बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर सदर की नौणी पंचायत प्रधान की कार्यशैली पर सवाल खडे़ हुए हैं. दरअसल, नौणी पंचायत प्रधान ने अपनी पंचायत के मानवां गांव में गौशाला एक मकान के कमरे के साथ अटैच कर दी. इस बात का खुलासा तब हुआ जब बीडीओ सदर कुलवंत सिंह नौणी पंचायत का दौरा करने के लिए पहुंचे. ऐसे में उन्होंने जब इसका दौरा किया तो वहां पर एक भी गोवंश नहीं था और न ही गौशाला के नियमों की पालना की जा रही थी. ऐसे में तुरंत प्रभाव से बीडीओ सदर ने इस संदर्भ में एक जांच कमेटी का भी गठन कर दिया है. जिसमें पंचायत इंस्पेक्टर, जेई व विभागीय अधिकारियों को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है. जिनसे बीडीओ ने 25 जुलाई तक इसकी सारी रिपोर्ट मांगी है.
गौशाला के लिए किए गए थे एक लाख रुपये मंजूर: सदर बीडीओ कुलवंत सिंह ने बताया कि सदर ब्लाॅक द्वारा इस गौशाला के लिए एक लाख रूपये मंजूर किए गए थे. जिसमें से अभी तक पंचायत प्रधान द्वारा 63000 रुपये खर्च किए गए हैं. यह बजट सदर ब्लाॅक द्वारा 2022-23 में पास किया गया था. ऐसे में इन सभी बजट के अनुसार विभाग की ओर से पंचायत का विजिट किया गया तो वहां की स्थिति कुछ और ही पाई गई. कुलवंत सिंह ने कहा कि उन्होंने जब नौणी पंचायत का दौरा किया तो वहां पर बनी यह गौशाला के साथ एक बेडरूम अटैच किया गया हैं. इसके साथ ही यहां पर गौवंश के लिए आने के लिए कोई रास्ता भी उपयुक्त नहीं है. वहीं, उन्होंने कहा कि हैरान करने की बात तो यह है कि इस गौशाला का लेंटर प्रधान द्वारा एक कमरे के साथ अटैच किया गया है.
'पंचायत प्रधान के खिलाफ बनाई गई है जांच कमेटी': कुलवंत सिंह ने कहा कि इस तरह की लापरवाही और विभागीय नियमों को पूरा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करना जरूरी है. विभाग द्वारा लगातार सदर ब्लाॅक की पंचायतों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है. नियमों की अवहेलना करने वालों को बिल्कुल भी बख्शा नहीं जाएगा. नौणी पंचायत प्रधान के खिलाफ एक जांच कमेटी बनाई गई है. गौशाला के निर्माण को लेकर पंचायत प्रधान द्वारा सही से कार्य नहीं किया गया है और विभाग को गुमराह किया गया है, जिसके चलते विभागीय कार्रवाई की जा रही है.
क्या है गौशाला बनाने के नियम: विभागीय जानकारी के अनुसार गौशाला बनाने के लिए जमीन रिहायशी जगह से थोड़ी दूर होनी चाहिए. इसी के साथ गौशाला की अपनी बाउंड्री वॉल होनी चाहिए, इसके साथ किसी भी रिहायशी मकान की दिवार अटैच नहीं होनी चाहिए. साथ ही गौशाला में 5 से अधिक गौवशं होना अनिवार्य है. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इन किसी भी नियमों को पंचायत प्रधान द्वारा पूरा नहीं किया गया और विभाग को गलत जानकारी देकर यहां पर गौशाला बनाने के लिए विभाग से बजट मंजूर करवाया गया. जिसके लिए विभाग द्वारा पंचायत प्रधान के लिए जांच कमेटी बिठाई गई है.
क्या कहती हैं नौणी पंचायत प्रधान निर्मला राजपूत: नौणी पंचायत प्रधान निर्मला राजपूत का कहना है कि गौशाला बनाने के लिए जमीन की कमी है. जिसके चलते यहां पर गौशाला का निर्माण करवाया जा रहा है. अगर विभाग को यह स्थान उपयुक्त नहीं लग रहा है तो उसको बदल दिया जाएगा. बिलासपुर जिले में इस तरह की कई पंचायतों में गौशाला बनाई गई हैं.
ये भी पढ़ें: बिलासपुर सर्किल में विकसित होगी 2 मॉडल नर्सरी, औषधीय पौधों से गुलजार होगी Nursery