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भाखड़ा विस्थापितों को सड़क और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं, ग्रामीण लोकसभा चुनाव का करेंगे बहिष्कार

साल 2018 में सड़क की खस्ता हालत और समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से गांव के 5 लोगों की मौत हो गई थी. ग्रामीणों का कहना है कि इस बार मतदान का बहिष्कार करेंगे क्योंकि हर बार नेता लोग चुनावों के समय में आते हैं और वादे करके चले जाते हैं.

लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे भाखड़ा विस्थापित गांव के लोग.
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Published : Apr 5, 2019, 2:46 PM IST

बिलासपुर: लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं. सभी पार्टियों के नेता अपने-अपने क्षेत्रों में विकास के बड़े-बड़े दावे कर लोगों को अपने पक्ष में वोट करनेके लिए आकर्षित रहे हैं. इलाके में मूलभूत सुविधा न होने की वजह से लोग इस बार के लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का मन बनाया है.

जिले के स्वारघाट उपमंडल के भाखड़ा विस्थापितों के 5 गांव भटेड़, चिल्ट, बेरियला, डडोह और कनफारा के लोगों को आज भी जरूरी सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय ही नेताओं की आमद गांव में होती है. इसके बाद कोई भी गांव का रुख नहीं करता है.

लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे भाखड़ा विस्थापित गांव के लोग.

गांव के लोगों का कहना है कि पिछले साल 2018 में सड़क की खस्ता हालत और समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से गांव के 5 लोगों की मौत हो गई थी. अगर गांव में कोई बीमार हो जाए तो उसे पलंग पर लेटा कर हॉस्पिटल पहुंचाना पड़ता है. बरसात के मौसम में सड़क पर पड़े गड्डों में कीचड़ और पानी के बीच बच्चों को स्कूल जाना पड़ता है.

गांव के निवासी नंदकिशोर का कहना है कि अगर रात के समय कोई मरीज बीमार हो जाए तो उसे कंधों पर उठाकर श्रीनैना देवी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाना पड़ता है. करीब 10 किलोमीटर लंबा सफर मरीज के लिए काफी दुखदाई रहता है और कई बार तो अस्पताल पहुंचते-पहुंचते मरीज की जान भी चली जाती है. इन 5 गांव के ग्रामीणों का कहना है कि इस बार मतदान का बहिष्कार करेंगे क्योंकि हर बार नेता लोग चुनावों के समय में आते हैं और वादे करके चले जाते हैं. लेकिन इस बार वह किसी भी झांसे में नहीं आने वाले हैं.

बिलासपुर: लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं. सभी पार्टियों के नेता अपने-अपने क्षेत्रों में विकास के बड़े-बड़े दावे कर लोगों को अपने पक्ष में वोट करनेके लिए आकर्षित रहे हैं. इलाके में मूलभूत सुविधा न होने की वजह से लोग इस बार के लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का मन बनाया है.

जिले के स्वारघाट उपमंडल के भाखड़ा विस्थापितों के 5 गांव भटेड़, चिल्ट, बेरियला, डडोह और कनफारा के लोगों को आज भी जरूरी सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय ही नेताओं की आमद गांव में होती है. इसके बाद कोई भी गांव का रुख नहीं करता है.

लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे भाखड़ा विस्थापित गांव के लोग.

गांव के लोगों का कहना है कि पिछले साल 2018 में सड़क की खस्ता हालत और समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से गांव के 5 लोगों की मौत हो गई थी. अगर गांव में कोई बीमार हो जाए तो उसे पलंग पर लेटा कर हॉस्पिटल पहुंचाना पड़ता है. बरसात के मौसम में सड़क पर पड़े गड्डों में कीचड़ और पानी के बीच बच्चों को स्कूल जाना पड़ता है.

गांव के निवासी नंदकिशोर का कहना है कि अगर रात के समय कोई मरीज बीमार हो जाए तो उसे कंधों पर उठाकर श्रीनैना देवी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाना पड़ता है. करीब 10 किलोमीटर लंबा सफर मरीज के लिए काफी दुखदाई रहता है और कई बार तो अस्पताल पहुंचते-पहुंचते मरीज की जान भी चली जाती है. इन 5 गांव के ग्रामीणों का कहना है कि इस बार मतदान का बहिष्कार करेंगे क्योंकि हर बार नेता लोग चुनावों के समय में आते हैं और वादे करके चले जाते हैं. लेकिन इस बार वह किसी भी झांसे में नहीं आने वाले हैं.

