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ह्यूस्टन विश्ववद्यालय ने कोरोना टीका के लिए भारतीय-अमेरिकी कंपनी को सहयोगी बनाया

पूरी दुनिया की नजर इस वक्त कोरोना वैक्सीन पर है. ह्यूस्टन विश्वविद्यालय भी कोरोना वैक्सीन पर काम कर रहा है. ऐसे में खबर आई है कि यूनिवर्सिटी ने टीके को विकसित करने के लिए एक अमेरिकी-भारतीय कंपनी से हाथ मिलाया है. पढ़ें विस्तार से...

ह्यूस्टन विश्ववद्यालय ने कोरोना टीका के लिए भारतीय-अमेरिकी कंपनी को सहयोगी बनाया
ह्यूस्टन विश्ववद्यालय ने कोरोना टीका के लिए भारतीय-अमेरिकी कंपनी को सहयोगी बनाया
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Published : Oct 14, 2020, 6:34 PM IST

ह्यूस्टन : ह्यूस्टन विश्ववद्यालय ने कोविड-19 जैसी बीमारियों के लिए टीका विकसित करने की खातिर एक भारतीय-अमेरिकी द्वारा सह-स्थापित बायोटेक कंपनी ऑरावेक्स थेराप्यूटिक्स के साथ हाथ मिलाया है.

हालांकि, ऑरावेक्स के पास नई टीका तकनीक का लाइसेंस लेने का विकल्प है, जिसे भारतीय-अमेरिकी सह-संस्थापक नवीन वरदराजन ने विकसित किया है.

वरदराजन ने कहा कि कोविड​​-19 महामारी से निपटने के लिए एक सुरक्षित और टिकाऊ टीके की जरूरत है, क्योंकि इस महामारी ने दुनिया भर में लाखों लोगों को संक्रमित किया गया है और 6,20,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है.

उन्होंने कहा कि हमारी योजना श्वसन वायरस कोविड-19 को नाक के पास ही रोकने की है और हमारा मानना है कि इस बीमारी के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की खातिर हमारा अलग नजरिया है.

पूर्व-क्लीनिकल प्रयोगों के आधार पर वरदराजन ने कहा कि उनकी तकनीक न केवल 'म्यूकोसल' प्रतिरक्षा को, बल्कि व्यवस्थित रूप से प्रतिरक्षा क्षमता को भी बढ़ावा देती है.

पढ़ें : जॉनसन एंड जॉनसन ने रोका कोरोना वैक्सीन का ट्रायल, ये है वजह

कंपनी ऑरावेक्स अपनी टीका प्रणाली को 'अगली पीढ़ी' का बताती है, जिसके तहत घर पर भी टीका दिया जा सकता है.

वरदराजन ने कहा कि हम ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के साथ सहयोग को लेकर उत्साहित हैं और विभिन्न श्वसन वायरसों पर काबू के लिए इस टीका के विकास को आगे बढ़ाते हुए भविष्य की सफलता के प्रति उत्सुक हैं.

उन्होंने कहा कि हम इसकी शुरुआत कोविड-19 से कर रहे हैं.

ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष (शोध और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण) ए एलनाशाई ने कहा कि ऑरावेक्स हमारे लिए एक आदर्श सहयोगी है. इस सहयोग को उनका पूरे दिल से समर्थन है.

ह्यूस्टन : ह्यूस्टन विश्ववद्यालय ने कोविड-19 जैसी बीमारियों के लिए टीका विकसित करने की खातिर एक भारतीय-अमेरिकी द्वारा सह-स्थापित बायोटेक कंपनी ऑरावेक्स थेराप्यूटिक्स के साथ हाथ मिलाया है.

हालांकि, ऑरावेक्स के पास नई टीका तकनीक का लाइसेंस लेने का विकल्प है, जिसे भारतीय-अमेरिकी सह-संस्थापक नवीन वरदराजन ने विकसित किया है.

वरदराजन ने कहा कि कोविड​​-19 महामारी से निपटने के लिए एक सुरक्षित और टिकाऊ टीके की जरूरत है, क्योंकि इस महामारी ने दुनिया भर में लाखों लोगों को संक्रमित किया गया है और 6,20,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है.

उन्होंने कहा कि हमारी योजना श्वसन वायरस कोविड-19 को नाक के पास ही रोकने की है और हमारा मानना है कि इस बीमारी के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की खातिर हमारा अलग नजरिया है.

पूर्व-क्लीनिकल प्रयोगों के आधार पर वरदराजन ने कहा कि उनकी तकनीक न केवल 'म्यूकोसल' प्रतिरक्षा को, बल्कि व्यवस्थित रूप से प्रतिरक्षा क्षमता को भी बढ़ावा देती है.

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कंपनी ऑरावेक्स अपनी टीका प्रणाली को 'अगली पीढ़ी' का बताती है, जिसके तहत घर पर भी टीका दिया जा सकता है.

वरदराजन ने कहा कि हम ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के साथ सहयोग को लेकर उत्साहित हैं और विभिन्न श्वसन वायरसों पर काबू के लिए इस टीका के विकास को आगे बढ़ाते हुए भविष्य की सफलता के प्रति उत्सुक हैं.

उन्होंने कहा कि हम इसकी शुरुआत कोविड-19 से कर रहे हैं.

ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष (शोध और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण) ए एलनाशाई ने कहा कि ऑरावेक्स हमारे लिए एक आदर्श सहयोगी है. इस सहयोग को उनका पूरे दिल से समर्थन है.

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