सोलन: सोलन कॉलेज में सोमवार (Solan College Fight) को एसएफआई के पोस्टरों (Students Federatin of India) को लेकर बवाल हो गया, जिस कारण छात्र संगठन एबीवीपी (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad) और एनएसयूआई ने मिलकर एसएफआई के पोस्टर फाड़े और जला दिए. इतना ही नहीं पोस्टरों को लेकर बहस इतनी बढ़ी की माहौल झड़प में तब्दील हो गया. वहीं इस घटना के बाद एक बार फिर कॉलेज में छात्र राजनीति गरमा गई है. इसके बाद एसएफआई ने इस घटना की शिकायत प्रधानाचार्या से की है.
दरअसल एसएफआई का राज्य सम्मलेन (State Convention of SFI) आने वाली 4 और 5 दिसंबर को सोलन में ही होना है, जिसके लिए एसएफआई ने अपने पोस्टर कॉलेज में भी लगाए, जिसमे कुछ मांगों के साथ-साथ शिक्षा के भगवाकरण को रोकने की एक मांग शामिल थी. बस भगवाकरण शब्द को लेकर एबीवीपी आगबबूली हो गई. एबीवीपी के अनुसार भगवा शब्द हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है और इसका इस्तेमाल एसएफआई को नहीं करना चाहिए था. इसी क्रम में मंगलवार को एसएफआई ने धरना प्रदर्शन के माध्यम से शिक्षा के भगवाकरण का मतलब समझाने की कोशिश की.
इस दौरान फिर शिक्षा के (New Education Policy) भगवाकरण का इस्तेमाल एसएफआई ने किया. इसी बात पर एक बार फिर कॉलेज परिसर में बहस का माहौल झड़प में तब्दील हो गया. हालांकि पुलिस की मौजूदगी के कारण कोई खूनी संघर्ष नहीं हुआ. इस मामले पर एबीवीपी के परिसर अध्यक्ष राघव ने (ABVP District President Solan) कहा कि शिक्षा का भगवाकरण पर एसएफआई से सवाल किया कि शिक्षा का भगवाकरण शब्द हिन्दुओं की आस्था का विषय है. उन्होंने कहा कि भगवा को टारगेट करके कई वर्षों से यह बताने की कोशिश की जा रही है कि हिन्दू बाकी सब पर हावी हो रहा है. इस को बिल्कुल सहन नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पहले एसएफआई इस के लिए माफी मांगे और इस शब्द को वापस लिया जाए.
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वहीं, एसएफआई के जिला अध्यक्ष (SFI District President Solan) संजय पांटा ने कहा कि भगवा इस देश का झंडा नहीं है. उन्होंने शिमला विवि के कुलपति (Himachal Pradesh University) की कही बातों का हवाला देते हुए कहा कि वे अपने आप को आरएसएस का कार्यकर्ता बताते हैं और कहते हैं कि वह हमेशा इसी तरह कार्य करेंगे. उन्होने कहा कि देश के स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है कि नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Father of the Nation Mahatma Gandhi) की हत्या जायज थी. इसके अलावा हिन्दू मुस्लिमों (Hindu Muslim) ने एक साथ होकर देश को आजाद करवाने में योगदान दिया था.
जिसे लेकर एसएफआई ने यह आंदोलन चलाया जिसके बाद यह प्रकरण हुआ. जबकि एनएसयूआई की परिसर अध्यक्ष महक ने बताया कि एसएफआई की मांगें जायज हैं, लेकिन उन्हें शिक्षा का भगवाकरण शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था. उन्होंने मांग की इस तरह का शब्द भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, जो इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि पोस्टर जलाने के इस प्रकरण में वे शामिल नहीं थे.
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