Intro:जिला बिलासपुर के स्वारघाट उपमंडल के भाखड़ा विस्थापितों के 5 गांव आज भी सड़क और Body:long sheet .... बीमार मरीज को कंधे पर उठाकर ले जाते ग्रामीण. ग्रामीणों द्वारा सामूहिक रूप से चुनाव के बहिष्कार के दृश्य. बरसात में कीचड़ भरी सड़क में स्कूल जाते छोटे-छोटे बच्चों के फरबरी माह के सोसल मिडिया पर वायरल विडिओ दृश्य ,सड़क के खस्ताहाल के दृश्य और अन्य Conclusion:जिला बिलासपुर के स्वारघाट उपमंडल के भाखड़ा विस्थापितों के 5 गांव आज भी सड़क और चिकित्शा सुबिधा से महरुम है भटेड़ ,चिल्ट ,बेरियला ,डडोह और कनफारा के गांववासियों ने इस बार चुनावों के बहिष्कार का फैसला किया है पंजाब हरियाणा और दिल्ली को पानी और बिजली देने वाले भाखड़ा विस्थापित खुद सड़क और चिकित्सा सुविधा से मेहरूम है गावं बासियों का कहना हैं कि पिछले बर्ष 2018 में सड़क की खस्ताहाल से समय पर चिकित्षा सुबिधा मिलने से पांच ग्रामीणों की मौत हो गई अगर कोई गांव में मरीज बीमार हो जाए तो उसे पलंग पर लेटा कर हॉस्पिटल पहुंचाना पड़ता है बरसात के मौसम में छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाते हैं तो सड़क में कीचड़ में उनके कपड़े ,स्कूल बेग और पैर खराब हो जाते हैं कई बार तो उन्हें ठंड के मौसम में भी नंगे पांव ही सड़क पार करनी पड़ती है स्कूली बच्चों की फरबरी महीने में बर्षा के दौरान की तस्बीरे भी आपको दिखाएंगे जो सोसल मिडिया पर वायरल हुयी हैं अगर दो दिन बर्षा हो जाए तो सड़क कीचड़ भर जाती हैं और कैसे छोटे छोटे बच्चों के जूतों में जब कीचड़ भर जाता हैं तो बह जूते हाथ में पकड़ कर स्कूल पहुंचते हैं इसके अलावा अगर कोई गांव में मरीज बीमार हो जाए तो उसे पलंग पर लेटा कर हॉस्पिटल पहुंचाना पड़ता है

व्/ओ

इन 5 गांव के ग्रामीणों का कहना है कि इस बार मतदान का बहिष्कार करेंगे क्योंकि हर बार नेता लोग चुनावों के समय में आते हैं और वादे करने के बाद लॉलीपॉप दे जाते हैं लेकिन इस बार वह किसी भी झांसे में आने वाले नहीं गांव के निवासी नंदकिशोर का कहना है कि अगर रात के समय कोई मरीज बीमार हो जाए तो उसे कंधों पर उठाकर श्री नैना देवी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाना पड़ता है 10 किलोमीटर लंबा सफर मरीज के लिए काफी दुखदाई रहता है और कई बार तो पहुंचते-पहुंचते मरीज की जान भी चली जाती है नंदकिशोर का यह भी कहना है कि अगर कोई नेता लिखित रूप में वादा करेगा कि उनके गांव को सड़क और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र प्रदान किया जाएगा तो वह मतदान करने पर विचार कर सकते हैं अन्यथा पूरे गांव मतदार का बहिष्कार करेंगे

bite of gramin nand kishore

bite of student

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long sheet .... बीमार मरीज को कंधे पर उठाकर ले जाते ग्रामीण. ग्रामीणों द्वारा सामूहिक रूप से चुनाव के बहिष्कार के दृश्य. बरसात में कीचड़ भरी सड़क में स्कूल जाते छोटे-छोटे बच्चों के फरबरी माह के सोसल मिडिया पर वायरल विडिओ दृश्य ,सड़क के खस्ताहाल के दृश्य और अन्य
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