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Destitute Animals Problem In Himachal: सीमांत जिला होने के कारण सोलन में बढ़ रही बेसहारा पशुओं की संख्या

सोलन जिले में सड़कों पर बेसहारा घूम रहे पशुओं ने लोगों की परेशानी बढ़ा (Destitute Animals Problem In Himachal) दी है. एक जहां ओर बेसहारा पशु सड़क दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर यही पशु गांव में पहुंचकर किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. पशुपालन विभाग का कहना है (Animal Husbandry Department Solan) कि सोलन एक सीमांत जिला है जिस वजह से बाहरी राज्यों के लोग यहां पशुओं को छोड़ रहे हैं.

homeless animals in solan
सोलन में बेसहारा पशुओं की समस्या.
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Published : Dec 23, 2021, 3:51 PM IST

Updated : Dec 23, 2021, 4:18 PM IST

सोलन: प्रदेश सरकार भले ही 2022 तक प्रदेश को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने का दावा कर रही हो लेकिन अभी भी प्रदेश में बेसहारा पशुओं की तादाद कम होने (Destitute Animals Problem In Himachal) का नाम नहीं ले रही है. जिला सोलन में भी इन पशुओं की संख्या बढ़ने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एक जहां ओर बेसहारा पशु सड़क दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर यही पशु गांव में पहुंचकर किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. हालांकि जिला प्रशासन बेसहारा पशुओं को गौ सदन भेज जरूर रहा है, लेकिन फिर भी इनकी (homeless animals in solan) संख्या में कोई कमी होती नहीं दिख रही है.


पशुपालन विभाग सोलन के उपनिदेशक डॉ.बी.बी. गुप्ता ने बताया कि लगातार सरकार के (Animal Husbandry Department Solan) निर्देशों के बाद बेसहारा पशुओं को सड़कों से उठाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि सोलन को आवारा पशु मुक्त जिला बनाया जा सके. उन्होंने बताया कि हर तीसरे महीने एक अभियान के तौर पर बेसहारा पशुओं को काऊ सेंचुरी में भेजा जा (Cow Sanctuary Solan) रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष भी 1200 ऐसे बेसहारा पशु थे (homeless animals in solan) जिनकी जानकारी विभाग को मिली थी. इनमें से 900 पशुओं को गौ सदनों और काऊ सेंचुरी में भेजा गया था. उन्होंने कहा कि अभी भी जिला में 200 से ज्यादा आवारा पशु हैं जिन्हें विभाग आश्रय गौसदन तक भेज रहा है.

वीडियो.
उन्होंने कहा कि नर आवारा पशुओं को हांडाकुंडी में बनी काऊ सेंचुरी (Handa Kundi Cow Sanctuary) में भेजा जाता है, जबकि गाय को नजदीकी गौसदन में भेजा जाता (Cow Sanctuary Solan) है ताकि उनका जीवन बेहतर व्यतीत हो सकें. उपनिदेशक डॉ. बी. बी. गुप्ता ने बताया कि सीमांत राज्य होने के चलते जिला सोलन में लोग पशुओं को सड़क पर छोड़कर जाते हैं जिसके चलते एक बार फिर आवारा पशुओं की संख्या सड़कों पर बढ़ने लगी है. उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन के साथ अब बोर्डरों पर सख्ती बरती जा रही है ताकि इस तरह से पशुओं को छोड़ने वाले लोगों पर नकेल कसी जा सके.

ये भी पढ़ें : Good Governance Week in Himachal: 'प्रशासन गांव की ओर' कार्यक्रम के तहत डलहौजी में लोगों की समस्याओं का किया निपटारा

सोलन: प्रदेश सरकार भले ही 2022 तक प्रदेश को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने का दावा कर रही हो लेकिन अभी भी प्रदेश में बेसहारा पशुओं की तादाद कम होने (Destitute Animals Problem In Himachal) का नाम नहीं ले रही है. जिला सोलन में भी इन पशुओं की संख्या बढ़ने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एक जहां ओर बेसहारा पशु सड़क दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर यही पशु गांव में पहुंचकर किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. हालांकि जिला प्रशासन बेसहारा पशुओं को गौ सदन भेज जरूर रहा है, लेकिन फिर भी इनकी (homeless animals in solan) संख्या में कोई कमी होती नहीं दिख रही है.


पशुपालन विभाग सोलन के उपनिदेशक डॉ.बी.बी. गुप्ता ने बताया कि लगातार सरकार के (Animal Husbandry Department Solan) निर्देशों के बाद बेसहारा पशुओं को सड़कों से उठाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि सोलन को आवारा पशु मुक्त जिला बनाया जा सके. उन्होंने बताया कि हर तीसरे महीने एक अभियान के तौर पर बेसहारा पशुओं को काऊ सेंचुरी में भेजा जा (Cow Sanctuary Solan) रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष भी 1200 ऐसे बेसहारा पशु थे (homeless animals in solan) जिनकी जानकारी विभाग को मिली थी. इनमें से 900 पशुओं को गौ सदनों और काऊ सेंचुरी में भेजा गया था. उन्होंने कहा कि अभी भी जिला में 200 से ज्यादा आवारा पशु हैं जिन्हें विभाग आश्रय गौसदन तक भेज रहा है.

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उन्होंने कहा कि नर आवारा पशुओं को हांडाकुंडी में बनी काऊ सेंचुरी (Handa Kundi Cow Sanctuary) में भेजा जाता है, जबकि गाय को नजदीकी गौसदन में भेजा जाता (Cow Sanctuary Solan) है ताकि उनका जीवन बेहतर व्यतीत हो सकें. उपनिदेशक डॉ. बी. बी. गुप्ता ने बताया कि सीमांत राज्य होने के चलते जिला सोलन में लोग पशुओं को सड़क पर छोड़कर जाते हैं जिसके चलते एक बार फिर आवारा पशुओं की संख्या सड़कों पर बढ़ने लगी है. उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन के साथ अब बोर्डरों पर सख्ती बरती जा रही है ताकि इस तरह से पशुओं को छोड़ने वाले लोगों पर नकेल कसी जा सके.

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Last Updated : Dec 23, 2021, 4:18 PM IST
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