बिलासपुर: प्रदेश में कोरोना संकट में लोगों को सुविधा देने के लिए बसों की आवाजाही शुरू की गई थी. वहीं, कम सवारियों के कारण कम लोग ही बसों में सफर कर रहे हैं. इसके चलते सरकार को सबसे अधिक कमाई देने वाला डिपो भी इन दिनों मंदी की मार झेल रहा है. कोरोना काल में हिमाचल पथ परिवहन निगम को हर रोज करोड़ों नुकसान पहुंच रहा है.
हालांकि, कोरोना संकट में पहले के मुकाबले अभी भी कम ही बसें चल रही हैं. बिलासपुर पथ परिवहन निगम की बसों की बात करें तो वर्तमान में सिर्फ लगभग 55 रूट ही यहां पर चलाए जा रहे हैं. कोरोना काल से पहले यहां पर 100 से अधिक रूटों पर बसें चला करती थी.
कोरोना संकट से पहले डिपो को बसों से लाखों रूपये की इनकम होती थी, लेकिन अब हालात ऐसे भी हो गए हैं कि हर रोज 50 हजार रूपये भी निकालना भी निगम के लिए मुश्किल हो गया है.
बिलासपुर पथ परिवहन निगम के पास 130 बसें है. इन सभी बसों को डिपो इस्तेमाल कर रहा है. बिलासपुर के कई दुर्गम इलाकों में बेहतर बसों को भेजा जाता है. कोरोना से बचाव को लेकर रूटों पर भेजे जाने से पहले बसों को सेनिटाइज किया जाता है. साथ ही बाहरी राज्यों से भी आ रही बसों को सेनिटाइज किया जा रहा है.
सवारियों की सुरक्षा को लेकर बस में सफर करने वाले लोगों की थर्मल स्कैनिंग की जाती है. सवारियों को उसके बाद ही बसों में बिठाया जाता हैं. इसके अलावा बसों के चालक और परिचालकों की सुरक्षा के लिए उन्हें गल्ब्ज, फेसमास्क और सेनिटाइजर दिए गए हैं, ताकि वे भी वायरस से अपना बचाव कर सकें.
सरकार ने अपनी आर्थिकी को बढ़ाने के लिए बसों के किराए में भी बढ़ोतरी की थी. इसके बावजूद हालात में कोई भी बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है. लोग अभी भी बसों में सफर करने से परहेज कर रहे हैं, जिसके कारण सरकार को किसी भी तरह से कोई आर्थिक लाभ पहुंचता नहीं दिखाई दे रहा है.
निजी बस ऑपरेटर कम सवारियां होने के कारण आमदनी न होने की बात कह रहे हैं, जिसके कारण चालक और परिचालकों की सैलरी निकालना भी मुश्किल हो रहा है. सरकार ने लॉकडाउन में निजी बस ऑपरेटरों का टैक्स माफ कर दिया था. वहीं, अब निजी बस ऑपरेटर मार्च 2021 तक टैक्स को माफ करने की मांग कर रहे हैं.
गौरतलब है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसे में लोग बसों में कम सफर कर रहे हैं. वहीं, सवारियां कम होने से कम ही रूटों पर ही बसें चलाई जा रही हैं. कोरोना संकट में सभी रूटों पर बसें नहीं चलाई जा रही हैं. इसका खामियाजा लोगों के साथ साथ निगम को भी झेलना पड़ रहा है.
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