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Himachal Seat Scan कसौली में कांग्रेस की आपसी लड़ाई में भाजपा की जीत का लग सकता है जीत का चौका, जानिए इस साल क्या हैं चुनावी समीकरण ?

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) से पहले ETV भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत-ए-हाल से रू-ब-रू करवा रहा (himachal seat scan) है. हिमाचल सीट स्कैन में आज हम बात करने जा रहे हैं कसौली विधानसभा क्षेत्र की. कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में ये 54वीं विधानसभा सीट है. आज जानेंगे कि कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले इस सीट पर आखिर इस साल क्या चुनावी समीकरण हैं...

Himachal Seat Scan
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Published : Aug 11, 2022, 7:28 PM IST

Updated : Aug 12, 2022, 8:17 PM IST

सोलन/कसौली: हिमाचल प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव (Himachal Assembly Elections 2022) नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीति भी लगातार तेज होती जा रही है. हिमाचल सीट स्कैन में आज हम 54वीं विधानसभा सीट कसौली की करने जा रहे हैं. कसौली में जहां आज तक कांग्रेस का दबदबा रहा है. वहीं, अब यह दबदबा कहीं न कहीं कमजोर होता दिखाई दे रहा है. इसलिए क्योंकि अब कांग्रेस वहां धड़ों में बंटती हुई नजर आ रही है. वहीं, भाजपा सिर्फ एक ही चेहरे पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है. सोलन जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में कसौली सबसे हॉट सीट (Kasauli assembly seat ground report) बन गई है. यहां हमेशा ही मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच रहा है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है. कभी कांग्रेस का गढ़ रहा कसौली विधानसभा क्षेत्र आज भाजपा का मजबूत दुर्ग बन चुका है. दो धड़ों में बंटी कांग्रेस को यहां भाजपा का किला भेदना आसान नहीं होगा.

कसौली सीट पर अभी तक रहा है कांग्रेस का दबदबा पांच बार हासिल की जीत: कसौली विधानसभा क्षेत्र (Kasauli Assembly Constituency) में कुल मतदाताओं की संख्या 66,276 है, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 34,553 है जबकि 31,723 महिला मतदाता है. चुनावी नतीजों पर नजर डाली जाए तो साल 1977 में यहां चमनलाल ने जनता जनता पार्टी से जीत दर्ज की थी. साल 1982 और 1985 में कांग्रेस नेता रघुराज ने चुनाव में जीत हासिल की थी. फिर साल 1990 में सत्या राज कम्बोज ने भाजपा की टिकट पर यहां जीत हासिल की. उसके बाद लगातार साल 1993, 1998 और 2003 में कांग्रेस नेता रघुराज ने इस सीट पर जीत हासिल की.

कसौली विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.
कसौली विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.

उसके बाद से साल 2007, 2012 और 2017 में हुए चुनावों में भाजपा नेता डॉ. राजीव सैजल जीत की हैट्रिक लगाते हुए आ रहे हैं. आज कसौली कांग्रेस में टिकट के दावेदार कई हैं, जबकि भाजपा में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ही बड़ा नाम हैं. राजीव सैजल लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. ऐसे में भाजपा कार्यकर्ता भी टिकट का चक्कर छोड़ मिशन रिपीट (BJP Mission Repeat in Himachal) में जुट चुके हैं. कसौली में अब तक सात बार कांग्रेस, चार बार भाजपा और एक बार जनता पार्टी का विधायक बना है.

कसौली विधानसभा में मतदाताओं की संख्या.
कसौली विधानसभा में मतदाताओं की संख्या.

