बिलासपुरः साहब...घर जाना है...कैसे जाएं...नहीं मालूम, बस घर पहुंचा दो. कड़कती धूप में यह पुकार रविवार को प्रवासी मजदूर लगाते हुए एक बार फिर से पैदल सड़कों पर निकल गए. रविवार करीब 12 बजे यह प्रवासी मजदूर बिलासपुर शहर की सड़कों पर पैदल घरों को जाते हुए दिखाई दिए.
अपना जरूरतमंद का सामान अपने कंधों पर उठाए यह मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए रवाना हो रहे हैं. एक तरफ सरकार इन प्रवासी मजदूरों को घर वापस भेजने की कार्ययोजना तैयार किए हुए है तो वहीं, धरातल में इन मजदूरों की दास्तां कुछ और बयां कर रही है.
रविवार दोपहर के समय शहर के कॉलेज चौक के पास 5 से 10 प्रवासी मजदूर अपने सामान उठाए हुए जा रहे थे. उससे आगे जैसे ही नजर दौड़ाई तो एकाएक लगभग 20 से 25 मजदूर जो पश्चिम बंगाल और झारखंड के रहने वाले थे एक साथ पैदल ही अपने घरों के लिए वापस जा रहे थे.
इस दौरान जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने प्रवासी मजदूरों से पूछा तो उन्होंने कहा साहब घर जाना है...कैसे जाएं...नहीं मालूम, बस घर पहुंचा दो. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि शुरुआती दौर में सरकार की ओर से उन्हें राशन व खाना उपलब्ध होता रहा, लेकिन अब कुछ भी नहीं मिल रहा है. मजदूरी लग नहीं रही है, जिसके चलते अब उनके पास पैसे भी नहीं है. जो पैसे थोड़े बहुत थे वह खत्म हो चुके हैं. ऐसे में अब पैदल ही घर जाने के लिए निकल पड़े हैं.
गौरतलब है कि ईटीवी भारत ने पहले भी प्रवासी मजदूरों का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था. ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से इन प्रवासी मजदूरों को वापस घर भेजने की कवायद शुरू हो गई. ऐसे में अब यह मजदूर भी घर जाने की गुहार लगा रहे हैं. डीसी बिलासपुर राजेश्वर गोयल ने बताया कि सरकार की ओर से प्रवासी मजदूरों को घर भेजा जा रहा है और औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इन प्रवासी मजदूरों को भी घर भेज दिया जाएगा.
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