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बिलासपुर में लोहड़ी का चढ़ने लगा खुमार, नौनिहाल लोहड़ी गाकर कर रहे संस्कृति मजबूत - बिलासपुर में चढ़ने लगा लोहड़ी का खुमार

लोहड़ी को कुछ दिन ही बचे है पर उसका खुमार अब चढ़ने लगा है. लोहड़ी गीत जगह-जगह सुनाई देने लगे हैं. बिलासपुर के नैण गांव में पारंपरिक लोहड़ी गीतों को गाकर बच्चे और नोजवान अपनी संस्कृति को मजबूत कर रहे हैं.

Lohri hangs in children in Bilaspur
बिलासपुर में लोहड़ी का चढ़ने लगा खुमार,नौनिहाल लोहड़ी गाकर कर रहे संस्कृति मजबूत
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Published : Jan 11, 2020, 1:27 PM IST

बिलासपुर: लोहड़ी को कुछ दिन ही बचे हैं. ऐसे में बच्चों से लेकर नौजवानों तक उसका खुमार चढ़ने लगा है. लोहड़ी गीत गाते हुए जगह-जगह अब बच्चों से लेकर नौजवान और बुजुर्ग सुबह-शाम मिल जाएंगे.

घुमारवी उपमंडल की तहत पड़ने वाली लुहारवीं पंचायत के गांव नैण में पारंपरिक तरीके से लोहड़ी को गाते हुए स्थानीय बच्चे आधुनिकता के इस दौर में पुराने त्योहारों की रंगत बरकरार रखकर संस्कृति को मजबूत कर रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट

उत्तर भारत में लोहड़ी पर्व को धूम-धूाम से मनाया जाता है. हिमाचल में अभी कुछ गांव है जिनमें लोहड़ी के पर्व को बिल्कुल पुराने तरीके से गाकर मनाया जाता है. नैण गांव के समाजसेवी मनीष ठाकुर ने बताया कि बच्चे जिस तरह से लोहड़ी गाकर घर-घर जा रहे हैं इससे ग्रामीण काफी कुश हैं. ये देखकर अच्छा लगता है कि अभी भी बच्चों में अपनी संस्कृति को संजोए रखने की ललक बरकरार है.

कब मनाते हैं लोहड़ी?
लोहड़ी उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है. इसे मकर संक्राति के के एक दिन पहले मनाया जाता है. इसकी पूर्व संध्या पर रात्रि में खुले स्थान में परिवार और पड़ोसी लोग मिलकर आग जलाकर घेरा बनाकर बैठते हैं. इस दौरान पूजा-अर्चना कर मूंगफली, रेवड़ी आदि खाने की परंपरा चली आ रही है.

बिलासपुर: लोहड़ी को कुछ दिन ही बचे हैं. ऐसे में बच्चों से लेकर नौजवानों तक उसका खुमार चढ़ने लगा है. लोहड़ी गीत गाते हुए जगह-जगह अब बच्चों से लेकर नौजवान और बुजुर्ग सुबह-शाम मिल जाएंगे.

घुमारवी उपमंडल की तहत पड़ने वाली लुहारवीं पंचायत के गांव नैण में पारंपरिक तरीके से लोहड़ी को गाते हुए स्थानीय बच्चे आधुनिकता के इस दौर में पुराने त्योहारों की रंगत बरकरार रखकर संस्कृति को मजबूत कर रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट

उत्तर भारत में लोहड़ी पर्व को धूम-धूाम से मनाया जाता है. हिमाचल में अभी कुछ गांव है जिनमें लोहड़ी के पर्व को बिल्कुल पुराने तरीके से गाकर मनाया जाता है. नैण गांव के समाजसेवी मनीष ठाकुर ने बताया कि बच्चे जिस तरह से लोहड़ी गाकर घर-घर जा रहे हैं इससे ग्रामीण काफी कुश हैं. ये देखकर अच्छा लगता है कि अभी भी बच्चों में अपनी संस्कृति को संजोए रखने की ललक बरकरार है.

कब मनाते हैं लोहड़ी?
लोहड़ी उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है. इसे मकर संक्राति के के एक दिन पहले मनाया जाता है. इसकी पूर्व संध्या पर रात्रि में खुले स्थान में परिवार और पड़ोसी लोग मिलकर आग जलाकर घेरा बनाकर बैठते हैं. इस दौरान पूजा-अर्चना कर मूंगफली, रेवड़ी आदि खाने की परंपरा चली आ रही है.

Intro:पुराणिक लोहड़ी गा कर बच्चों ने बटोरीयां सुर्खियां
Body:जिला बिलासपुर के घुमारवी उपमड़ल की तहत पड़ने वाली पंचायत लुहारवीं के गांव नैण मे पारंपरिक तरीके से लोहड़ी को गाते हुए स्थानीय बच्चे है ।बेशक आधुनिकता के जमाने में त्यौहार व Conclusion:



अपनी संस्कृति को लोग खोने लगे हैं फिर भी हिमाचल में अभी कुछ गांव है जिनमें लोहड़ी के पर्व को बिल्कुल पौराणिक तरीक़े से गाया जा रहा है ।लोहड़ी को जिस तरह से इन बच्चों ने गा कर प्रस्तुत किया गया है उससे आज के आधुनिकता के जमाने में पौराणिक गाथाओं की याद को ताजा कर दिया गया है ।

नैण गांव के समाजसेवी मनीष ठाकुर ने कहा कि बच्चों के द्धारा इस तरह से लोहड़ी गा कर प्रस्तुत की गई हैं जिससे गांव के लोगों मे भी खुशी है कि अभी भी बच्चों में अपनी संस्कृति को संजोए रखने के लिए दृढ़ संकल्प लिए लोगों को लोहड़ी गा कर सुना रहे हैं ।
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