागज पर हस्ताक्षर लिए गए हैं. शहर से निकलने वाले कूड़े का निष्पादन करने का जिम्मा नप चंबा का है. शहर से निकलने वाला कूड़ा कहां फेंका जा रहा है इसका पूरा रिकॉर्ड नप चंबा के पास है.
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सदर विधायक पवन नैयर का कहना है कि कूड़ा संयंत्र केंद्र को चालू करवा दिया गया है और कूड़े को वैज्ञानिक ढंग से निष्पादित किया जा रहा है. इसके साथ ही पॉलीथीन और प्लास्टिक लोनिवि को दिया जाएगा.