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बिलासपुर: अमरूद-अनार से बागवान होंगे मालामाल, बागवानी विभाग ने शुरू की ये प्रक्रिया

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Published : Oct 15, 2020, 6:05 PM IST

सरकार प्रदेश को बागवानी के माध्यम से लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने का प्रयास कर रही है. इसी के तहत अब बिलासपुर में अमरूद, अनार सहित अन्य फल यहां के किसानों को मालामाल करेंगे. उद्यान विभाग ने इसको लेकर कामकाज तेज कर दिया है.

Guava-pomegranate will benefit farmers in Bilaspur
किसानों के बनाए गए समूह

बिलासपुर: प्रदेश को बागवानी राज्य बनाने और लोगों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार ने कवायद तेज कर दी है. एशियन विकास बैंक एडीबी द्वारा वित्त पोषित एचपी शिवा परियोजना के तहत अमरूद, लीची, मौसंबी और अनार की खेती की जाएगी. इसके लिए जिले में बागवानी विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है. हर ब्लॉक में 150 हेक्टेयर सिंचित एरिया का चयन आईपीएच और बागवानी विभाग की ज्वाइंट टीमें कर रही हैं.

17 समूह गठित किए गए

जिले में अगले पांच साल के अंदर 600 हेक्टेयर एरिया चिन्हित कर ज्यादा से ज्यादा किसान बागवानों को इस परियोजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य तय किया गया है. यहां बता दें कि शुरुआती दौर में पायलट बेस पर यह परियोजना प्रदेश के चार जिलों बिलासपुर, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर में शुरू की गई,जबकि अब ऊना सिरमौर, सोलन को भी सम्मिलित किया गया. चयनित जिलों में परियोजना को लागू करने के लिए 17 समूह गठित किए गए हैं. इनके अंतर्गत बिलासपुर में चार, मंडी में छह, कांगड़ा में पांच और हमीरपुर में दो समूह ,जबकि ऊना में एक और सोलन , सिरमौर में दो-दो समूह गठित किए जाएंगे.

एक समूह में 10 हेक्टेयर क्षेत्र

एक समूह में 10 हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है. चिन्हित जिलों में परियोजना के अंतर्गत डेढ़ सौ से ज्यादा हेक्टेयर क्षेत्र में फलदार पौधे रोपित किए जाएंगे. इनमें संतरा, लीची, अमरूद व अनार इत्यादि पौधे शामिल हैं. लॉकडाउन के दौरान बागवानी विभाग ने फल पौधरोपण स्थलों को तैयार किया. इस पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत उन क्षेत्रों को विकसित करने को प्राथमिकता दी गई, जहां अभी तक फल उत्पादन नहीं होता.

तार फेसिंग होगी

इसके अतिरिक्त ऐसे स्थानों को भी परियोजना में शामिल किया गया है ,जहां जंगली जानवरों से प्रभावित किसानों ने खेती बाड़ी करना छोड़ दिया है, ताकि इन क्षेत्रों के लोगों को बागवानी से जोड़कर आर्थिक तौर पर सक्षम बनाया जा सके. इस प्रोजेक्ट के तहत बागवानों की फसलों को बचाने के लिए धरातल से छह फीट ऊंचाई तक कंटीली तारें लगाने के साथ ही इनके ऊपर सोलर फेसिंग की जाएगी, ताकि लावारिस छोड़े गए पशु और अन्य जंगली जानवर फसलों को नुकसान न पहुंचा सकें.

ट्रायल बेस पर 40 हेक्टेयर एरिया चयनित

उद्यान विभाग के उपनिदेशक डाॅ. विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि शिवा प्रोजेक्ट के तहत अभी तक ट्रायल बेस पर 40 हेक्टेयर एरिया चयनित कर बागवानी शुरू की गई है. उन्होंने बताया कि किसानों के समूह बनाकर कलस्टर स्तर पर बागवानी के लिए किसान, बागवानों खासकर पढ़े लिखे बेरोजगारों को भी इस तरफ आकर्षित किया जा रहा. उन्होंने बताया कि जिले के दसलेहड़ा, मझेड़, लंझता और तलवाड़ा में किसानों के समूह बनाए गए हैं.