कसौली में लगेगा भाजपा की जीत का चौका: सैजल: वहीं, सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल (Himachal Health Minister Dr. Rajiv Saizal) कसौली विधानसभा क्षेत्र में अपनी जीत का चौका लगाने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रहे हैं. पिछले तीन चुनावों में लगातार जीत हासिल करने के बाद इस बार भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त राजीव सैजल का कहना है कि प्रदेश की जयराम सरकार हर वर्ग का ध्यान रखते हुए हर विधानसभा क्षेत्र में एक समान विकास करवा रही है. वहीं, कसौली में भी नए विकास के कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं, चाहे वे शिक्षा के क्षेत्र में हो या फिर स्वास्थ्य की या फिर पर्यटन दृष्टि से कसौली (Tourist Places in Kasauli Assembly Constituency) को सुधारने की बात. राजीव सैजव का कहना है कि प्रदेश की जयराम सरकार ने हर क्षेत्र में कसौली में विकास किया है. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर कसौली में भाजपा अपनी जीत का चौका लगाएगी.

कसौली विधानसभा सीट पर अब तक जीत का अंतर.
कसौली विधानसभा सीट पर अब तक जीत का अंतर.

पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं: सुल्तानपुरी: 2012 में कसौली में कांग्रेस ने युवा प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में डॉ. राजीव सैजल ने 24 मतों से जीत हासिल की थी. 2017 में भी कांग्रेस ने विनोद सुल्तानपुरी पर भरोसा किया, लेकिन 442 मत से फिर हार हुई. इसका कारण भीतरघात और डॉ. राजीव सैजल को मंत्री बनाने की घोषणा करना भी रहा. विनोद सुल्तानपुरी स्वर्गीय केडी सुल्तानपुरी के पुत्र हैं. केडी सुल्तानपुरी छह बार लगातार लोकसभा सदस्य और एक बार सोलन के विधायक रह चुके हैं. विनोद सुल्तानपुरी इस बार भी टिकट के लिए दावा करेंगे. विनोद सुल्तानपुरी का कहना है कि वह हमेशा से ही कांग्रेस के एक निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते आये हैं और आगे भी इसी तरह कार्य करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि इस बार अगर पार्टी उन्हें मौका देती है तो वह जरूर कसौली की सीट (Kasauli Assembly Seat) जीतकर कांग्रेस की झोली में देंगे.

कांग्रेस की नजर में ध्यान, ठोकी है टिकट की दावेदारी: वहीं, दूसरी तरफ नायब तहसीलदार के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर कांग्रेस में शामिल हुए ध्यान सिंह नए समीकरण पैदा (Aam Aadmi Party in Kasauli) कर रहे हैं. उन्होंने दिल्ली में राजीव शुक्ला (Himachal Congress in-charge Rajeev Shukla) और प्रतिभा सिंह (Himachal Congress President Pratibha Singh) की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली है. ध्यान सिंह का कहना है कि अगर कांग्रेस पार्टी उन्हें मौका देती है तो वह जरूर कसौली सीट जीतेंगे. उन्होंने कहा कि वे लगातार 2007 से कांग्रेस से टिकट की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन अगर इस बार उन्हें मौका मिलता है तो वह जरूर जीत हासिल करेंगे

आम आदमी चाहता है बदलाव: हरमेल धीमान: वहीं, भाजपा छोड़ आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हरमेल धीमान भी लगातार जनसंपर्क अभियान चलाए हुए हैं. चुनावी से पहले ही हरमेल धीमान लोगों से घर-घर जाकर आम आदमी पार्टी के विकास मॉडल को उनके बीच रख रहे हैं, हरमेल धीमान का कहना है कि आज हिमाचल में कांग्रेस और भाजपा से जनता परेशान हो चुकी है, ऐसे में अब बदलाव लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यदि आम आदमी पार्टी उन्हें कसौली सीट से टिकट देती है तो वे निश्चित तौर पर कसौली की सीट जीतेंगे.

आम आदमी पार्टी में टिकट के तीन तलबगार: आम आदमी पार्टी में टिकट के कई चाहवान हैं. इनमें भाजपा छोड़ आप में शामिल हुए हरमेल धीमान, कसौली मंडल के अध्यक्ष चेतन कुमार और वंदना आनंद शामिल हैं. हालांकि, आम आदमी पार्टी के एससी सेल के उपाध्यक्ष हरमेल धीमान टिकट की रेस में आगे हैं.

