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आस्थाः पेट के बल नाप दिया 180 किलोमीटर का सफर, पंजाब से शीश नवाने नैना देवी के दरबार पहुंचे श्रद्धालु - श्रद्धालुओं का जत्था

विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में पेट के बल पहुंचे श्रद्धालु. पंजाब के धुरी से लगभग 180 किलोमीटर का सफर पेट के बल पूरा करके नैना देवी पहुंचे भक्त.

devotees from punjab reached naina devi
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Published : Sep 22, 2019, 2:09 PM IST

बिलासपुरः विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में पंजाब के धुरी शहर के श्रद्धालुओं की एक अदभुत यात्रा देखने को मिली. पंजाब के धुरी से श्रद्धालुओं का एक जत्था लगभग 180 किलोमीटर का सफर पेट के बल पूरा करके 3 दिन के बाद मंदिर पहुंचा.

श्रद्धालुओं का ये जत्था हर साल श्राद्ध पक्ष में दंडवत यात्रा करते हुए माता श्री नैना देवी के दरबार में पहुंचते हैं और इन श्रद्धालुओं का कहना है कि यह यात्रा पंडित सोहन लाल की प्रेरणा के द्वारा हर वर्ष की जाती है जिसमें बृद्ध ,युवा और बच्चे हर तरह के श्रद्धालु शामिल हैं. इस यात्रा के दौरान यात्रियों का कहना था कि यह उनकी 20 वीं यात्रा है और पंजाब के धुरी से हर बर्ष 186 किलोमीटर का सफर पेट के बल तय कर वह माता श्री नैना देवी के दरबार में पहुंचते हैं.

विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में पेट के बल पहुंचे श्रद्धालु.

इस यात्रा के दौरान कुछ श्रद्धालुओं के पैरों में छाले पड़ गए और पैरों पर पट्टियां बंधी थी फिर भी श्रद्धालुओं के चहरे पर थकान नजर नहीं आई. उनका कहना है कि माता रानी ही इस तरह की कठिन यात्राएं करने की प्रेरणा देती हैं और आगे भी यात्रा जारी रहेगी.

बिलासपुरः विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में पंजाब के धुरी शहर के श्रद्धालुओं की एक अदभुत यात्रा देखने को मिली. पंजाब के धुरी से श्रद्धालुओं का एक जत्था लगभग 180 किलोमीटर का सफर पेट के बल पूरा करके 3 दिन के बाद मंदिर पहुंचा.

श्रद्धालुओं का ये जत्था हर साल श्राद्ध पक्ष में दंडवत यात्रा करते हुए माता श्री नैना देवी के दरबार में पहुंचते हैं और इन श्रद्धालुओं का कहना है कि यह यात्रा पंडित सोहन लाल की प्रेरणा के द्वारा हर वर्ष की जाती है जिसमें बृद्ध ,युवा और बच्चे हर तरह के श्रद्धालु शामिल हैं. इस यात्रा के दौरान यात्रियों का कहना था कि यह उनकी 20 वीं यात्रा है और पंजाब के धुरी से हर बर्ष 186 किलोमीटर का सफर पेट के बल तय कर वह माता श्री नैना देवी के दरबार में पहुंचते हैं.

विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में पेट के बल पहुंचे श्रद्धालु.

इस यात्रा के दौरान कुछ श्रद्धालुओं के पैरों में छाले पड़ गए और पैरों पर पट्टियां बंधी थी फिर भी श्रद्धालुओं के चहरे पर थकान नजर नहीं आई. उनका कहना है कि माता रानी ही इस तरह की कठिन यात्राएं करने की प्रेरणा देती हैं और आगे भी यात्रा जारी रहेगी.

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विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में पंजाब के धुरी शहर के श्रद्धालुओं की एक अदभुत यात्रा देखने को मिली पंजाब के धुरी से श्रद्धालुओं का एक जत्था लगभग 180 किलोमीटर का सफर पेट के बल पूरा करके 3 दिन के बाद मंदिर पहुंचा हालांकि यह श्रद्धालु हर वर्ष श्राद्ध पक्ष में दंडवत यात्रा करते हुए माता श्री नैना देवी के दरबार में पहुंचते हैं और इन श्रद्धालुओं का कहना है कि यह यात्रा पंडित सोहन लाल की प्रेरणा के द्वारा हर वर्ष की जाती है जिसमें बृद्ध ,युवा और बच्चे हर तरह के श्रद्धालु शामिल हैं इस यात्रा के दौरान यात्रियों का कहना था कि यह उनकी 20 बी यात्रा है और पंजाब के धुरी से हर बर्ष 186 किलोमीटर का सफर पेट के बल तय कर वह माता श्री नैना देवी के दरबार में पहुंचते हैं हालांकि कुछ श्रद्धालुओं के पैरों में छाले पड़ गए और पैरों पर पट्टियां बंधी थी फिर भी श्रद्धालुओं के माथे पर थकान की कोई भी लकीर नजर नहीं आई हर बर्ष पतरी पक्ष में यह यात्रा करते हैं ताकि माता रानी की कृपा उन पर बनी रहे और उनके पितर भी प्रसन्न हो
उनका कहना है कि माता रानी ही इस तरह की कठिन यात्राएं करने की प्रेरणा देती है और आगे भी यात्रा जारी रहेगी
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विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में पंजाब के धुरी शहर के श्रद्धालुओं की एक अदभुत यात्रा देखने को मिली पंजाब के धुरी से श्रद्धालुओं का एक जत्था लगभग 180 किलोमीटर का सफर पेट के बल पूरा करके 3 दिन के बाद मंदिर पहुंचा हालांकि यह श्रद्धालु हर वर्ष श्राद्ध पक्ष में दंडवत यात्रा करते हुए माता श्री नैना देवी के दरबार में पहुंचते हैं और इन श्रद्धालुओं का कहना है कि यह यात्रा पंडित सोहन लाल की प्रेरणा के द्वारा हर वर्ष की जाती है जिसमें बृद्ध ,युवा और बच्चे हर तरह के श्रद्धालु शामिल हैं इस यात्रा के दौरान यात्रियों का कहना था कि यह उनकी 20 बी यात्रा है और पंजाब के धुरी से हर बर्ष 186 किलोमीटर का सफर पेट के बल तय कर वह माता श्री नैना देवी के दरबार में पहुंचते हैं हालांकि कुछ श्रद्धालुओं के पैरों में छाले पड़ गए और पैरों पर पट्टियां बंधी थी फिर भी श्रद्धालुओं के माथे पर थकान की कोई भी लकीर नजर नहीं आई हर बर्ष पतरी पक्ष में यह यात्रा करते हैं ताकि माता रानी की कृपा उन पर बनी रहे और उनके पितर भी प्रसन्न हो
उनका कहना है कि माता रानी ही इस तरह की कठिन यात्राएं करने की प्रेरणा देती है और आगे भी यात्रा जारी रहेगी
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