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थ्योरी में टॉपर डीएलएड की छात्रा को प्रैक्टिकल में मिले कम नंबर, प्रिसिंपल को शिकायत कर जांच की मांग - himachal pradesh news

बिलासपुर जिले में डीएलएड द्वितीय वर्ष की छात्रा दिपांशी ठाकुर ने थ्योरी में प्रदेश भर में सबसे अधिक अंक प्रात किए हैं लेकिन प्रैक्टिकल परीक्षा में डाईट की तरफ से कम अंक मिलने के कारण दिपांशी मैरिट में नहीं आ सकी. दिपांशी ने आरोप लगाया है कि उसे जानबूझकर कम अकं दिए गए हैं. उसने डाईट प्रधानाचार्य को शिकायत पत्र सौंप कर मामले की जांच की मांग की है...(DElED student Dipanshi Thakur)

DElED student Dipanshi Thakur
DElED student Dipanshi Thakur
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Published : Mar 29, 2023, 2:06 PM IST

प्रैक्टिकल में कम नंबर होने से मैरिट में नहीं आ पाई दिपांशी

बिलासपुर: पिछले वर्ष डीएलएड प्रशिक्षण प्रथम वर्ष में प्रदेश भर में द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा दिपांशी ठाकुर ने इस वर्ष भी डीएलएड द्वितीय वर्ष में थ्योरी में प्रदेश भर में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए हैं लेकिन टीपी यानी टीचिंग प्रैक्टिकल में डाईट की तरफ से कम अंक मिलने के कारण दिपांशी ठाकुर को द्वितीय स्थान पर ही संतोष करना पड़ा. जिसके बाद अब दिपांशी ठाकुर ने आरोप लगाया है कि डाईट प्रशिक्षुओ में उसे ही सबसे कम अंक दिए गए.

थ्योरी में रही टॉप फिर भी मैरिट में नहीं बना पाई स्थान: दिपांशी ठाकुर ने डीएलएड प्रथम वर्ष में 1200 में से 1065 अंक प्राप्त करके प्रदेश भर में द्वितीय स्थान प्राप्त किया था. इस वर्ष में दिपांशी ठाकुर ने डीएलएड द्वितीय वर्ष की परीक्षा में प्रदेश भर में सबसे अधिक 800 में से 734 अंक प्राप्त किए. वहीं, डाईट की तरफ से दिपांशी को प्रैक्टिकल में 200 में से मात्र 140 अंक दिए गए जिसके बाद दिपांशी ठाकुर के कुल अंक 1000 में से 874 आए.

डाईट प्रधानाचार्य को सौंपा शिकायत पत्र: दीपांशी के मुताबिक डाईट जुखाला में बाकी सभी प्रशिक्षुओं को प्रैक्टिकल में 200 में से अधिकतम 160 से लेकर 170 और 180 अंक भी मिले हैं. सिर्फ उसके ही सबसे कम 140 अंक हैं. दिपांशी ठाकुर का कहना है कि अगर उसे भी बाकी प्रशिक्षुओं की तरह 180 या 170 अंक दिए जाते तो वो प्रदेशभर में टॉप कर सकती थीं. अब दिपांशी ठाकुर ने इस बारे में डाईट प्रधानाचार्य को शिकायत पत्र देते हुए इसकी जांच करने की अपील की है. दिपांशी ने कहा कि इस संदर्भ में जांच की जाए और उसे बताया जाए कि उसको सबसे कम अंक किस आधार पर दिए हैं. यदि इसमें किसी ने कोई हेराफेरी की है तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए.

'किस आधार पर दिए गए कम नंबर': दिपांशी ठाकुर का आरोप है कि उसे जानबूझकर कम अंक दिए गए हैं. दिपांशी के मुताबिक वो शिक्षकों का बहुत आदर करती है. इसी वजह से वह भी शिक्षक बनने के लिए डीएलएड करने लगी. लेकिन अब शिक्षा के क्षेत्र में भी इस तरह के घपले हो रहे हैं जिसे वह बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके खिलाफ वह आवाज उठा कर ही रहेगी. बता दें कि दिपांशी ठाकुर ने 12वीं में 93 फीसदी अंक प्राप्त किए थे जिसके बाद उसने डीएलएड में प्रवेश लिया. यहां भी उसने प्रथम वर्ष में प्रदेश भर में द्वितीय स्थान प्राप्त किया. जिसके बाद अब डीएलएड के द्वितीय वर्ष की परीक्षा में भी थ्योरी में प्रदेश भर में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए. लेकिन प्रैक्टिकल में सबसे कम अंक की वजह से दिपांशी इस बार प्रदेश भर की मैरिट में जगह नहीं बना पाई. दिपांशी ठाकुर ने कहा कि वह जानना चाहती है कि उसे कम नंबर किस आधार पर और क्यों दिए गए.

