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बस किराए में बढ़ोतरी पर राम लाल ठाकुर ने सरकार पर साधा निशाना, बताया जनविरोधी फैसला - increased bus fare in himachal

हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की ओर से की गई 25 प्रतिशत किराए में वृद्धि के फैसले को राम लाल ठाकुर ने प्रदेश सरकार का जन विरोधी फैसला करार दिया है. प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद राज्य की जनता पर अब और बोझ पड़ चुका है. राम लाल ठाकुर ने कहा कि यह देश के उत्तरी भारत के राज्यों में होने वाली अभी तक की सबसे बड़ी वृद्धि है.

राम लाल ठाकुर
राम लाल ठाकुर
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Published : Jul 20, 2020, 8:53 PM IST

बिलासपुर: कांग्रेस विधायक राम लाल ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की ओर से की गई 25 प्रतिशत किराए में वृद्धि की निंदा की है. राम लाल ठाकुर ने प्रदेश सरकार के इस फैसले को जन विरोधी फैसला करार दिया है.

राम लाल ठाकुर ने कहा कि पहले ही डीजल-पेट्रोल की कीमतों ने लोंगो का जीना दूभर कर रखा है. उसके ऊपर से गाड़ियों की इंश्योरेंस की कीमतें दोगुनी ही चुकी हैं, नई गाड़ियों का पंजीकरण करवाना पहले से ही महंगा है. ऊपर से इस लॉकडाउन और मंदी के दौर में बस किरायों में कई गई वृद्धि बहुत गलत फैसला है.

प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद राज्य की जनता पर अब और बोझ पड़ चुका है. राम लाल ठाकुर ने कहा कि यह देश के उत्तरी भारत के राज्यों में होने वाली अभी तक की सबसे बड़ी वृद्धि है. राम लाल ठाकुर ने कहा कि एक तरह तो प्रदेश सरकार ने सरकारी व निजी ऑपरेटर बसों को 100 फीसदी सवारियां बिठाने को मंजूरी दे दी थी, तो अब इस तरह से 25 प्रतिशत की वृद्धि करना एक जनविरोधी फैसला है.

हिमाचल में इस समय साधारण बसों का किराया मैदानी इलाकों में प्रति किमी 1.12 रुपये और पहाड़ियों में 1.75 रुपये है. इसी तरह, मैदानी इलाकों में डीलक्स बसों का किराया 1.37 रुपये प्रति किमी और पहाड़ी इलाके में 2.17 रुपये प्रति किमी है.

वोल्वो और वातानुकूलित बसों के लिए, मैदानों में किराया 2.74 रुपये प्रति किमी और पहाड़ी इलाके में 3.62 रुपये है. वहीं, न्यूनतम बस का किराया पांच रुपये है. जबकि प्रदेश में बसों का किराया मैदानी इलाकों की बनिस्पत कम होना चाहिए क्योंकि यहां पर आर्थिक तौर पर किसान वर्ग रहता है और उनकी आर्थिकी मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की अपेक्षा कम होती है.

हिमाचल जैसे राज्य की अर्थव्यवस्था खेतीबाड़ी पर ज्यादा निर्भर होती है और मैदानी क्षेत्रों के लोगों की अर्थ व्यवस्था उद्योगों पर ज्यादा निर्भर करती है, तो ऐसे में यह अनावश्यक किराया वृद्धि प्रदेश की जनता के लिए ठीक नहीं है.

पढ़ें: कोरोना के बीच महंगाई की मार! हिमाचल में बस किराये में 25 फीसदी की बढ़ोतरी

पढ़ें: 108 एंबुलेंस सेवा में बदली जाएंगी 38 एंबुलेंस, जानें जयराम कैबिनेट के अहम फैसले

बिलासपुर: कांग्रेस विधायक राम लाल ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की ओर से की गई 25 प्रतिशत किराए में वृद्धि की निंदा की है. राम लाल ठाकुर ने प्रदेश सरकार के इस फैसले को जन विरोधी फैसला करार दिया है.

राम लाल ठाकुर ने कहा कि पहले ही डीजल-पेट्रोल की कीमतों ने लोंगो का जीना दूभर कर रखा है. उसके ऊपर से गाड़ियों की इंश्योरेंस की कीमतें दोगुनी ही चुकी हैं, नई गाड़ियों का पंजीकरण करवाना पहले से ही महंगा है. ऊपर से इस लॉकडाउन और मंदी के दौर में बस किरायों में कई गई वृद्धि बहुत गलत फैसला है.

प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद राज्य की जनता पर अब और बोझ पड़ चुका है. राम लाल ठाकुर ने कहा कि यह देश के उत्तरी भारत के राज्यों में होने वाली अभी तक की सबसे बड़ी वृद्धि है. राम लाल ठाकुर ने कहा कि एक तरह तो प्रदेश सरकार ने सरकारी व निजी ऑपरेटर बसों को 100 फीसदी सवारियां बिठाने को मंजूरी दे दी थी, तो अब इस तरह से 25 प्रतिशत की वृद्धि करना एक जनविरोधी फैसला है.

हिमाचल में इस समय साधारण बसों का किराया मैदानी इलाकों में प्रति किमी 1.12 रुपये और पहाड़ियों में 1.75 रुपये है. इसी तरह, मैदानी इलाकों में डीलक्स बसों का किराया 1.37 रुपये प्रति किमी और पहाड़ी इलाके में 2.17 रुपये प्रति किमी है.

वोल्वो और वातानुकूलित बसों के लिए, मैदानों में किराया 2.74 रुपये प्रति किमी और पहाड़ी इलाके में 3.62 रुपये है. वहीं, न्यूनतम बस का किराया पांच रुपये है. जबकि प्रदेश में बसों का किराया मैदानी इलाकों की बनिस्पत कम होना चाहिए क्योंकि यहां पर आर्थिक तौर पर किसान वर्ग रहता है और उनकी आर्थिकी मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की अपेक्षा कम होती है.

हिमाचल जैसे राज्य की अर्थव्यवस्था खेतीबाड़ी पर ज्यादा निर्भर होती है और मैदानी क्षेत्रों के लोगों की अर्थ व्यवस्था उद्योगों पर ज्यादा निर्भर करती है, तो ऐसे में यह अनावश्यक किराया वृद्धि प्रदेश की जनता के लिए ठीक नहीं है.

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