कसौली विधानसभा क्षेत्र में चुनावी मुद्दे: बता दें कि पिछले कई चुनावों से कसौली भाजपा का गढ़ बन चुकी है. इस विधानसभा क्षेत्र में सड़क की बदहाल हालत चुनावी मुद्दा (Kasauli Assembly Constituency Issues) बनती आई है. हर बार लोग इस बात को प्रत्याशियों के सामने रखते हैं, लेकिन आज तक सड़कों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. वहीं, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति भी कसौली विधानसभा क्षेत्र में ठीक नहीं है. क्षेत्र में कॉलेज और आईटीआई की कमी है, जिसके चलते छात्रों को अर्की जाना पड़ता है. ऐसे में इस बार भी ये मुद्दे इन चुनावों में गरमा सकते हैं.

विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे.
विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे.

ये हैं आज तक नतीजे: साल 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर चमन लाल ने चुनाव लड़ा और कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे कृष्ण दत्त को 479 वोटों से हराया. साल 1982 में रघुराज ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जनता पार्टी के किरपाल सिंह को 6,404 वोटों से हराया था. साल 1985 में एक बार फिर रघुराज कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़े और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे चमनलाल को 2,921 वोटों से हराया, 1990 में भाजपा की टिकट से सत्या कम्बोज ने चुनाव लड़कर कांग्रेस के रघुराज को 4,032 वोटों से हराया. साल 1993 में रघुराज ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र कश्यप को 5,794 वोटों से हराया.

उसके बाद एक बार फिर 1998 में रघुराज ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए हिमाचल विकास पार्टी से चुनाव लड़े चमन लाल को 5,572 वोटों से हराया. फिर साल 2003 में जीत की हैट्रिक लगाते हुए रघुराज ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए भाजपा के वीरेंद्र कश्यप को 3,759 वोटों से हराया. उसके बाद भाजपा नेता राजीव सैजल ने 2007 में कसौली से चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस प्रत्याशी रघुराज को 6,374 वोटों से हराया. वहीं, साल 2012 में भी राजीव सैजल ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को 24 वोटों से हराया. एक बार फिर 2017 में सैजल ने चुनाव लड़ा और अपनी जीत की हैट्रिक लगाई. उस समय भी उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को 442 वोटों के अंतर से हराया.

ये भी पढ़ें: Himachal Seat Scan: किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा आमने सामने, जानिए इस साल जनता किस पर होगी मेहरबान

सोलन/कसौली: हिमाचल प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव (Himachal Assembly Elections 2022) नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीति भी लगातार तेज होती जा रही है. हिमाचल सीट स्कैन में आज हम 54वीं विधानसभा सीट कसौली की करने जा रहे हैं. कसौली में जहां आज तक कांग्रेस का दबदबा रहा है. वहीं, अब यह दबदबा कहीं न कहीं कमजोर होता दिखाई दे रहा है. इसलिए क्योंकि अब कांग्रेस वहां धड़ों में बंटती हुई नजर आ रही है. वहीं, भाजपा सिर्फ एक ही चेहरे पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है. सोलन जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में कसौली सबसे हॉट सीट (Kasauli assembly seat ground report) बन गई है. यहां हमेशा ही मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच रहा है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है. कभी कांग्रेस का गढ़ रहा कसौली विधानसभा क्षेत्र आज भाजपा का मजबूत दुर्ग बन चुका है. दो धड़ों में बंटी कांग्रेस को यहां भाजपा का किला भेदना आसान नहीं होगा.

कसौली सीट पर अभी तक रहा है कांग्रेस का दबदबा पांच बार हासिल की जीत: कसौली विधानसभा क्षेत्र (Kasauli Assembly Constituency) में कुल मतदाताओं की संख्या 66,276 है, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 34,553 है जबकि 31,723 महिला मतदाता है. चुनावी नतीजों पर नजर डाली जाए तो साल 1977 में यहां चमनलाल ने जनता जनता पार्टी से जीत दर्ज की थी. साल 1982 और 1985 में कांग्रेस नेता रघुराज ने चुनाव में जीत हासिल की थी. फिर साल 1990 में सत्या राज कम्बोज ने भाजपा की टिकट पर यहां जीत हासिल की. उसके बाद लगातार साल 1993, 1998 और 2003 में कांग्रेस नेता रघुराज ने इस सीट पर जीत हासिल की.