क्या बोले डाईट प्रधानाचार्य: वहीं, जब इस बारे में जिला परियोना अधिकारी एवं डाईट प्रधानाचार्य दीप चंद गौतम से बात की तो उन्होंने बताया की ऐसी शिकायत उनके पास आई है. जिसके बाद उन्होंने इसकी जांच के आदेश दिए हैं. जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें: डीसी कांगड़ा ने जिले में नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों में CCTV कैमरा लगाने के दिए आदेश

प्रैक्टिकल में कम नंबर होने से मैरिट में नहीं आ पाई दिपांशी

बिलासपुर: पिछले वर्ष डीएलएड प्रशिक्षण प्रथम वर्ष में प्रदेश भर में द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा दिपांशी ठाकुर ने इस वर्ष भी डीएलएड द्वितीय वर्ष में थ्योरी में प्रदेश भर में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए हैं लेकिन टीपी यानी टीचिंग प्रैक्टिकल में डाईट की तरफ से कम अंक मिलने के कारण दिपांशी ठाकुर को द्वितीय स्थान पर ही संतोष करना पड़ा. जिसके बाद अब दिपांशी ठाकुर ने आरोप लगाया है कि डाईट प्रशिक्षुओ में उसे ही सबसे कम अंक दिए गए.

थ्योरी में रही टॉप फिर भी मैरिट में नहीं बना पाई स्थान: दिपांशी ठाकुर ने डीएलएड प्रथम वर्ष में 1200 में से 1065 अंक प्राप्त करके प्रदेश भर में द्वितीय स्थान प्राप्त किया था. इस वर्ष में दिपांशी ठाकुर ने डीएलएड द्वितीय वर्ष की परीक्षा में प्रदेश भर में सबसे अधिक 800 में से 734 अंक प्राप्त किए. वहीं, डाईट की तरफ से दिपांशी को प्रैक्टिकल में 200 में से मात्र 140 अंक दिए गए जिसके बाद दिपांशी ठाकुर के कुल अंक 1000 में से 874 आए.

डाईट प्रधानाचार्य को सौंपा शिकायत पत्र: दीपांशी के मुताबिक डाईट जुखाला में बाकी सभी प्रशिक्षुओं को प्रैक्टिकल में 200 में से अधिकतम 160 से लेकर 170 और 180 अंक भी मिले हैं. सिर्फ उसके ही सबसे कम 140 अंक हैं. दिपांशी ठाकुर का कहना है कि अगर उसे भी बाकी प्रशिक्षुओं की तरह 180 या 170 अंक दिए जाते तो वो प्रदेशभर में टॉप कर सकती थीं. अब दिपांशी ठाकुर ने इस बारे में डाईट प्रधानाचार्य को शिकायत पत्र देते हुए इसकी जांच करने की अपील की है. दिपांशी ने कहा कि इस संदर्भ में जांच की जाए और उसे बताया जाए कि उसको सबसे कम अंक किस आधार पर दिए हैं. यदि इसमें किसी ने कोई हेराफेरी की है तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए.

'किस आधार पर दिए गए कम नंबर': दिपांशी ठाकुर का आरोप है कि उसे जानबूझकर कम अंक दिए गए हैं. दिपांशी के मुताबिक वो शिक्षकों का बहुत आदर करती है. इसी वजह से वह भी शिक्षक बनने के लिए डीएलएड करने लगी. लेकिन अब शिक्षा के क्षेत्र में भी इस तरह के घपले हो रहे हैं जिसे वह बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके खिलाफ वह आवाज उठा कर ही रहेगी. बता दें कि दिपांशी ठाकुर ने 12वीं में 93 फीसदी अंक प्राप्त किए थे जिसके बाद उसने डीएलएड में प्रवेश लिया. यहां भी उसने प्रथम वर्ष में प्रदेश भर में द्वितीय स्थान प्राप्त किया. जिसके बाद अब डीएलएड के द्वितीय वर्ष की परीक्षा में भी थ्योरी में प्रदेश भर में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए. लेकिन प्रैक्टिकल में सबसे कम अंक की वजह से दिपांशी इस बार प्रदेश भर की मैरिट में जगह नहीं बना पाई. दिपांशी ठाकुर ने कहा कि वह जानना चाहती है कि उसे कम नंबर किस आधार पर और क्यों दिए गए.

क्या बोले डाईट प्रधानाचार्य: वहीं, जब इस बारे में जिला परियोना अधिकारी एवं डाईट प्रधानाचार्य दीप चंद गौतम से बात की तो उन्होंने बताया की ऐसी शिकायत उनके पास आई है. जिसके बाद उन्होंने इसकी जांच के आदेश दिए हैं. जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.

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