बिलासपुर: उत्तरी भारत को मछली आपूर्ति करने वाली बिलासपुर जिले की गोबिंद सागर झील में 20 किलो वजन की बिगहेड कार्प मछली मिली है. यह मछली गोबिंद सागर झील में ऋषिकेश से आगे गाहघोड़ी स्थान पर लगे हुए जाल में फंसी हुई मिली. मछली मिलने से जहां क्षेत्र के मछुआरे खुश हो रहे हैं. वहीं, उन्हें उम्मीद जगी है कि भविष्य में ऐसी बड़ी मछलियां यहां पर उन्हें मिल सकती हैं. इस मछली के यहां मिलने से यहां के जलाशयों में भविष्य के लिए संभावनाएं देखी जाने लगी है.
चीन- जापान में होती बिगहेड कार्प मछली: मत्स्य विभाग के मुताबिक बिगहेड कार्प नामक यह मछली मूल रूप से पूर्वी एशिया चीन, जापान, हांगकांग, ताइवान आदि देशों में पाई जाती है. वहां पर इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है. यह मछली फ्रेश वाटर फिश की श्रेणी में आती है, लेकिन भारत में यह मछली कैसे पहुंची यह पता लगाया जा रहा है.
सतलुज नदी के रास्ते बीज आने की संभावना: माना जा रहा है कि इस मछली का बीज शायद चीन से सतलुज नदी के रास्ते होता हुआ गोबिंद सागर झील तक पहुंच गया होगा, जिससे गोबिंद सागर झील में पलने के बाद यह जाल में फंस गई. वहीं, बिगहेड कार्प इस मछली की खास बात यह भी है कि इसकी उम्र 16 वर्ष तक हो सकती है. इसका अधिकतर वजन 40 किलो तक होता है.
फैट कम प्रोटीन ज्यादा: खाने में यह मछली बेहद स्वाद होती और इसमें फैट की मात्रा कम पाई जाती है. वहीं, प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है. इस मछली में ओमेगा 3 मिनरल बहुतायत में पाया जाता है. भारत में भी अब कोलकाता में इस मछली के बीज को पैदा किया जाने लगा है.
विभाग की नजर: मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता ने बताया कि यह प्रजाति बिलासपुर में गोबिंद सागर झील में मिली है. यह बहुत कीमती प्रजाति होती है. विभाग इसको लेकर नजर बनाए हुए है. बता दें कि गोबिंद सागर झील में इसके पहले भी कई किलों वजनी मछलियां मिल चुकी हैं.