ये भी पढ़े: आदेशों की अवहेलना! सैंपल जांच रिपोर्ट आए बिना ही छात्रों को बांटी गई स्मार्ट वर्दी

बिलासपुर: प्रदेश को बागवानी राज्य बनाने और लोगों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार ने कवायद तेज कर दी है. एशियन विकास बैंक एडीबी द्वारा वित्त पोषित एचपी शिवा परियोजना के तहत अमरूद, लीची, मौसंबी और अनार की खेती की जाएगी. इसके लिए जिले में बागवानी विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है. हर ब्लॉक में 150 हेक्टेयर सिंचित एरिया का चयन आईपीएच और बागवानी विभाग की ज्वाइंट टीमें कर रही हैं.

17 समूह गठित किए गए

जिले में अगले पांच साल के अंदर 600 हेक्टेयर एरिया चिन्हित कर ज्यादा से ज्यादा किसान बागवानों को इस परियोजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य तय किया गया है. यहां बता दें कि शुरुआती दौर में पायलट बेस पर यह परियोजना प्रदेश के चार जिलों बिलासपुर, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर में शुरू की गई,जबकि अब ऊना सिरमौर, सोलन को भी सम्मिलित किया गया. चयनित जिलों में परियोजना को लागू करने के लिए 17 समूह गठित किए गए हैं. इनके अंतर्गत बिलासपुर में चार, मंडी में छह, कांगड़ा में पांच और हमीरपुर में दो समूह ,जबकि ऊना में एक और सोलन , सिरमौर में दो-दो समूह गठित किए जाएंगे.

एक समूह में 10 हेक्टेयर क्षेत्र

एक समूह में 10 हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है. चिन्हित जिलों में परियोजना के अंतर्गत डेढ़ सौ से ज्यादा हेक्टेयर क्षेत्र में फलदार पौधे रोपित किए जाएंगे. इनमें संतरा, लीची, अमरूद व अनार इत्यादि पौधे शामिल हैं. लॉकडाउन के दौरान बागवानी विभाग ने फल पौधरोपण स्थलों को तैयार किया. इस पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत उन क्षेत्रों को विकसित करने को प्राथमिकता दी गई, जहां अभी तक फल उत्पादन नहीं होता.

तार फेसिंग होगी

इसके अतिरिक्त ऐसे स्थानों को भी परियोजना में शामिल किया गया है ,जहां जंगली जानवरों से प्रभावित किसानों ने खेती बाड़ी करना छोड़ दिया है, ताकि इन क्षेत्रों के लोगों को बागवानी से जोड़कर आर्थिक तौर पर सक्षम बनाया जा सके. इस प्रोजेक्ट के तहत बागवानों की फसलों को बचाने के लिए धरातल से छह फीट ऊंचाई तक कंटीली तारें लगाने के साथ ही इनके ऊपर सोलर फेसिंग की जाएगी, ताकि लावारिस छोड़े गए पशु और अन्य जंगली जानवर फसलों को नुकसान न पहुंचा सकें.

ट्रायल बेस पर 40 हेक्टेयर एरिया चयनित

उद्यान विभाग के उपनिदेशक डाॅ. विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि शिवा प्रोजेक्ट के तहत अभी तक ट्रायल बेस पर 40 हेक्टेयर एरिया चयनित कर बागवानी शुरू की गई है. उन्होंने बताया कि किसानों के समूह बनाकर कलस्टर स्तर पर बागवानी के लिए किसान, बागवानों खासकर पढ़े लिखे बेरोजगारों को भी इस तरफ आकर्षित किया जा रहा. उन्होंने बताया कि जिले के दसलेहड़ा, मझेड़, लंझता और तलवाड़ा में किसानों के समूह बनाए गए हैं.

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