कसौली विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.
कसौली विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.

उसके बाद से साल 2007, 2012 और 2017 में हुए चुनावों में भाजपा नेता डॉ. राजीव सैजल जीत की हैट्रिक लगाते हुए आ रहे हैं. आज कसौली कांग्रेस में टिकट के दावेदार कई हैं, जबकि भाजपा में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ही बड़ा नाम हैं. राजीव सैजल लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. ऐसे में भाजपा कार्यकर्ता भी टिकट का चक्कर छोड़ मिशन रिपीट (BJP Mission Repeat in Himachal) में जुट चुके हैं. कसौली में अब तक सात बार कांग्रेस, चार बार भाजपा और एक बार जनता पार्टी का विधायक बना है.

कसौली विधानसभा में मतदाताओं की संख्या.
कसौली विधानसभा में मतदाताओं की संख्या.

कसौली में लगेगा भाजपा की जीत का चौका: सैजल: वहीं, सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल (Himachal Health Minister Dr. Rajiv Saizal) कसौली विधानसभा क्षेत्र में अपनी जीत का चौका लगाने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रहे हैं. पिछले तीन चुनावों में लगातार जीत हासिल करने के बाद इस बार भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त राजीव सैजल का कहना है कि प्रदेश की जयराम सरकार हर वर्ग का ध्यान रखते हुए हर विधानसभा क्षेत्र में एक समान विकास करवा रही है. वहीं, कसौली में भी नए विकास के कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं, चाहे वे शिक्षा के क्षेत्र में हो या फिर स्वास्थ्य की या फिर पर्यटन दृष्टि से कसौली (Tourist Places in Kasauli Assembly Constituency) को सुधारने की बात. राजीव सैजव का कहना है कि प्रदेश की जयराम सरकार ने हर क्षेत्र में कसौली में विकास किया है. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर कसौली में भाजपा अपनी जीत का चौका लगाएगी.

कसौली विधानसभा सीट पर अब तक जीत का अंतर.
कसौली विधानसभा सीट पर अब तक जीत का अंतर.

पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं: सुल्तानपुरी: 2012 में कसौली में कांग्रेस ने युवा प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में डॉ. राजीव सैजल ने 24 मतों से जीत हासिल की थी. 2017 में भी कांग्रेस ने विनोद सुल्तानपुरी पर भरोसा किया, लेकिन 442 मत से फिर हार हुई. इसका कारण भीतरघात और डॉ. राजीव सैजल को मंत्री बनाने की घोषणा करना भी रहा. विनोद सुल्तानपुरी स्वर्गीय केडी सुल्तानपुरी के पुत्र हैं. केडी सुल्तानपुरी छह बार लगातार लोकसभा सदस्य और एक बार सोलन के विधायक रह चुके हैं. विनोद सुल्तानपुरी इस बार भी टिकट के लिए दावा करेंगे. विनोद सुल्तानपुरी का कहना है कि वह हमेशा से ही कांग्रेस के एक निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते आये हैं और आगे भी इसी तरह कार्य करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि इस बार अगर पार्टी उन्हें मौका देती है तो वह जरूर कसौली की सीट (Kasauli Assembly Seat) जीतकर कांग्रेस की झोली में देंगे.

