बिलासपुर: लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं. सभी पार्टियों के नेता अपने-अपने क्षेत्रों में विकास के बड़े-बड़े दावे कर लोगों को अपने पक्ष में वोट करनेके लिए आकर्षित रहे हैं. इलाके में मूलभूत सुविधा न होने की वजह से लोग इस बार के लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का मन बनाया है.
जिले के स्वारघाट उपमंडल के भाखड़ा विस्थापितों के 5 गांव भटेड़, चिल्ट, बेरियला, डडोह और कनफारा के लोगों को आज भी जरूरी सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय ही नेताओं की आमद गांव में होती है. इसके बाद कोई भी गांव का रुख नहीं करता है.
गांव के लोगों का कहना है कि पिछले साल 2018 में सड़क की खस्ता हालत और समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से गांव के 5 लोगों की मौत हो गई थी. अगर गांव में कोई बीमार हो जाए तो उसे पलंग पर लेटा कर हॉस्पिटल पहुंचाना पड़ता है. बरसात के मौसम में सड़क पर पड़े गड्डों में कीचड़ और पानी के बीच बच्चों को स्कूल जाना पड़ता है.
गांव के निवासी नंदकिशोर का कहना है कि अगर रात के समय कोई मरीज बीमार हो जाए तो उसे कंधों पर उठाकर श्रीनैना देवी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाना पड़ता है. करीब 10 किलोमीटर लंबा सफर मरीज के लिए काफी दुखदाई रहता है और कई बार तो अस्पताल पहुंचते-पहुंचते मरीज की जान भी चली जाती है. इन 5 गांव के ग्रामीणों का कहना है कि इस बार मतदान का बहिष्कार करेंगे क्योंकि हर बार नेता लोग चुनावों के समय में आते हैं और वादे करके चले जाते हैं. लेकिन इस बार वह किसी भी झांसे में नहीं आने वाले हैं.