ठियोग: प्रदेश में हो रही बारिश से किसानों और बागवानों के चहरे खिल गए हैं. बागवानों की माने तो बारिश सेब के साइज को बढ़ाने में मददगार साबित होगी. साथ ही जून में होने वाली सेब की ड्रॉपिंग भी कमी हुई है. बारिश और गर्मी के मिश्रण से बगीचों में माइट और स्केब फैलने का खतरा भी बढ़ गया है.
एक तरफ जहां देश में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. वहीं, प्रदेश में भी कोरोना के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे है. वहीं, दूसरी ओर मौसम की बेरुखी भी लोगों को सता रही है. इन सब मुश्किलों के बीच प्रदेश की आर्थिकी को मजबूती देने वाले सेब बागवानों ने राहत की सांस ली है. हिमाचल प्रदेश में इन दिनों लगातार हो रही बारिश सेब बागवानों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है.
सेब बाहुल्य क्षेत्र ठियोग, कोटखाई और नारकंडा में बारिश होने से सेब के बगीचों में नमी हो गई है जिसका सीधा प्रभाव सेब पर पड़ रहा है. ठियोग ओर कोटखाई के ग्रामीण इलाकों में हो रही बारिश सब्जियों के साथ सेब के लिए बहुत ज्यादा फायेदमंद मानी जा रही है.
जून के महीने में जहां अधिक गर्मी होने से बगीचों की नमी सुख जाती थी और इसका असर सेब के आकार पर पड़ता था. वहीं, इस बारिश से सेब के बगीचों में नमी हो गई है और बागवान बगीचों में खाद डालकर उससे खरपतवार निकाल रहे हैं.नमी होने से सेब का आकार भी बढ़ रहा है और जून में होने वाली सेब की ड्रॉपिंग भी इस बारिश से कम हो गई है.
जून के महीने में सेब के आकार के लिए हुई इस बारिश से बागवान खुश है लेकिन साथ ही बगीचों में माइट और स्केब का खतरा भी बागवानों को डरा रहा है. बागवानों का कहना है कि जून के महीने में जहां सेब की फसल के गिरने का खतरा बना हुआ था. वहीं, इस बारिश से यह खतरा कम हुआ है और सेब का आकार भी बढ़ने लगा है.
बागवानों का कहना है गर्मी और बारिश के इस मिश्रण से बगीचों में बीमारी फैल सकती है जिसके लिए विशेषज्ञ से राय लेकर बगीचे में स्प्रे कर रहे हैं. वहीं, इस बारिश से लोगों ने अपने खेतों में नई फसल की बिजाई शुरू कर दी है. खेतों में हुई नमी से लोग मटर की फसल के बाद फ्रांसबिन लगाने में जुट गए हैं. किसानों का कहना है कि ये बारिश सब्जियों के लिए फायेदमंद है और सेब के आकार भी इस बारिश से बढ़ रहा है जिससे उन्हें अच्छी फसल होने की उम्मीद जगी है.
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