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दिव्यांग कबड्डी खिलाड़ियों को हिमाचल सरकार से नहीं मिली कोई मदद, मैट की जगह मिट्टी पर कर रहे प्रैक्टिस

हिमाचल प्रदेश दृष्टिहीन कबड्डी टीम के खिलाड़ियों को सरकार से कोई सुविधाएं नहीं मिल रही है. दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए प्रदेश की टीम रवाना होगी. खिलाड़ियों को आरोप है कि सरकार की ओर से उन्हें  प्रैक्टिस के लिए न तो मैट उपलब्ध कराए गए और न ही जूते. उन्हें मिट्टी में प्रैक्टिस करनी पड़ रही है.

Divyang Kabaddi players did not get any help from the Himachal government
दिव्यांग कबड्डी प्लेयर.
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Published : Jan 3, 2020, 6:08 PM IST

सोलन: हिमाचल सरकार खिलाड़ियों को सुविधाएं देने का दावा तो बहुत करती है लेकिन इन दावों की हकीकत खोखली नजर आती है. यह हम नहीं सोलन के राष्ट्रीय दृष्टि बाधित कबड्डी टीम के सदस्य कह रहे हैं. सरकारी सुविधाओं के नाम पर इस दिव्यांग टीम को कुछ नहीं मिला है. यहीं कारण है कि इन खिलाड़ियों को ठोडो मैदान में मिट्टी में खेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

दिल्ली में आयोजित हो रही राष्ट्रीय दृष्टिबाधित कबड्डी प्रतियोगिता में भाग लेने जा रही हिमाचल की टीम के खिलाड़ियों के पास न किट है और न ही पहनने के लिए जूते हैं. दृष्टिबाधित खिलाड़ी लक्की, राजकुमार और पंकज ने बताया कि वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जा रहे हैं.

प्रदेश भर के खिलाड़ी सोलन में अभ्यास कर रहे हैं. उनके लिए सरकार की ओर से किसी तरह की सुविधाएं नहीं मिली हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के समक्ष उन्होंने कई बार अपनी मांगों को रखा, लेकिन सरकार उनकी बातों पर गौर नहीं कर रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

दृष्टिहीन खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं
खिलाड़ियों का कहना है कि वे अपने आपको अक्षम नहीं मानते, लेकिन सरकार उन्हें मूलभूत सुविधाएं प्रदान नहीं कर अपने आपको अक्षम साबित कर रही है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि दृष्टिहीन खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं मुहैया करवाई जाए ताकि उनका मनोबल बढ़ सके.

ये भी पढ़ें: अद्भुत हिमाचल: जटोली में जटाधारी शंकर की छटा, द्रविड़ शैली में बना है एशिया का ये सबसे ऊंचा शिव मंदिर

मिट्टी में खेलने पर मजबूर खिलाड़ी
राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता मैट पर खेली जानी है, लेकिन इनके पास प्रैक्टिस के लिए कोई मैट नहीं उपलब्ध कराई गई है. जिस कारण खिलाड़ियों को मिट्टी में खेलना पड़ रहा है. खिलाड़ी अपना पैसा खर्च कर किट और जूते खरीद रहे है. ठोडो मैदान में नंगे पांव खेलते-खेलते कुछ खिलाड़ी जख्मी हो गए थे. यही नहीं, धूल-मिट्टी में खेलने के कारण कई खिलाड़ी बीमार भी हो गए हैं.

4 जनवरी को दिल्ली में शुरू होगी प्रतियोगिता
राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता 4 जनवरी से दिल्ली में शुरू होनी है. हिमाचल की टीम का सोलन के ठोडो मैदान में कैंप चल रहा है. इस शिविर में राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयनित 12 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. इसमें 3-4 खिलाड़ी ऐसे हैं, जो कई बार नेशनल टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

ये भी पढ़ें: 2019 में सोलन में बढ़े NDPS एक्ट के मामले, छेड़छाड़ और बलात्कार के मामलों में आई कमी

सोलन: हिमाचल सरकार खिलाड़ियों को सुविधाएं देने का दावा तो बहुत करती है लेकिन इन दावों की हकीकत खोखली नजर आती है. यह हम नहीं सोलन के राष्ट्रीय दृष्टि बाधित कबड्डी टीम के सदस्य कह रहे हैं. सरकारी सुविधाओं के नाम पर इस दिव्यांग टीम को कुछ नहीं मिला है. यहीं कारण है कि इन खिलाड़ियों को ठोडो मैदान में मिट्टी में खेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

दिल्ली में आयोजित हो रही राष्ट्रीय दृष्टिबाधित कबड्डी प्रतियोगिता में भाग लेने जा रही हिमाचल की टीम के खिलाड़ियों के पास न किट है और न ही पहनने के लिए जूते हैं. दृष्टिबाधित खिलाड़ी लक्की, राजकुमार और पंकज ने बताया कि वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जा रहे हैं.

