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कोरोना काल में बरसाती बिमारियों से खास एहतियात की जरूरत, डीसी ऊना ने लोगों से की ये अपील

कोरोना काल में बरसात के मौसम में होने वाली बिमारियों से ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. ऊना प्रशासन ने इसके लिए जिला के लोगों को खास दिशा-निर्देश दिये हैं. जिला उपायुक्त और जिला चिकित्सा अधिकारी ने लोगों को बरसात में होने वाले रोगों से बचने के लिए खास एहतियात बरतने की सलाह दी है.

डेंगू से बचने के उपाय
संदीप कुमार, उपायुक्त, ऊना.
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Published : Jul 19, 2020, 6:54 PM IST

ऊना: बरसात के मौसम में कई तरह के जल जनित रोगों के फैलने की आशंका रहती है. कोरोना काल में बिमारियों का खतरा ज्यादा है और ऐसे में ज्यादा सावधानी और स्वच्छता बनाए रखने की आवश्यकता है. जिला ऊना के लोगों को बरसाती बिमारियों से सावधान रहने के लिए प्रशासन की तरफ से खास ध्यान रखने की सलाह दी गई है.

जिला उपायुक्त संदीप कुमार ने कहा कि बरसात के मौसम में स्क्रब टाइफस, डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियां से विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता रहती है. डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियों का मुख्य कारण अलग-अलग प्रजातियों का मच्छर है, तो वहीं स्क्रब टाइफस खेतों, झाड़ियों व घास के संपर्क में आने पर पिस्सुओं के काटने से फैलता है. उन्होंने कहा कि अगर किसी को तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, शरीर में एंठन, कंपकपी जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें, ताकि समय पर रोग का पता लगाकर इलाज किया जा सके. उन्होंने कहा कि बरसाती मौसम में जल जनित रोगों से बचाव के लिए निर्धारित हिदायतों पर अमल कर इन रोगों से बचा जा सकता है.

बरसात के मौसम में पनपने वाली बीमारियों के बारे जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमण कुमार शर्मा ने स्क्रब टाइफस, डेंगू और मलेरिया से बचाव के लिए कुछ एहतियात बरतने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि लोग अपने घरों के आसपास साफ-सफाई बनाए रखें, घर के चारों ओर घास और खरपतवार नहीं उगने दें, घर के अंदर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें, गड्ढों और खाली बर्तनों में पानी जमा न होने दें ताकि उसमें मच्छर न पनप सकें.

सीएओ ने बताया कि लोग अपने बदन को ढककर रखें और सप्ताह में कम से कम एक या दो बार कूलर और टंकी का पानी जरूर बदलें. टूटे हुए बर्तन, पुराने टायर, टूटे हुए घड़े को घर के आसपास न रखें ताकि उनमें पानी जमा न हो. मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें और बुखार होने पर तुरंत खून की जांच करवाएं. उन्होंने कहा कि अगर स्क्रब टाइफस, मलेरिया या डेंगू से जुड़े कोई भी लक्षण व्यक्ति में दिखाई दें तो प्रभावित को तुरंत उपचार के लिए अस्पताल लेकर जाएं.

उपायुक्त संदीप कुमार ने खड्डों व नदी किनारे न जाने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि मानसून के मौसम में जिला की प्रमुख नदी स्वां के साथ-साथ अन्य खड्डों व नदी-नालों का जलस्तर बढ़ने की आशंका रहती है. इन जलस्रोतों में जलस्तर के बढ़ने से किसी भी प्रकार की घटना का सामना न करना पड़े इसके लिए जरूरी है कि हर नागरिक सावधानी बरते. उन्होंने कहा कि ऊना जिला पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश का निचला क्षेत्र है, जहां ऊपरी इलाकों से जल बहाव के आने की संभावना रहती है. उन्होंने कहा कि सावधानी बरतते हुए इस मौसम में लोगों को नदी, नालों व खड्डों से दूर रहना चाहिए. उन्होंने लोगों से अपने मवेशियों को भी नदी-नालों से दूर रखने की अपील की है, ताकि किसी प्रकार के जान-माल की हानि से बचा जा सके.

ये भी पढ़ें: सीमाएं खोलने पर पर्यटक पहुंच रहे शिमला, पहाड़ों की रानी घूमने आए 51 सैलानी

ऊना: बरसात के मौसम में कई तरह के जल जनित रोगों के फैलने की आशंका रहती है. कोरोना काल में बिमारियों का खतरा ज्यादा है और ऐसे में ज्यादा सावधानी और स्वच्छता बनाए रखने की आवश्यकता है. जिला ऊना के लोगों को बरसाती बिमारियों से सावधान रहने के लिए प्रशासन की तरफ से खास ध्यान रखने की सलाह दी गई है.

जिला उपायुक्त संदीप कुमार ने कहा कि बरसात के मौसम में स्क्रब टाइफस, डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियां से विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता रहती है. डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियों का मुख्य कारण अलग-अलग प्रजातियों का मच्छर है, तो वहीं स्क्रब टाइफस खेतों, झाड़ियों व घास के संपर्क में आने पर पिस्सुओं के काटने से फैलता है. उन्होंने कहा कि अगर किसी को तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, शरीर में एंठन, कंपकपी जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें, ताकि समय पर रोग का पता लगाकर इलाज किया जा सके. उन्होंने कहा कि बरसाती मौसम में जल जनित रोगों से बचाव के लिए निर्धारित हिदायतों पर अमल कर इन रोगों से बचा जा सकता है.

बरसात के मौसम में पनपने वाली बीमारियों के बारे जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमण कुमार शर्मा ने स्क्रब टाइफस, डेंगू और मलेरिया से बचाव के लिए कुछ एहतियात बरतने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि लोग अपने घरों के आसपास साफ-सफाई बनाए रखें, घर के चारों ओर घास और खरपतवार नहीं उगने दें, घर के अंदर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें, गड्ढों और खाली बर्तनों में पानी जमा न होने दें ताकि उसमें मच्छर न पनप सकें.

सीएओ ने बताया कि लोग अपने बदन को ढककर रखें और सप्ताह में कम से कम एक या दो बार कूलर और टंकी का पानी जरूर बदलें. टूटे हुए बर्तन, पुराने टायर, टूटे हुए घड़े को घर के आसपास न रखें ताकि उनमें पानी जमा न हो. मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें और बुखार होने पर तुरंत खून की जांच करवाएं. उन्होंने कहा कि अगर स्क्रब टाइफस, मलेरिया या डेंगू से जुड़े कोई भी लक्षण व्यक्ति में दिखाई दें तो प्रभावित को तुरंत उपचार के लिए अस्पताल लेकर जाएं.

उपायुक्त संदीप कुमार ने खड्डों व नदी किनारे न जाने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि मानसून के मौसम में जिला की प्रमुख नदी स्वां के साथ-साथ अन्य खड्डों व नदी-नालों का जलस्तर बढ़ने की आशंका रहती है. इन जलस्रोतों में जलस्तर के बढ़ने से किसी भी प्रकार की घटना का सामना न करना पड़े इसके लिए जरूरी है कि हर नागरिक सावधानी बरते. उन्होंने कहा कि ऊना जिला पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश का निचला क्षेत्र है, जहां ऊपरी इलाकों से जल बहाव के आने की संभावना रहती है. उन्होंने कहा कि सावधानी बरतते हुए इस मौसम में लोगों को नदी, नालों व खड्डों से दूर रहना चाहिए. उन्होंने लोगों से अपने मवेशियों को भी नदी-नालों से दूर रखने की अपील की है, ताकि किसी प्रकार के जान-माल की हानि से बचा जा सके.

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