कांग्रेस की नजर में ध्यान, ठोकी है टिकट की दावेदारी: वहीं, दूसरी तरफ नायब तहसीलदार के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर कांग्रेस में शामिल हुए ध्यान सिंह नए समीकरण पैदा (Aam Aadmi Party in Kasauli) कर रहे हैं. उन्होंने दिल्ली में राजीव शुक्ला (Himachal Congress in-charge Rajeev Shukla) और प्रतिभा सिंह (Himachal Congress President Pratibha Singh) की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली है. ध्यान सिंह का कहना है कि अगर कांग्रेस पार्टी उन्हें मौका देती है तो वह जरूर कसौली सीट जीतेंगे. उन्होंने कहा कि वे लगातार 2007 से कांग्रेस से टिकट की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन अगर इस बार उन्हें मौका मिलता है तो वह जरूर जीत हासिल करेंगे

आम आदमी चाहता है बदलाव: हरमेल धीमान: वहीं, भाजपा छोड़ आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हरमेल धीमान भी लगातार जनसंपर्क अभियान चलाए हुए हैं. चुनावी से पहले ही हरमेल धीमान लोगों से घर-घर जाकर आम आदमी पार्टी के विकास मॉडल को उनके बीच रख रहे हैं, हरमेल धीमान का कहना है कि आज हिमाचल में कांग्रेस और भाजपा से जनता परेशान हो चुकी है, ऐसे में अब बदलाव लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यदि आम आदमी पार्टी उन्हें कसौली सीट से टिकट देती है तो वे निश्चित तौर पर कसौली की सीट जीतेंगे.

आम आदमी पार्टी में टिकट के तीन तलबगार: आम आदमी पार्टी में टिकट के कई चाहवान हैं. इनमें भाजपा छोड़ आप में शामिल हुए हरमेल धीमान, कसौली मंडल के अध्यक्ष चेतन कुमार और वंदना आनंद शामिल हैं. हालांकि, आम आदमी पार्टी के एससी सेल के उपाध्यक्ष हरमेल धीमान टिकट की रेस में आगे हैं.

कसौली विधानसभा क्षेत्र में चुनावी मुद्दे: बता दें कि पिछले कई चुनावों से कसौली भाजपा का गढ़ बन चुकी है. इस विधानसभा क्षेत्र में सड़क की बदहाल हालत चुनावी मुद्दा (Kasauli Assembly Constituency Issues) बनती आई है. हर बार लोग इस बात को प्रत्याशियों के सामने रखते हैं, लेकिन आज तक सड़कों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. वहीं, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति भी कसौली विधानसभा क्षेत्र में ठीक नहीं है. क्षेत्र में कॉलेज और आईटीआई की कमी है, जिसके चलते छात्रों को अर्की जाना पड़ता है. ऐसे में इस बार भी ये मुद्दे इन चुनावों में गरमा सकते हैं.

विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे.
विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे.

ये हैं आज तक नतीजे: साल 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर चमन लाल ने चुनाव लड़ा और कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे कृष्ण दत्त को 479 वोटों से हराया. साल 1982 में रघुराज ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जनता पार्टी के किरपाल सिंह को 6,404 वोटों से हराया था. साल 1985 में एक बार फिर रघुराज कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़े और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे चमनलाल को 2,921 वोटों से हराया, 1990 में भाजपा की टिकट से सत्या कम्बोज ने चुनाव लड़कर कांग्रेस के रघुराज को 4,032 वोटों से हराया. साल 1993 में रघुराज ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र कश्यप को 5,794 वोटों से हराया.

उसके बाद एक बार फिर 1998 में रघुराज ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए हिमाचल विकास पार्टी से चुनाव लड़े चमन लाल को 5,572 वोटों से हराया. फिर साल 2003 में जीत की हैट्रिक लगाते हुए रघुराज ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए भाजपा के वीरेंद्र कश्यप को 3,759 वोटों से हराया. उसके बाद भाजपा नेता राजीव सैजल ने 2007 में कसौली से चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस प्रत्याशी रघुराज को 6,374 वोटों से हराया. वहीं, साल 2012 में भी राजीव सैजल ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को 24 वोटों से हराया. एक बार फिर 2017 में सैजल ने चुनाव लड़ा और अपनी जीत की हैट्रिक लगाई. उस समय भी उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को 442 वोटों के अंतर से हराया.

ये भी पढ़ें: Himachal Seat Scan: किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा आमने सामने, जानिए इस साल जनता किस पर होगी मेहरबान

Last Updated : Aug 12, 2022, 8:17 PM IST
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