प्रदेश भर के खिलाड़ी सोलन में अभ्यास कर रहे हैं. उनके लिए सरकार की ओर से किसी तरह की सुविधाएं नहीं मिली हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के समक्ष उन्होंने कई बार अपनी मांगों को रखा, लेकिन सरकार उनकी बातों पर गौर नहीं कर रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

दृष्टिहीन खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं
खिलाड़ियों का कहना है कि वे अपने आपको अक्षम नहीं मानते, लेकिन सरकार उन्हें मूलभूत सुविधाएं प्रदान नहीं कर अपने आपको अक्षम साबित कर रही है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि दृष्टिहीन खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं मुहैया करवाई जाए ताकि उनका मनोबल बढ़ सके.

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मिट्टी में खेलने पर मजबूर खिलाड़ी
राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता मैट पर खेली जानी है, लेकिन इनके पास प्रैक्टिस के लिए कोई मैट नहीं उपलब्ध कराई गई है. जिस कारण खिलाड़ियों को मिट्टी में खेलना पड़ रहा है. खिलाड़ी अपना पैसा खर्च कर किट और जूते खरीद रहे है. ठोडो मैदान में नंगे पांव खेलते-खेलते कुछ खिलाड़ी जख्मी हो गए थे. यही नहीं, धूल-मिट्टी में खेलने के कारण कई खिलाड़ी बीमार भी हो गए हैं.

4 जनवरी को दिल्ली में शुरू होगी प्रतियोगिता
राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता 4 जनवरी से दिल्ली में शुरू होनी है. हिमाचल की टीम का सोलन के ठोडो मैदान में कैंप चल रहा है. इस शिविर में राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयनित 12 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. इसमें 3-4 खिलाड़ी ऐसे हैं, जो कई बार नेशनल टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

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Intro:hp_sln_02_divyang_players_problems_basic_facilities_avb_10007

HP#Solan# Divyang. Kabaddi Players# Basic facility# Jairam Sarkar# Sport's Minister#


दिव्यांग खिलाड़ियों को सरकारी सुविधाओं के नाम पर मिला धूल मिट्टी भरा मैदान......खिलाड़ी बोले शायद हम दिव्यांग तभी प्रदेश सरकार कर रही नजरअंदाज


■ किट,जूते ना होने से खिलाड़ी हो रही चोटिल......अपने खर्चे पर राष्ट्रीय स्तर की कब्बडी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए मजबूर खिलाड़ी

■ 4 - 4 बार कब्बड्डी में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता खेलने वाले दिव्यांग खिलाड़ी को नही मिल पाई मूलभूत सुविधाएं




प्रदेश सरकार खेलों के प्रति खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के दावे तो बहुत कर रही है लेकिन दावे कहीं ना कहीं फेल होते नजर आ रहे हैं यह बात हम नहीं सोलन में राष्ट्रीय दृष्टि बाधित कबड्डी टीम के सदस्य कह रहे हैं, प्रदेश सरकार की खेल नीति पर सवाल खड़े हो गए हैं। दिल्ली में आयोजित हो रही राष्ट्रीय दृष्टिबाधित कबड्डी प्रतियोगिता में भाग लेने जा रही हिमाचल की टीम के खिलाडिय़ों के पास न किट है और न ही जूते हैं। सरकारी सुविधाओं के नाम पर इस दिव्यांग टीम को कुछ नहीं मिला है। यही कारण है कि इन खिलाड़ियों को ठोडो मैदान में मिट्टी में खेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।



Body:दृष्टिबाधित खिलाडिय़ों लक्की, राजकुमार और पंकज ने बताया कि वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जा रहे हैं। प्रदेश भर के खिलाड़ी सोलन में अभ्यास कर रहे हैं। उनके लिए सरकार की ओर से किसी तरह की सुविधाएं नहीं मिली हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के समक्ष उन्होंने कई बार अपनी मांगों को रखा, लेकिन सरकार उनकी बातों पर गौर नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि वे अपने आपको अक्षम नहीं मानते, लेकिन सरकार उन्हें मूलभूत सुविधाएं प्रदान न कर अपने आप को अक्षम साबित कर रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि दृष्टिहीन खिलाडिय़ों के लिए सुविधाएं मुहैया करवाए, ताकि उनका मनोबल न टूटे।



Conclusion:राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता मैट पर खेली जानी है, लेकिन इनके पास प्रैक्टिस के लिए कोई मैट नहीं है। इसके कारण ये खिलाड़ी मिट्टी में खेल रहे हैं। इन्हें अपना पैसा खर्च कर किट व जूते खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। ठोडो मैदान में नंगे पांव खेलते-खेलते कुछ खिलाडिय़ों को चोट भी लग गई थीं। यही नहीं, धूल-मिट्टी में खेलने के कारण कई खिलाड़ी बीमार भी हो गए हैं।

राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता 4 जनवरी से दिल्ली में शुरू होनी है। हिमाचल की टीम का ठोडो मैदान में कैंप चला हुआ है। इस शिविर में राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयनित 12 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। इसमें 3-4 खिलाड़ी ऐसे हैं, जो 3 से 4 बार नैशनल खेल चुके हैं।
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